Bihar Election 2020: जानिए मुजफ्फरपुर और आसपास के जिलों के कौन-कौन नेता एनडीए-महागठबंधन से नाराज होकर लोजपा की पिच पर बल्लेबाजी की तैयारी कर रहे
Bihar Election 2020 सीट बंटवारे के बाद टिकट से वंचित भाजपा और जदयू के नेता चिराग के संपर्क में। तिरहुत प्रमंडल में जदयू खाते की 17 विधानसभा सीटों पर लोजपा देगी उम्मीदवार। लोजपा प्रमुख की घोषणा पर गौर करें तो इन सीटों पर लोजपा के उम्मीदवार मैदान में होंगे।
मुजफ्फरपुर, [ प्रेम शंकर मिश्रा ]। Bihar Election 2020 : एनडीए में सीटों के बंटवारे और लोजपा की बगावत ने विधानसभा चुनाव को मतदान से पहले दिलचस्प कर दिया है। टिकट की आस लगाए भाजपा, जदयू, राजद व कांग्रेस के कई नेता लोजपा से उम्मीदवार बन सकते हैं। भाजपा के कई वरिष्ठ नेता इसकी शुरुआत कर चुके हैं। राजेंद्र सिंह, रामेश्वर चौरसिया, उषा विद्यार्थी जैसे बड़े नाम इसमें शामिल हैं। बगावत की आग तिरहुत प्रमंडल के जिलों में भी फैल सकती है। छह जिलों की 49 में से 17 सीटें जदयू के खाते में गई हैं। लोजपा प्रमुख चिराग पासवान की घोषणा पर गौर करें तो इन सीटों पर लोजपा के उम्मीदवार मैदान में होंगे। इनमें से अधिकतर ऐसे होंगे जो एनडीए से टिकट की दौड़ में शामिल थे।
चंपारण में भाजपा के बागियों पर नजर
चर्चा पश्चिम चंपारण से प्रारंभ करते हैं। यहां जदयू को वाल्मीकिनगर व सिकटा सीट मिली है। इनमें पिछले चुनाव में सिकटा से भाजपा के दिलीप वर्मा करीब दो हजार मतों से जदयू के खुर्शीद उर्फ फिरोज अहमद से हारे थे। जदयू के खाते में सीट जाते ही दिलीप वर्मा की उम्मीदवारी को लेकर सवाल खड़ा हो गया है। यहां उम्मीदवार देने से पहले लोजपा जरूर उनका नब्ज टटोलेगी। पूर्वी चंपारण में पिछली बार महागठबंधन से राजद की दो सीटें नरकटिया व केसरिया जदयू के खाते में हैं। जदयू को यहां राजद उम्मीदवार के साथ लोजपा प्रत्याशी से भी संघर्ष करना होगा।
मुजफ्फरपुर में मजबूत बागियों पर दाव
सीतामढ़ी में जदयू को चार सीटें मिली हैं। इनमें बेलसंड में पिछले विधानसभा चुनाव में लोजपा के मो. नासिर अहमद उम्मीदवार थे। शेष तीन रुन्नीसैदपुर, सुरसंड व बाजपट्टी में भी इस बार लोजपा उम्मीदवार तय करेगी। यहां भी उसकी नजर ऐसे नेताओं पर है जो पहले चुनाव लड़ चुके हैं।
मुजफ्फरपुर की चार सीटों में गायघाट संवेदनशील है। यहां लोजपा किसी राजपूत उम्मीदवार को टिकट देकर संघर्ष को त्रिकोणीय बनाना चाहेगी। यहां से एक युवा महिला उम्मीदवार का नाम चर्चा में है। वहीं, कांटी से पूर्व मंत्री अजित कुमार को पाले में लाना चाहेगी। वे यहां से फरवरी, 2005 के चुनाव में लोजपा से जीत चुके हैं। इससे यहां भी मुकाबला त्रिकोणीय हो जाएगा। सकरा (सु.) सीट से लोजपा के कई उम्मीदवार हैं। इनमें एक पूर्व विधायक भी उतरने का मन बनाए हुए हैं। मीनापुर से पिछले चुनाव में पूर्व मंत्री दिनेश कुशवाहा के पुत्र अजय कुशवाहा भाजपा से उम्मीदवार थे। इस बार सीट जदयू के खाते में जाने से वे बगावत के मूड में हैं। वैसे, यहां से लोजपा जिलाध्यक्ष अजय सिंह की उम्मीदवारी की चर्चा है। हालांकि, पार्टी को मजबूत बागी मिल जाए तो उम्मीदवारी बदल भी सकती है।
लालगंज सीट पर लोजपा के सामने धर्मसंकट
वैशाली में स्थिति थोड़ी अलग है। यहां लोजपा के लिए भी धर्मसंकट है। जिले की लालगंज सीट से पिछले चुनाव में पार्टी के उम्मीदवार राज कुमार साह ने जदयू के विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला को 20 हजार के बड़े अंतर से हराया था। इस बार यह सीट भाजपा के खाते में है। ऐसे में लोजपा की यहां उम्मीदवारी पर संशय है। मगर, मौजूदा विधायक को नहीं उतारने का निर्णय भी उसके लिए आसान नहीं होगा। वहीं, मुन्ना शुक्ला भी इस सीट को भाजपा के कोटे में देने पर जदयू से नाराज हैं। महुआ से पिछले चुनाव में राजद के तेज प्रताप यादव के खिलाफ 'हम' उम्मीदवार के रूप में उतरे रवींद्र कुमार राय चुनाव लड़ेंगे तो उन्हेंं नई सीट या पार्टी तलाशनी पड़ सकती है। यहां भी लोजपा बागी कार्ड खेल सकती है। राजापाकर में पिछले चुनाव में लोजपा के रामनाथ रमन उतरे थे। इसके अलावा इस पार्टी को वैशाली व महनार में उम्मीदवारों की तलाश होगी। जिले की पातेपुर (सु.) सीट से विधायक प्रेमा चौधरी राजद छोड़कर जदयू का दामन थाम चुकी हैं। मगर, सीट भाजपा के खाते में चली गई है। अब उन्हेंं मैदान में उतरने के लिए नई सीट या दल की तलाश करनी होगी। इधर, शिवहर सीट जदयू के खाते में है। पिछले चुनाव में पराजित 'हम' उम्मीदवार लवली आनंद अब राजद में हैं। लोजपा की उम्मीदवारी से यहां भी मुकाबला कांटे का हो जाएगा।