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भाजपा को 21 तो कांग्रेस को 13 सीटों पर त्रिकोणीय संघर्ष में उलझाएगी बसपा

जिन 35 सीटों पर बसपा गठबंधन की ओर से चुनाव लड़ेगी, उनमें 21 पर भाजपा और 13 पर कांग्रेस का कब्जा है। अब इन सीटों पर दोनों दलों को बसपा त्रिकोणीय संघर्ष में उलझाएगी।

By Vikas JangraEdited By: Published: Tue, 25 Sep 2018 11:43 PM (IST)Updated: Tue, 25 Sep 2018 11:43 PM (IST)
भाजपा को 21 तो कांग्रेस को 13 सीटों पर त्रिकोणीय संघर्ष में उलझाएगी बसपा
भाजपा को 21 तो कांग्रेस को 13 सीटों पर त्रिकोणीय संघर्ष में उलझाएगी बसपा

रायपुर [शशिकांत ओझा]। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के लिए जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जकांछ) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में सीटों के बंटवारे के बाद जो स्थिति बनी है, उससे रोचक संघर्ष के आसार हैं। जिन 35 सीटों पर बसपा गठबंधन की ओर से चुनाव लड़ेगी, उनमें 21 पर भाजपा और 13 पर कांग्रेस का कब्जा है। अब इन सीटों पर दोनों दलों को बसपा त्रिकोणीय संघर्ष में उलझाएगी।

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सर्वाधिक मेहनत भाजपा को उन आरक्षित सीटों पर करनी होगी, जहां उनके विधायक हैं। बसपा इस बार जिन दिग्गजों को चुनौती देगी उनमें विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल, मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, मंत्री राजेश मूणत, मंत्री दयाल दास बघेल सहित नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंह देव व भाजपा विधायक युद्घवीर सिंह शामिल हैं।

बसपा को मिली भरतपुर सोनहत, लुंड्रा, जशपुर, कुनकुरी, सारंगढ़, सक्ती, पामगढ़, बिलाईगढ़, कसडोल, रायपुर पश्चिम, रायपुर दक्षिण, बिंद्रानवानढ़, कुरद, भिलाई नगर, अहिवारा, नवागढ़, डोगरगढ़, अंतागढ़, पंडरिया, सरायपाली, चंद्रपुर सीट पर वर्तमान में भाजपा का कब्जा है। आरक्षित कसडोल से विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल, नवागढ़ दयालदास बघेल निर्वाचित हैं, वहीं भिलाई नगर से प्रेमप्रकाश पांडेय, रायपुर दक्षिण से बृजमोहन अग्रवाल, रायपुर पश्चिम से राजेश मूणत निर्वाचित हैं।

अनारक्षित सीट चंद्रपुर से युद्घवीर सिंह जूदेव विधायक हैं। इसी प्रकार बसपा कोटे की सामरी, अंबिकापुर, खरसिया, पाली तानाखार, अकलतरा, जांजगीर चांपा, डोमरगांव, कांकेर, केशकाल, कोंडागांव, दंतेवाड़ा, कोंटा व मस्तूरी कांग्रेस के कब्जे में हैं। यहां अंबिकापुर से विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंह देव विधायक हैं। बसपा कोटे की एक सीट जैजेपुर बसपा के ही कब्जे में है। भाजपा व कांग्रेस की आरक्षित सीटों पर इस बार बसपा कड़ा मुकाबला देगी, क्योंकि बसपा की राजनीति शुरू से ही दलित मूवमेंट के इर्द-गिर्द रही है।


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