Bihar Chunav 2020: बिहार चुनाव में दलित वोटों के लिए मची मारामारी, जानें कौन किस पर है भारी
Bihar Chunav 2020 पिछले विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के 40 सुरक्षित सीटों में से राजद ने 14 जदयू ने 10 और कांग्रेस ने 6 सीटें जीती थीं। इस चुनाव में भाजपा ने 6 रालोसपा भाकपा माले तथा हम ने 1-1 सीटें जीती थी।
पटना, [दीनानाथ साहनी]। Bihar Chunav 2020 बिहार में मायावती का जादू नहीं चल पा रहा है, लेकिन दलित वोट बैंक के नाम पर चिराग पासवान और जीतन राम मांझी फिलहाल फ्रंट से खेल रहे हैं। हर बार की तरह इस बार भी दलित वोटों के लिए मारामारी है। 2015 के चुनाव में अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए सुरक्षित 40 सीटों में से 30 सीट पर महागठबंधन ने कब्जा जमाया था। तब राजद ने 14, जदयू ने 10 और कांग्रेस ने 6 सीटें जीती थीं। भाजपा को महज 6 सुरक्षित सीटों पर जीत नसीब हुई थी। रालोसपा, भाकपा माले तथा हम के खाते में 1-1 सीटें आई थीं। एक निर्दलीय बेबी कुमारी ने बोचहा सुरक्षित सीट पर जीत दर्ज की थी।
2015 के विधानसभा चुनाव में दलित वोटों का बंटवारा मुख्य रूप से राजद, जदयू और कांग्रेस के बीच ही हुआ था। तब लोजपा को एक भी सुरक्षित सीट पर जीत नहीं मिली थी। लोजपा की परंपरागत सीट अलौली पर पशुपति कुमार पारस चुनाव हार गए थे। इस बार लोजपा राजग से अलग होकर अकेले चुनाव मैदान में है। ऐसे में चुनाव विश्लेषक मान रहे हैं कि चिराग के कारण पासवान वोटों का बिखराव संभव नहीं है, लेकिन अन्य दलित वोटों को लेकर राजनीतिक दलों में मारामारी मची है। ऐसे में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की 40 सुरक्षित सीटों पर कौन किस पर भारी पड़ेगा, यह चुनावी नतीजे सामने आने के बाद ही साफ होगा।
2010 में राजग को 39 सुरक्षित सीटों पर जीत मिली थी, क्योंकि तब दलित वोटों का बंटवारा भाजपा और जदयू के बीच ही हुआ था। इस चुनाव में भाजपा को 20 और जदयू को 19 सीटें मिली थीं। एक सीट जीतकर राजद ने भी किसी तरह अपनी उपस्थिति दर्ज कर ली थी। बाकी किसी भी दल को रिजर्व सीटों पर सफलता नहीं मिली थी। इस पर गौर करें तो स्पष्ट है कि भाजपा और जदयू ने दलित-महादलित और जनजातीय वर्ग के वोटों को आधा-आधा बांट लिया था। इस बार इन्हीं दोनों दलों के आधार पर सबकी नजर है।
यही कारण है कि लोजपा से खटपट के बाद नीतीश कुमार ने जहां ङ्क्षहदुस्तानी अवाम मोर्चा के अध्यक्ष व पूर्व सीएम जीतन राम मांझी को राजद से खींच कर अपने पाले ले आए तो वहीं कांग्रेस से जदयू में आए दलित नेता अशोक चौधरी को पार्टी को प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया ताकि दलितों वोटों को जदयू के पाले में लाया जा सके।
इधर रालोसपा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व में गठित ग्रैंड यूनाइटेड सेक्यूलर फ्रंट बसपा की प्रमुख मायावती के बूते दलित वोटों को अपने पाले में लाने की पुरजोर प्रयास में जुटा है। रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने मायावती से तीसरे चरण के चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटों पर प्रचार कराने का फैसला लिया है।
2015 में 40 सुरक्षित सीटों पर किसकी कहां जीत हुई
- भाजपा : बथनाहा, बनमखी, मोहनिया, राजनगर, रानीगंज और रामनगर।
- राजद : अलौली, कटोरिया, गरखा, पातेपुर, पीरपैंती, बखरी, बाराचट्टी, बोधगया, मखदुमपुर, मसौढ़ी, रजौली, राजापाकर, सकरा, हरसिद्धि,
- जदयू : अगिआंव, कल्याणपुर, कुशेश्वर स्थान, त्रिवेणीगंज, धोरैया, फुलवारीशरीफ, राजगीर, राजपुर, सिंहेश्वर, सोनवर्षा,
- कांग्रेस : कुटुम्बा, कोढ़ा, भोरे, रोसड़ा, सिकंदरा, मनिहारी।
- हम : इमामगंज।
- भाकपा माले: दरौली।
- रालोसपा : चेनारी।
2010 में किसकी कहां जीत
- भाजपा : रामनगर, हरसिद्धि, बथनाहा, रानीगंज, बनमनखी, कोढ़ा, कुशेश्वरस्थान, भोर, दरौली, गरखा, पातेपुर, रोसड़ा, बखरी, पीरपैंती, कटोरिया, राजगीर, अगिआंव, मोहनिया, बोधगया, रजौली
- जदयू : त्रिवेणीगंज, मनिहारी, सिंहेश्वर, सोनबरसा, बोचहा, राजापाकर, कल्याणपुर, अलौली, धैरैया, फुलवारी, मसौढ़ी, राजपुर, चेनारी, मखदुमपुर, कुटुंबा, इमामगंज, बाराचट्टी, सिकन्दरा, सकरा
- राजद : राजनगर