भाजपा के वीरेंद्र ने सर्वाधिक मतों से बनाया जीत का रिकॉर्ड
रोसड़ा विधानसभा में भाजपा प्रत्याशी के रूप में पहली बार चुनाव लड़े वीरेंद्र कुमार ने सर्वाधिक मतों से जीत हासिल कर एक नया रिकॉर्ड बनाया है। जमीन से जुड़े पार्टी कार्यकर्ता की इस जीत से जहां पूरे जिले में कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा वहीं सभी राजनीतिक पार्टियों को एक नया संदेश भी दिया।
समस्तीपुर । रोसड़ा विधानसभा में भाजपा प्रत्याशी के रूप में पहली बार चुनाव लड़े वीरेंद्र कुमार ने सर्वाधिक मतों से जीत हासिल कर एक नया रिकॉर्ड बनाया है। जमीन से जुड़े पार्टी कार्यकर्ता की इस जीत से जहां पूरे जिले में कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा वहीं सभी राजनीतिक पार्टियों को एक नया संदेश भी दिया। वीरेंद्र कुमार ने कांग्रेस प्रत्याशी नागेंद्र कुमार विकल को करीब 35 हजार से अधिक मतों से पराजित किया है। एक ओर जिला के अन्य सीटों के साथ-साथ सूबे के अधिकांश सीटों पर जहां दहाई और सैकड़ों अंक से हार जीत का फैसला हुआ है वही बगैर किसी तामझाम के इस कार्यकर्ता द्वारा इतने बड़े अंतर से जीत दर्ज कराना कार्यकर्ता व समर्थकों के साथ साथ आम रोसड़ावासियों में भी चर्चा का विषय बना है । इसके पूर्व वर्ष 2010 में भाजपा प्रत्याशी मंजू हजारी ने 12 हजार119 मत से विजय हासिल कर पहली बार रोसड़ा में कमल खिलाई थी। लेकिन दूसरी बार 2015 में 34 हजार 361 मत से वे कांग्रेस से पराजित हो गई थी। वर्तमान चुनाव में वीरेंद्र ने अपनी वीरता से कांग्रेस को करारा जवाब दिया और 2015 के अधिक अंतराल से पराजित कर उसका हिसाब भी चुकता कर दिया। वही एनडीए से अलग हुए लोजपा के युवराज को भी उन्होंने कड़ा पटकनी दे धूल चटा दिया। सेवक के रूप में मांगा वोट रूपी आशीर्वाद आरएसएस के बाल स्वयंसेवक व भाजपा के जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओं में शामिल वीरेंद्र कुमार का रोसड़ा से दशकों से नाता रहा है। सीमावर्ती क्षेत्र वारिसनगर के किशनपुर निवासी युवा नेता कभी आरएसएस के प्रचारक तो कभी भाजपा के प्रभारी के रूप में लगातार कार्यकर्ताओं और समर्थकों के बीच बने रहे। प्रत्याशी के रूप में नाम की घोषणा होने से पूर्व पार्टी के प्रत्येक कार्यकर्ताओं से संपर्क साधे वीरेंद्र नाम की घोषणा होते ही अपने लक्ष्य के मिशन पर निकल पड़े। दिन हो या रात, सुबह हो या शाम कभी बाइक तो कभी वाहन से गांव के गली मोहल्लों का भ्रमण कर मतदाताओं से अपना सेवक बनाने के लिए वे वोट रूपी आशीर्वाद मांगते रहे। मतदाताओं की माने तो प्रत्याशी की सादगी और व्यवहार कुशलता ने अपनी ओर आकर्षित कर लिया और वोटर ने भी सेवक के रूप में मुहर लगाने का मन बना लिया। भले ही क्षेत्र के कुछ राजनीतिक पंडितों द्वारा इनकी सादगी और सुलभ व्यवहार पर उपहास किया हो लेकिन इतने बड़े अंतराल से जीत दर्ज कराकर वीरेंद्र कुमार ने अपने सादा जीवन उच्च विचार के आदर्श को भी मजबूती से पेश किया है बाहरी उम्मीदवारों को रोसड़ावासियों ने नकारा रोसड़ा विधानसभा के परिणाम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि रोसड़ावासियों ने इस चुनाव में बाहरी उम्मीदवारों को पूरी तरह से नकार दिया है। हालांकि भारी बहुमत से जीत हासिल करने वाले वीरेंद्र कुमार भी जिला के वारिसनगर के निवासी हैं। लेकिन रोसड़ा विधानसभा क्षेत्र के सीमावर्ती होने के साथ-साथ लगातार क्षेत्र से जुड़े रहने के कारण आम मतदाताओं ने भी इन्हें बाहरी के दायरे से अलग रखा। चुनाव में महागठबंधन प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस के नागेंद्र कुमार विकल जहां पटना जिला के रहने वाले हैं। महागठबंधन के कार्यकर्ताओं व समर्थकों के काफी मेहनत के बावजूद वे भाजपा प्रत्याशी से काफी पीछे रह गए। जबकि लोजपा से चुनावी मैदान में उतरे पूर्व सांसद स्वर्गीय रामचंद्र पासवान के पुत्र कृष्णराज भी खगड़िया के निवासी हैं। हालांकि रोसड़ा से लगातार राजनीतिक संबंध रहा है । लेकिन स्थानीय विशेषज्ञों की मानें तो नई पीढ़ी के युवा नेताओं द्वारा क्षेत्र में अपनी पहचान स्थापित नहीं करने के कारण लोजपा को अपने आधार वोट पर ही संतोष करना पड़ा है। परिणाम के पश्चात आम लोगों में जारी चर्चाओं की माने तो मतदाताओं ने इस चुनाव में बाहरी उम्मीदवारों को निश्चित रूप से नकार दिया है।