Bihar Vidhan Sabha Election 2020: बगावती सुरों ने बिगाड़ा उत्तर बिहार का चुनावी राग, छोटे-छोटे बन रहे गठजोड़ कर सकते बड़ा उलट-फेर
Bihar Assembly Election 2020 उपेंद्र व मुकेश के फैसले से महागठबंधन व लोजपा के निर्णय के बाद एनडीए में ऊहापोह। चार से पांच हजार वोटों का बिखराव भी परिणाम पर डाल सकता प्रभाव। चुनाव पूर्व बन रहे छोटे-छोटे गठजोड़ों ने जटिलता बढ़ा दी है।
मुजफ्फरपुर [प्रेम शंकर मिश्रा]। एनडीए और महागठबंधन के घटक दलों के बगावती सुरों ने चुनावी राग खराब कर दिया है। महागठबंधन से पहले उपेंद्र कुशवाहा ने खुद को अलग किया। इसके बाद उत्तर बिहार में जातीय समीकरण के आधार पर वोट बैंक का दावा करनेवाले मुकेश सहनी ने सीट बंटवारे की घोषणा के दौरान ही बगावत कर दी। लोजपा ने नीतीश कुमार के नेतृत्व को खारिज कर अलग चुनाव लडऩे की घोषणा कर दी।
चुनाव पूर्व बन रहे छोटे-छोटे गठजोड़ों ने जटिलता बढ़ा दी है। जिन सीटों पर कांटों का संघर्ष होगा, वहां ये बड़ा उलट-फेर कर सकते हैं। जन अधिकार पार्टी ने अनुसूचित जाति के नेता चंद्रशेखर व बिहार मुस्लिम लीग के साथ गठबंधन किया है। रालोसपा को बसपा के रूप में नया साथी मिला है। हाथी पर सवार रालोसपा का यह गठबंधन अतिपिछड़ा व दलित वोट बैंक पर लक्ष्य साधेगा। लोजपा का भी आधार वोट दलित ही है। इसके अलावा ओवैसी भी जमीन तलाश रहे। उत्तर बिहार के कुछ मुस्लिम बहुल सीटों पर वे उम्मीदवार दे सकते हैं।
मजबूत नेताओं को भुनाने की होगी तैयारी
एनडीए व महागठबंधन में सीटों का बंटवारा हो चुका है। मगर, टिकट पर अभी अंतिम निर्णय बाकी है। कई नेता इंतजार कर रहे। बेटिकटों की नाराजगी बढ़ेगी और वे दूसरे दल व गठबंधन का दामन थामने से नहीं हिचकेंगे। छोटे-छोटे गठबंधन भी इसी इंतजार में रहेेंगे। वे टिकट कटने से नाराज बड़े दल के नेताओं को लपकने की पूरी कोशिश करेंगे। क्षेत्र में चॢचत ये नेता जरूर अंतर पैदा करेंगे।
पिछले चुनाव के परिणाम को समझना होगा
पिछले विधानसभा चुनाव का परिणाम कई दृश्य दिखाता है। शिवहर से 'हमÓ प्रत्याशी लवली आनंद 44,115 वोट लाकर भी साढ़े चार सौ के अंतर से हार गई थीं। निर्दलीय ठाकुर रत्नाकर को 22 हजार वोट मिले। मुजफ्फरपुर के गायघाट में राजद के महेश्वर प्रसाद यादव ने भाजपा की वीणा देवी को साढ़े तीन हजार मतों से हराया था। इसमें निर्दलीय अशोक कुमार सिंह को मिले 7800 वोट ही फैक्टर रहा। वाल्मीकिनगर, बोचहां व कांटी में तो त्रिकोणीय मुकाबले में निर्दलीय ने ही बाजी मारी। चुनाव को प्रभावित करनेवाले इन उम्मीदवारों में से कई को बड़े दलों ने अपने में शामिल कर लिया है। मगर, कई ऐसे हैं जो प्लेटफॉर्म तलाश रहे हैं। उन्हें इन छोटे गठजोड़ में जगह मिली तो परिणाम पर निश्चय ही कुछ असर पड़ेगा।