CG Election 2018: बस्तर में कांग्रेस को एकतरफा बढ़त, 12 में 11 पर आगे
नारायणपुर सीट पर भाजपा सरकार के मंत्री केदार कश्यप हार गए हैं। वहां कांग्रेस के चंदन कश्यप ने जीत दर्ज की है।
रायपुर। छत्तीसगढ़ के चुनाव में इस बार कांग्रेस को उम्मीद से बड़ी सफलता मिली है। आदिवासी बहुल सीटों पर कांग्रेस और भाजपा दोनों ने खूब जोर लगाया था लेकिन सरगुजा से बस्तर तक इन सीटों पर कांग्रेस को ही फायदा मिला है। बस्तर संभाग की 12 में से 11 सीटों पर कांग्रेस की जीत तय हो गई है। रात तक चुनाव आयोग ने जो ट्रेंड दिया है उसमें कांग्रेस एकतरफा बढ़त बनाए हुए है। एक सीट दंतेवाड़ा में भाजपा शाम होने तक करीब तीन हजार की लीड बना चुकी थी। अन्य सीटों पर हर जगह कांग्रेस का परचम लहरा रहा है।
दंतेवाड़ा सीट पर महेंद्र कर्मा की पत्नी देवती कर्मा का मुकाबला भाजपा के भीमा मंडावी से था। बीजापुर सीट पर प्रदेश के वन मंत्री महेश गागड़ा का मुकाबला कांग्रेस के विक्रम मंडावी से था। विक्रम शुरू से बढ़त बनाए हुए थे और करीब 20 हजार के अंतर से जीते हैं। कोंटा सीट पर भाजपा तीसरे नंबर पर चली गई है, वहां सीपीआई और कांग्रेस के बीच कांटे का संघर्ष चला और आखिर में कांग्रेस के लखमा जीत गए।
बस्तर संभाग की एकमात्र सामान्य सीट जगदलपुर में भाजपा के विद्यायक संतोष बाफना को कांग्रेस प्रत्याशी रेखचंद जैन ने करीब 20 हजार मतों से परास्त कर दिया। बस्तर सीट पर कांग्रेस विद्यायक लखेश्वर बघेल ने एक बार फिर भाजपा के डॉ.सुभाऊ कश्यप को हराया। कोंडागांव में कांग्रेस के मोहन मरकाम का मुकाबला भाजपा की लता उसेंडी से था। मोहन ने लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की। नारायणपुर सीट पर भाजपा सरकार के मंत्री केदार कश्यप हार गए हैं। वहां कांग्रेस के चंदन कश्यप ने जीत दर्ज की है।
केशकाल में कांग्रेस के संतकुमार नेताम ने भाजपा के ब्रम्हानंद नेताम को हरा दिया है। कांकेर सीट पर भाजपा ने युवा हीरा मरकाम को उतारा था। उनका मुकाबला रिटायर्ड आईएएस एसपी सोरी से था। इस मुकाबले को बेहर कड़ा माना जा रहा था लेकिन आखिर में कांग्रेस के सारी ही जीते। अंतागढ़ सीट पर भाजपा के सांसद विक्रम उसेंडी का मुकाबला कांग्रेस के अनूप नाग से था और अनूप ने अप्रत्याशित जीत दर्ज की।
भानुप्रतापपुर पर कांटे के मुकाबले में कांग्रेस के मनोज मंडावी ने भाजपा के देवलाल दुग्गा को हरा दिया है। यहां आम आदमी पार्टी से मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी कोमल हुपेंडी भी मैदान में थे लेकिन कोई खास असर नहीं छोड़ पाए।
कांग्रेस की लहर-
2003 और 2008 के चुनाव में भाजपा ने बस्तर से बढ़त बनाई थी और वहीं के बूते सरकार में आई। 2013 में भाजपा ने बस्तर की आठ सीटें गंवा दीं लेकिन मैदानी इलाकों में बढ़त बना ली। इस बार कांग्रेस की ऐसी लहर चली है कि किसी एक इलाके से सरकार बनाने की बात नहीं कही जा सकती। पार्टी हर संभाग में आगे है।