समाजसेवा चिकित्सक का सबसे बड़ा धर्म : डॉ. लालचंदानी
जागरण संवाददाता कन्नौज चिकित्सक का पेशा सबसे पवित्र है। एक चिकित्सक को दूसरों के कष्ट हरने की जिम्मेदारी मिली है। सही मायने में समाजसेवा ही चिकित्सक का सबसे बड़ा धर्म है। यह कहना था कानपुर से आए वरिष्ठ चिकित्सक डॉॅ. देवेंद्र लालचंदानी का। उन्होंने भारत विकास परिषद के चिकित्सा शिविर में लोगों को चिकित्सीय धर्म का महत्व समझाया।
जागरण संवाददाता, कन्नौज: चिकित्सक का पेशा सबसे पवित्र है। एक चिकित्सक को दूसरों के कष्ट हरने की जिम्मेदारी मिली है। सही मायने में समाजसेवा ही चिकित्सक का सबसे बड़ा धर्म है। यह कहना था कानपुर से आए वरिष्ठ चिकित्सक डॉॅ. देवेंद्र लालचंदानी का। उन्होंने भारत विकास परिषद के चिकित्सा शिविर में लोगों को चिकित्सीय धर्म का महत्व समझाया।
रविवार को शहर के मोहल्ला पठकाना स्थित पं. भोलानाथ दुबे धर्मशाला में भारत विकास परिषद के तत्वाधान में चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें जिले भर से आए 425 मरीजों का परीक्षण कर परामर्श दिया गया। इसमें नाक, कान व गला के 250 मरीजों का परीक्षण किया गया तो मोतियाबिद के ऑपरेशन के लिए 175 मरीजों का चयन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सीएमओ डॉ. कृष्ण स्वरूप ने कहा कि लोक कल्याण के लिए इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना आवश्यक है। गरीबों को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिले, इसके लिए सभी को प्रयासरत रहना चाहिए। कार्यक्रम को अपर शोध अधिकारी यतींद्र कुमार मंजुल ने भी संबोधित किया। मेजर नवीनचंद्र टंडन के संचालन में हुए कार्यक्रम में शाखा अध्यक्ष विजय तिवारी, सचिव नरेंद्र सिंह यादव, डॉ.धीरेन्द्र दुबे, बाबू केशवदास टंडन, अनूप कुमार केलकर, राकेश कुमार दुबे, राकेश शुक्ला, अमित मिश्रा, निर्मल कुमार जैन, धीरज सैनी, सर्वेश दुबे, सुनील दुबे , बीनू दुबे, राकेश कुमार दुबे, आदेश नारायण सक्सेना, राजेश चंद्र गुप्ता, रमेश चंद्र गुप्ता, केशवचंद्र गुप्ता, प्रदीप शंकर दुबे उपस्थित थे। नाक, कान, गले की समस्या सबसे अधिक
कानपुर से आए वरिष्ठ ईएनटी सर्जन डॉ. देवार्थ लालचंदानी ने बताया कि नाक, कान व गला शरीर के सबसे संवेदनशील अंग हैं। अक्सर देखा जाता है कि सबसे अधिक कैंसर के मरीज इसी के होते हैं। संतुलित खानपान तथा नियमित रूप से स्वास्थ्य परीक्षण के माध्यम से नाक, कान व गले को सुरक्षित रखा जा सकता है। उन्होंने बताया कि बुजुर्गों के साथ अब मोबाइल हेडफोन व ईयरफोन का प्रयोग करने से अब युवाओं में भी सुनने की क्षमता कम होती जा रही है।