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Vaishali Election 2020: लोकतंत्र की भूमि वैशाली में नए सूरमाओं ने ठोकी ताल, जदयू-कांग्रेस के बीच लोजपा ने बनाया त्रिकोण

Vaishali Assembly Election News 2020 वैशाली विधानसभा सीट पर यूं तो 14 प्रत्‍याशी चुनाव मैदान में हैं। लेकिन मुख्‍य मुकाबला जदयू और कांग्रेस के बीच होने की संभावना है। हालांकि लोजपा के आने से दोनों गठबंधनों के वोटों में बंटवारा से इन्‍कार नहीं किया जा सकता।

By Bihar News NetworkEdited By: Published: Sun, 01 Nov 2020 02:22 PM (IST)Updated: Tue, 03 Nov 2020 09:04 PM (IST)
Vaishali Election 2020: लोकतंत्र की भूमि वैशाली में नए सूरमाओं ने ठोकी ताल, जदयू-कांग्रेस के बीच लोजपा ने बनाया त्रिकोण
जदयू के सिद्धार्थ पटेल, कांग्रेस के संजीव सिंह अोर लोजपा के अजय कुमार कुशवाहा की तस्‍वीर ।

जेएनएन, हाजीपुर। पूरी दुनिया को गणतंत्र की रोशनी देने वाला वैशाली विधानसभा क्षेत्र इसी नाम के लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। वैशाली विधानसभा क्षेत्रमें तीन प्रखंड वैशाली, पटेढ़ी बेलसर और गोरौल है। 1967 के विधानसभा चुनाव में यहां से एलपी शाही जीते थे। 2015 के चुनाव में इस विधानसभा सीट से जदयू के टिकट पर राजकिशोर सिंह विजयी हुए थे। उन्होंने वैशाली जिले में सबसे ज्यादा मतों से जीत दर्ज की थी। कई बार मंत्री रह चुके दिग्गज नेता हम के वृषिण पटेल को 31 हजार से अधिक मतों से पराजित किया था। इस बार जदयू ने सिद्धार्थ पटेल को प्रत्‍याशी बनाया है। वहीं महागठबंधन से कांग्रेस प्रत्‍याशी संजीव सिंह हैं। लोजपा प्रत्‍याशी अजय कुमार कुशवाहा मुकाबले को त्रिकोणात्‍मक बनाने का प्रयास कर रहे हैं। कुल 14 उम्‍मीदवार यहां से मैदान में हैं। मंगलवार को यहां 58.55 फीसद मतदान हुआ।

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प्रमुख प्रत्याशी -

जदयू - सिद्धार्थ पटेल

कांग्रेस - संजीव सिंह

लोजपा - अजय कुमार कुशवाहा

जअपा लो. - विनय पासवान

 प्रमुख मुद्दे

1. पर्यटक स्थल का समुचित विकास नहीं : वैशाली को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पयर्टन स्थल के रूप में आज तक विकसित नहीं किया जा सका है। वर्ष 2010 में सरकार की घोषणाओं के बाद कुछ योजनाओं पर काम शुरू हुआ, पर अधिकांश की फाइलें गुम हैं। पर्यटन स्थल पर शौचालय, पीने के पानी, रात्रि में रोशनी का अभाव यहां आने वाले लोगों को खटकता है।

2. उच्च शिक्षा के लिए कोई संस्थान नहीं: वैशाली में एक भी डिग्री कॉलेज नहीं है। इसके कारण उच्च शिक्षा प्राप्त करने में यहां के छात्र-छात्राओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उन्हें या तो लालगंज आना पड़ता है या फिर मुजफ्फरपुर। संपन्न घरों के बच्चों को तो कोई परेशानी नहीं होती, लेकिन गरीब घरों के बच्चे उच्च  शिक्षा से वंचित रह जाते हैं।

3.तालाबों की पहचान कर जीर्णोद्धार नहीं: कभी वैशाली में 52 पुष्करिणियों की शृंखला थीं। लेकिन कालांतर में अधिकतर तालाब अतिक्रमण के शिकार हो गए। उन्हें भर कर खेत बना दिया गया। दो वर्ष पहले जब अल्प वर्षा से भूगर्भीय जलस्तर काफी नीचे चला गया था, तब लोगों को विलुप्त हो चुके तालाबों की याद आने लगी थी। राज्य सरकार के जल-जीवन-हरियाली अभियान से यहां के कुछ तालाबों को जीर्णोद्धार की योजना बनी, कुछ पर काम हुआ, लेकिन अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।

4. बुद्ध सम्यक स्मृति संग्रहालय के निर्माण में देरी : वैशाली में बन रहे बुद्ध सम्यक स्मृति संग्रहालय के निर्माण में काफी देर हो रही है। इस प्रोजेक्ट पर पहले ही काफी देर हो चुकी है। 72 एकड़ के परिसर में निर्माण हो रहा है। यहीं भगवान बुद्ध के अस्थिकलश को रखा जाएगा। यहां के लोगों की लंबे समय से इसको लेकर मांग चली आ रही है। अफगानिस्तान से भगवान बुद्ध के भिक्षा पात्र को लाने की मांग की मांग भी लोग लंबे समय से कर रहे हैं।

5. जलजमाव: भारी बारिश होने पर वैशाली के रेलिक स्तूप परिसर सहित कई स्थानों पर जलजमाव हो जाता है। यह महीनों लगा रहता है और यहां आने वाले पर्यटकों की आंखों में खटकता रहता है। जलनिकासी की मुकम्मल व्यवस्था नहीं होने से पानी लंबे दिनों तक जमा रहता है।

वर्ष -               जीते -                                  हारे

2005         वृषिण पटेल, जदयू                   वीणा शाही, कांग्रेस

2010         वृषिण पटेल, जदयू                   वीणा शाही, राजद

2015        राजकिशोर सिंह, जदयू              वृषिण पटेल, हम


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