Bihar Election 2020: 'दागी नेताओं' पर अधिकतर दलों ने साधी चुप्पी, ज्यादातर दलों ने किया नजरअंदाज
चुनाव मैदान में डटे उम्मीदवार बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने राजनीति का अपराधीकरण रोकने के लिए जो आदेश दिया था उसे ज्यादातर दलों ने नजरअंदाज किया है। बिहार में सत्तारूढ़ जदयू समेत इक्का-दुक्का दलों ने ही विवरण दिया है।
नई दिल्ली, जेएनएन। बिहार चुनाव में पहले चरण का मतदान (Bihar Election voting dates) 28 अक्टूबर को होना है। इस दौरान जनता एक हजार से भी ज्यादा उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेगी। इनमें से कौन जीतेगा, कौन हारेगा या किसकी जमानत जब्त होगी। ये सबकुछ 10 नवंबर को पता चल जाएगा। मगर उससे पहले आप ये भी जान लें कि इन 1,066 में से 319 उम्मीदवार ऐसे हैं जिनके ऊपर गंभीर धाराओं में आपराधिक मुकदमा दर्ज हैं।
बिहार चुनाव के पहले चरण के लिए चुनाव आयोग ने कुछ आंकड़े भी जारी किए हैं। इनमें से एक आंकड़ा काफी महत्वपूर्ण है। इस डाटा के मुताबिक पहले चरण के 319 उम्मीदवारों पर आपराधिक केस दर्ज हैं। इन 319 में से कई उम्मीदवार तो ऐसे हैं जिनपर हत्या, अपहरण और वसूली तक के गंभीर मामले दर्ज हैं।
136 दागी ऐसे जो हैं वर्तमान विधायक
बिहार के कुल 243 में से आधे से ज्यादा तो ऐसे विधायक हैं जिन पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। यानि 2015 के चुनाव में भी ये जीतकर सदन में पहुंच गए थे। इन विधायकों की तादाद भी कम नहीं है, 136 एमएलए पर आपराधिक मामलों चल रहे हैं। इन 136 में से 94 विधायक ऐसे हैं जिनपर गंभीर मामलों में मुकदमा दर्ज है। चुनाव आयोग के मुताबिक ऐसे उम्मीदवारों को इसीलिए अपने आपराधिक रिकॉर्ड को अखबारों और टीवी में प्रकाशित करना अनिवार्य किया गया है, ताकि जनता को पता रहे कि उनकी विधानसभा में खड़े हुए उम्मीदवारों का रिकॉर्ड कैसा और क्या है।
चुनाव मैदान में डटे उम्मीदवार बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने राजनीति का अपराधीकरण रोकने के लिए जो आदेश दिया था उसे ज्यादातर दलों ने नजरअंदाज किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राजनीतिक दल बताएंगे कि उन्होंने दागी यानी आपराधिक पृष्ठभूमि के व्यक्ति को टिकट क्यों दिया और उसे क्यों नहीं दिया, जिसकी आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है। बिहार चुनाव में उतरे ज्यादातर राजनीतिक दलों ने सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का पालन नहीं किया है। ज्यादातर दलों ने दागियों को टिकट देने का कारण अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक नहीं किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था ये आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने गत 13 फरवरी को अवमानना याचिका पर फैसला सुनाते हुए उम्मीदवार की आपराधिक पृष्ठभूमि और शिक्षा व संपत्ति का ब्योरा राजनैतिक दलों की वेबसाइट पर डालने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के बाद पहला चुनाव बिहार विधानसभा का ही हो रहा है।
जदयू ने दी अपने उम्मीदवारों की जानकारी
बिहार के सत्ताधारी दल जदयू ने अपनी पार्टी की वेबसाइट पर उम्मीदवार की आपराधिक पृष्ठभूमि बताने के साथ ही यह भी बताया है कि उसने ऐसे उम्मीदवार को टिकट क्यों दिया और उसे क्यों नहीं दिया जिनकी आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है।