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जैसे ही भूपेश बघेल के नाम पर मुहर लगी भिलाई से लेकर रायपुर तक जश्न मना

बैजनाथपारा में है नए सीएम बनने जा रहे भूपेश बघेल की ससुराल। मकान पर लगा ताला, ताले के पीछे छिपी खुशी को पड़ोसियों ने जताया।

By Hemant UpadhyayEdited By: Published: Sun, 16 Dec 2018 07:32 PM (IST)Updated: Mon, 17 Dec 2018 07:51 AM (IST)
जैसे ही भूपेश बघेल के नाम पर मुहर लगी भिलाई से लेकर रायपुर तक जश्न मना
जैसे ही भूपेश बघेल के नाम पर मुहर लगी भिलाई से लेकर रायपुर तक जश्न मना

रायपुर।  यह वही कांग्रेस है, जो पांच साल पहले राज्य में अपनी जमीन तलाश रही थी, लेकिन आज उसकी सरकार बनने जा रही है। ऐसा शख्स मुख्यमंत्री बनने जा रहा है, जो कहलाएंगे सीएम जीजाजी...। जी हां, सरकार के मुखिया भूपेश बघेल का निवास भिलाई में है और ससुराल रायपुर में। देर रात भिलाई पहुंचने पर बघेल का आरती उतारकर स्‍वागत किया गया।

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जैसे ही सीएम के लिए उनके नाम का एलान हुआ, 'नईदुनिया" टीम ने बघेल के ससुराल में दस्तक दे दी। बैजनाथपारा में सुमीत बाजार के ठीक पीछे वाली सकरी गली में है श्रीराम निवास। यही है बघेल की ससुराल, लेकिन यहां ताला जड़ा हुआ है। वजह है, ससुरालवाले भिलाई में हैं, वहीं रहकर बीते दो दिनों से चल रही गतिविधि पर नजर रखे हुए थे। टीवी से नजरें हट नहीं रही थीं। सुबह अखबार का इंतजार।

जैसे ही भूपेश बघेल के नाम पर मुहर लगी, भिलाई से लेकर रायपुर तक जश्न ही जश्न। जश्न ससुराल में भी मना, मनाने वालों में भूपेश को जीजा बताने वाले वे लोग हैं, जिनकी दुकानें ससुराल के पास हैं। किसी ने कहा कि अब जीजाजी, सीएम हो गए हैं... कोई बोला- जेड प्लस सुरक्षा में आएंगे जीजाजी... किसी ने यह भी कहा- वे तो पूरे शहर के जीजा हैं, सालों का ख्याल तो रखेंगे ही। यह सच है कि अगर हमारे-अपने बीच कोई व्यक्ति अचानक किसी बड़े ओहदे पर पहुंचता है तो रिश्तेदारियां तो निकल ही आती हैं। मगर इन लोगों को कोई लालच नहीं।

पूरे बैजनाथपारा को पता है जीजाजी की ससुराल

बैजनाथपारा में भूपेश बघेल की ससुराल ढूंढ़ने में ज्यादा समय नहीं लगा। मदरसे के पास एक व्यक्ति ने बताया कि आगे जाकर बाएं मुड़ जाना, बाएं मुड़े तो दूसरे ने सीधे घर ही दिखा दिया।

जानिए सालों से जीजाजी के बारे में

अंकित अमरानी, उत्तम कुमार, योगेंद्र आकरे ये तीनों दुकानदार हैं। दुकानें सड़क किनारे हैं और इनके बीच से जो गली जाती है, उसके आखिरी छोर पर है भूपेश बघेल की ससुराल। अंकित कहते हैं कि अभी तीन महीने पहले ही वे यहां आए थे। मुलाकात हुई थी। काफी व्यस्त थे, चुनाव सिर पर था।

उत्तम कहते हैं कि व्यवहार में सौम्य और सरल थे। योगेंद्र आकरे कहते हैं कि हम सबको उनके ही सीएम बनने पर विश्वास था। एक दावेदार तो पैराशूट वाले थे। बोले- जिसने पार्टी को एकजुट किया, तब संभाला, जब सभी पहली पंक्ति के नेता झीरम कांड में मारे गए थे, वही सीएम हैं। सीएम का सेहरा बघेलजी के सिर से बंधना था।  


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