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चढ़ रहा चुनावी तापमान, लोग तय कर रहे जीत-हार का गणित

मौसम में बदला के बीच अब सुबह और शाम ठंड का एहसास होने लगा है। दिन में भी धूप की तपीश अब धीरे धीरे कम हो रही है। लेकिन विधानसभा चुनाव को लेकर मतदान की तिथि नजदीक आने के साथ ही चुनावी तापमान बढ़ता जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 28 Oct 2020 03:47 PM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2020 04:41 AM (IST)
चढ़ रहा चुनावी तापमान, लोग तय कर रहे जीत-हार का गणित
चढ़ रहा चुनावी तापमान, लोग तय कर रहे जीत-हार का गणित

मांझागढ़(गोपालगंज) : मौसम में बदला के बीच अब सुबह और शाम ठंड का एहसास होने लगा है। दिन में भी धूप की तपीश अब धीरे धीरे कम हो रही है। लेकिन विधानसभा चुनाव को लेकर मतदान की तिथि नजदीक आने के साथ ही चुनावी तापमान बढ़ता जा रहा है। जैसे-जैसे मतदान की तिथि नजदीक आ रही है, लोगों पर चुनावी रंग गाढ़ा होते जा रहा है। चौक चौराहों, हाट-बाजारों से लेकर गांवों तथा खेत खलिहानों में लोगों के बीच चुनाव को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। इन चर्चाओं में लोगो की मन की बातें उनकी जुबान पर आने लगी है। लोग अपनी पसंद के प्रत्याशी और राजनीतिक दल के पक्ष में मुखर होने लगे हैं। चुनावी चर्चाओं को लेकर लोगों को बीच हो ही बैठकी में चुनावी तापमान बढ़ गया है। चुनावी बैठकी में लोग जीत हार का गणित तय होने लगा है। इन चर्चाओं में तीखी बहस के साथ ही तल्खी भी बढ़ने लगी है। बुधवार को मांझागढ़ बाजार के बजरंगी चौक के समीप एक दुकान पर चल रही चुनावी बैठकी में चर्चा के दौरान ही तीखी बहस शुरू हो गई। इस बहस में शामिल एक शख्स ने अपना बांह झटका और जोर से कहा कि अब भाषण देले से कुछ न होई, सब केहू जानता के बिहार के विकास के करी। हालांकि बात बिगड़ने से पहले ही चर्चा में शामिल अन्य लोगों ने स्थिति संभाल लिया। हंसी-ठहाकों के बीच फिर से चुनावी चर्चा शुरू हो गई। इस चर्चा में शामिल अमरजीत प्रसाद ने कहा कि अब गांव-गांव में घर घर में बिजली पहुंच गई है। गांव तक सड़कें बन गई हैं। पहले सड़कों तथा बिजली का क्या हाल था, इससे बताने की जरुरत नहीं है। किसी के बहकावे में आने की जरुरत नहीं है। बिहार के भले के लिए काम देखकर वोट करना होगा। इस चर्चा में शामिल विकास कुमार ने इनकी बातों का समर्थन करते हुए कहा कि चुनाव में तो सभी बड़े बड़े दावे करते हैं। सबका काम सामने है। हालांकि इनकी बातों से दाउद अली सहमत नहीं थे। उन्होंने कहा कि विकास हुआ है तो लोग रोजगार के लिए बाहर क्यों जा रहे हैं। विकास के नाम पर केवल लोगों को बरगलाया जा रहा है। अशोक पटेल ने इनकी बातों को काटते हुए कहा कि पहले क्या हाल था। न सड़क ना बिजली, ना ही काम धंधा। पहले और अब के बिहार में जमीन आसमान कर फर्क है। शहर से लेकर गांवों का विकास होने से रोजगार के अवसर बढ़े हैं। विकास को ध्यान में रखते हुए वोट देना चाहिए।

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