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कंगाल समितियों में गबन की आशंका

जागरण संवाददाता कन्नौज कर्ज में डूबी सदर ब्लॉक की़ महमूदपुर पैठ कछोहा बरौली व नजरापुर सहकारी समिति में वर्ष 2013 से गबन की आशंका है। फर्रुखाबाद डिस्ट्रिक्ट को-आरपेटिव बैंक के कन्नौज शाखा प्रबंधक अनुभव सागर ने समितियों की प्रारंभिक जांच की थी।

By JagranEdited By: Published: Sat, 13 Feb 2021 05:14 PM (IST)Updated: Sat, 13 Feb 2021 05:14 PM (IST)
कंगाल समितियों में गबन की आशंका
कंगाल समितियों में गबन की आशंका

जागरण संवाददाता, कन्नौज : कर्ज में डूबी सदर ब्लॉक की़ महमूदपुर पैठ, कछोहा, बरौली व नजरापुर सहकारी समिति में वर्ष 2013 से गबन की आशंका है। फर्रुखाबाद डिस्ट्रिक्ट को-आरपेटिव बैंक के कन्नौज शाखा प्रबंधक अनुभव सागर ने समितियों की प्रारंभिक जांच की थी। इन समितियों में लिमिट से अधिक ऋण का परिचालन करना पाया गया है। समितियों ने किसानों को सीमा से ज्यादा खाद बिक्री की है, लेकिन धनराशि बैंक में जमा नहीं की गई। इस कारण बैंक ने समितियों को ऋण देना बंद कर दिया था। जांच में चारों समितियों के सचिव व तत्कालीन शाखा प्रबंधक को दोषी माना गया है। इनके कार्यकाल के दौरान धन का दुरुपयोग होना दर्शाया गया है। इसका असर बैंक व समितियों पर पड़ा है। इधर, दो वर्ष में बैंक की तरफ से दिए गए ऋण व लिमिट भी सवालों के घेरे में है। शाखा प्रबंधक ने बताया कि गबन की आशंका है। इसकी जांच उच्च स्तरीय कमेटी करेगी। दो सदस्यीय टीम करेगी जांच

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फर्रुखाबाद डिस्ट्रिक्ट को-आरपेटिव बैंक के कन्नौज शाखा प्रबंधक ने समितियों में गबन दर्शाते हुए रिपोर्ट लखनऊ मुख्यालय रिपोर्ट भेजी थी। इसके आलावा जिले के संबंधित अधिकारियों से कमेटी गठित कर जांच की मांग की थी। इस पर सहायक आयुक्त एवं सहायक निबंधक कन्नौज व सचिव व मुख्य कार्यपालक अधिकारी जिला सहकारी बैंक फतेहगढ़ संयुक्त रूप से जांच के लिए दो सदस्यीय टीम गठित की है। सहायक आयुक्त एवं सहायक निबंधक रामसजीवन वर्मा ने बताया कि जांच चल रही है। अभी रिपोर्ट नहीं मिली है। अपर जिला सहकारी अधिकारी तिर्वा व उप महाप्रबंधक लेखा बैंक, फतेहगढ़ को जांच अधिकारी बनाया गया है। छह समितियों पर 4.35 करोड़ बकाया

कन्नौज सदर ब्लॉक में बरौली, महमूदपुर पैठ, नजरापुर, मौसमपुर मौरारा, सरायमीरा व कन्नौज कछोहा सहकारी समितियां हैं। सभी पर बैंक का 4.35 करोड़ बकाया है, जो अदा न करने पर बैंक ने ऋण देना बंद कर दिया है। इस कारण सभी समितियां बंदी की कगार पर हैं। इस वजह से समितियां अब खाद व कीटनाशक नहीं बेच पा रही हैं।


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