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CG Chunav 2018 : डगमगाए आत्म विश्वास से जीत का दावा कर रहे दोनों दलों के नेता

CG Chunav 2018 : कांग्रेस को लग रहा वनवास खत्म होने का वक्त आ गया। भाजपा कह रही हमारा वोटर मुखर नहीं है, चुपचाप काम करता है।

By Hemant UpadhyayEdited By: Published: Thu, 22 Nov 2018 07:11 PM (IST)Updated: Thu, 22 Nov 2018 07:11 PM (IST)
CG Chunav 2018 : डगमगाए आत्म विश्वास से जीत का दावा कर रहे दोनों दलों के नेता
CG Chunav 2018 : डगमगाए आत्म विश्वास से जीत का दावा कर रहे दोनों दलों के नेता

रायपुर। छत्तीसगढ़ के चुनाव में इस बार ऐसा पेच फंसा है कि जीत की गांरटी कोई नहीं कर पा रहा है।

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कांग्रेस और भाजपा दोनों प्रमुख दलों के नेता अपनी जीत का दावा तो कर रहे हैं लेकिन बातचीत में उनका डगमगाया आत्म विश्वास साफ झलकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वोटर चुप रहा।

कहीं-कहीं बदलाव की चर्चा हुई जरूर लेकिन इसके पक्ष में कोई बयार बही हो ऐसा तो नहीं ही लगता। बयार नहीं बही तो कांग्रेस का आत्म विश्वास डोल गया और बदलाव की चर्चा हुई इससे भाजपा का आत्म विश्वास डोला हुआ है। जीत किसके हिस्से जाएगी यह जब तक तय नहीं हो जाता ऊहापोह मची ही रहेगी।

चार दिन गणित लगेगा कि वह जीत रहा है फिर चार दिन बाद फार्मूला बदलता नजर आएगा। अगले 19 दिन में ऐसा बार-बार होगा तो कोई आश्चर्य करने की बात नहीं होगी। अब काम धाम तो कुछ है नहीं। मामला नई सरकार बनने का है। इससे ज्यादा जिज्ञासा की कोई विषय वस्तु हो नहीं सकती। तो रोज देखिए वह जीता या यह हारा।

जीत का दावा करने वाले नेताओं के पास अपने-अपने तर्क हैं। उनके तर्क ऐसे हैं जिन्हें खारिज नहीं किया जा सकता। जैसे भाजपा नेता कहते हैं कि हमने कई चुनाव देखे हैं। हमारी लहर नहीं दिखती लेकिन जब नतीजे आते हैं, तो सारे सर्वे और माहौल ध्वस्त हो जाता है।

कांग्रेसी कहते हैं जनता ऊब चुकी है। इनका शासन सबने देखा है। लोग बदलाव के मूड में थे। छत्तीसगगढ़ में उतना अंतर है नहीं। अगर कुछ वोटों का स्विंग इधर हो गया तो काम हो जाएगा। इन दोनों के अलावा जोगी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी भी सभी सीटों पर हैं। पर इनकी चर्चा उतनी नहीं हो रही है।

जोगी को लेकर थोड़ी सुगबुगाहट है जबकि आप की कोई बात ही नहीं हो रही। जोगी कितनी सीटें जीतेंगे इसे लेकर अलग-अलग मत हैं। कोई कह रहा दस तो काई पांच। कई लोग कह रहे सूपड़ा साफ हो जाएगा। यानी जितने मुंह उतनी बातें। असल मुकाबला कांग्रेस और भाजपा में ही है यह मतदान के बाद साफ हो चुका है। इन दोनों में से कौन जीतेगा यह गंभीर चिंतन का विषय है और यही इन दिनों चल रहा है।

हमारा वोटर ऐसा,उनका वोटर वैसा

जीत हार का दावा करने वाले नेताओं के कई तर्क हैं। एक तर्क यह भी है कि दोनों पार्टियों के वोटरों की तासीर अलग है। भाजपा मानती है कि उनके वोटर पक्के हैं। जो उनके वोटर हैं वे मुखर नहीं हैं। बोलते वे हैं जो असंतुष्ट रहते हैं। कांग्रेस के वोटर असंतुष्ट हैं तो बदलाव का शोर मचा रहे हैं। भाजपा के वोटर सरकार से खुश हैं इसलिए चुपचाप वोट देकर आ गए। इस तर्क में कितना दम है यह ईवीएम 11 दिसंबर को बताएगी।  


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