प्रथम चरण के डैमेज कंट्रोल में भाजपा और कांग्रेस सफल
बस्तर टाइगर के बागी बेटे छवींद्र कर्मा समेत विधायक शंकर ध्रुवा को मनाने में कांग्रेस कामयाब रही है।
रायपुर । छत्तीसगढ़ में भाजपा और कांग्रेस के लिए सिरदर्द बने प्रथम चरण के बागियों को मनाने में दोनों दल कामयाब हो गए हैं। भाजपा संगठन के प्रयास ने बस्तर संभाग की भी 12 सीटों पर बगावत थाम ली है। कांग्रेस भी पीछे नहीं। बस्तर टाइगर के बागी बेटे छवींद्र कर्मा समेत विधायक शंकर ध्रुवा को मनाने में कांग्रेस कामयाब रही है।
काम आया रमन फैक्टर
छत्तीगसढ़ में पहले चरण के भाजपा के बागियों को मनाने में रमन फैक्टर काम कर गया। बीजापुर और दंतेवाड़ा में भाजपा के बागी व कद्दावर नेता चैतराम अटामी और राजाराम तोड़ेम को मनाने में पार्टी सफल हो गई है। अटामी और तोड़ेम के बागी तेवर ने पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी थी लेकिन मुख्यमंत्री रमन सिंह और राष्ट्रीय सहसंगठन महामंत्री सौदान सिंह की रणनीति आखिर में कामयाब हो गई। कहीं बागियों की पार्टी में वापसी की गई, तो कहीं समझाने से बागी मान गए।
दोनों बागी नेताओं से संगठन के आला नेताओं ने चर्चा की, जिसके बाद वे पार्टी के पक्ष में आ गए। दंतेवाड़ा में नामांकन दाखिल करने वाले चैतराम अटामी ने पार्टी उम्मीदवार भीमा मंडावी के समर्थन में नामांकन भी वापस ले लिया है। राजनांदगांव में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के खिलाफ भाजपा नेता सुकृत साहू ने नामांकन भरा है। सुकृत जनपद पंचायत के नेता हैं और पार्टी से नाराज होकर नामांकन भरा है।
कांग्रेस को भी मिली बड़ी राहत
कांग्रेस से बागी होकर मैदान में उतरे नेता भी पार्टी के पक्ष में आ गए हैं। दंतेवाड़ा से कांग्रेस उम्मीदवार देवती कर्मा के खिलाफ नामांकन दाखिल करने वाले छोटे बस्तर टाइगर छविंद्र कर्मा ने भी आखिरी दिन जिद्द छोड़ी तो अंतागढ़ में बागी होकर निर्दलीय मैदान में उतरे विश्राम गावड़े ने कांग्रेस उम्मीदवार अनूप नाग के समर्थन में नाम वापस ले लिया है।
टिकट कटने के बाद विधायक शंकर धु्रवा ने बागी रुख दिखाया था, लेकिन आला नेताओं से चर्चा के बाद ध्रुवा कांग्रेस उम्मीदवार शिशुपाल सोरी के साथ आ गए। यही नहीं, धु्रवा को शिशुपाल के नामांकन का प्रस्तावक भी बनाया गया। अब ध्रुवा प्रचार का मोर्चा संभाल रहे हैं।
बागियों की वापसी के बाद बदले समीकरण
बस्तर में कांग्रेस और भाजपा के बागियों की वापसी के बाद एक बार फिर चुनावी समीकरण बदलने लगे हैं। बागियों के कारण वोट कटने की चिंता से परेशान दल अब खुलकर प्रचार के मोर्चे पर उतरेंगे। नामांकन वापसी के बाद अब बस्तर और राजनांदगांव की चुनावी बिसात बिछ गई है।