Bihar Vidhan Sabha Election 2020: मरौना में केवल एक बालिका विद्यालय, छात्राओं को पढ़ाई में होती परेशानी
मरौना को विकास की जिस मंजिल पर पहुंचना चाहिए उस राह में कई रोड़े हैं। छात्रों के लिए शिक्षा यहां आज भी टेढ़ी खीर है और बालिका शिक्षा तो लगभग सपने जैसा है। यहां की अधिकांश बेटियां आज भी हाईस्कूल से आगे नहीं पढ़ पाती हैं।
सुपौल [राजेश कुमार]। एक समय था जब मरौना को कालापानी कहा जाता था। सरकारी अधिकारी और कर्मियों की यहां पोस्टिंग सजा के तौर पर मानी जाती थी। इन सब बातों के कहे जाने के पीछे कारण भी जायज था। जिला मुख्यालय से मरौना जाना मतलब मौत से खेलते हुए जाना होता था। सुबह सुपौल से निकले तो भाग्य ही अच्छा माना जाता था जब लोग शाम तक मरौना पहुंच जाते थे। कोसी की विभिन्न धाराओं को नाव से और बलुआही जमीन पर पैदल चलते हुए मरौना पहुंचा जाता था। बारिश का समय जब कोसी नदी उफान पर होती थी तो कोसी से बाहर के लोगों को नाव पर चढ़ते और नदी पार करते-करते कलेजा मुंह को आता था। दोहाई कोसी माई की करते लोग मरौना पहुंचते थे।
1964 में इसे प्रखंड बनाया गया लेकिन कोसी के कोप के कारण प्रखंड कार्यालय मरौना में नहीं रह सका और इसे मरौना के ही नाम से बेलही में संचालित किया जाने लगा। इधर कोसी महासेतु बनने के बाद राह आसान हुई और मरौना पहुंचना आसान हो गया लेकिन मरौना को विकास की जिस मंजिल पर पहुंचना चाहिए उस राह में कई रोड़े हैं। छात्रों के लिए शिक्षा यहां आज भी टेढ़ी खीर है और बालिका शिक्षा तो लगभग सपने जैसा है। यहां की अधिकांश बेटियां आज भी हाईस्कूल से आगे नहीं पढ़ पाती हैं। यहां एक भी डिग्री या इंटर कॉलेज नहीं है। कुछ विद्यालयों को प्लस टू की मान्यता दी गई है लेकिन शिक्षक हाईस्कूल वाले ही हैं। ऐसे में बालिकाएं हाईस्कूल से आगे की पढ़ाई नहीं कर पाती हैं। अब जब चुनाव सामने है तो यहां की बेटियां इस बाबत सवाल पूछ सकती हैं।
12 पंचायतों में है एकमात्र बालिका विद्यालय
प्रखंड की 13 पंचायतों में से एकमात्र पंचायत बेलही में बालिका विद्यालय है। इसलिए बेटियों का शिक्षा पाना आसान नहीं है। यहां की अधिकांश बेटियों के लिए आज भी उच्च शिक्षा सपने जैसा है। पैसे वाले लोग तो बेटियों को बाहर रख उनकी शिक्षा पूरी करवा लेते हैं लेकिन गरीब माता-पिता उसकी पढ़ाई की ङ्क्षचता नहीं कर शादी की तैयारी में लग जाते हैं। अधिकांश बेटियों की पढ़ाई की हसरत यहां पूरी नहीं हो पाती है।
अभिभावक भी रहते हैं चिंतित
बेटियों के शिक्षा से वंचित रहने के कारण अभिभावकों की ङ्क्षचता भी स्वभाविक है। कोसी के अंदर के निवासी बताते हैं कि एक तो कोसी के अंदर रहना ही बाहर के लोगों को डरा जाता है। ऐसे में बाहर के लोग बांध के भीतर शादी-ब्याह नहीं करना चाहते। खासकर जब बेटी की शादी की बात आती है तो लड़के वाले शिक्षा की जानकारी भी मांगते हैं। बेटियों की शिक्षा मामले में वे लोग पिछड़ जाते हैं और अच्छे घरों में शादी करने में परेशानी होती है। अभिभावकों का कहना है कि इस इलाके में शिक्षा का अपेक्षित विकास नहीं हो पाया इसलिए विकास की बातें यहां बौनी पड़ जाती हैं।