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Bihar, Magadh Election 2020: यह मगध है भईया, जो काम करता उसी की हवा होती है

Bihar Magadh Election 2020 चुनावी प्रचार के चरम के बीच मगध में जब मतदाताओं के मन को टटोला गया तो ठेठ मगही में जवाब मिलता है- ई मगध हौ भइया जे काम करतो ओकरे हावा रहतो । जानिए गया जिले के दस विधानसभा क्षेत्रों के मतदाताओं के मन की बात

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Sat, 24 Oct 2020 10:03 AM (IST)Updated: Sat, 24 Oct 2020 10:03 AM (IST)
Bihar, Magadh Election 2020: यह मगध है भईया, जो काम करता उसी की हवा होती है
बिहार में विधान सभा चुनाव की सांकेतिक तस्‍वीर।

गया से अरविंद शर्मा, स्‍टेट ब्‍यूरो । सियासत में जो चुने जाते हैं, उनके पास वादे निभाने के लिए पूरे पांच वर्ष का मौका होता है, नहीं तो एक दिन पब्लिक की भी बारी आती है और वह किसी को बख्शती नहीं है। गया जिले के दस विधानसभा क्षेत्रों के मतदाता अपने-अपने जनप्रतिनिधियों से पांच साल का हिसाब मांग रहे हैं। अतरी से इमामगंज और वजीरगंज से कोच तक के सैकड़ों गांवों में सन्नाटा है। चुनावी शोर सड़कों, बाजारों और कस्बों में प्रचार वाहनों की वजह से होता है, फिर थम जाता है। हिसाब-किताब करने के गिने-चुने दिन ही शेष रह गए हैं।  28 अक्‍टूबर को मतदाता सबकी किस्मत तय करने वाले हैं।

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अपने-अपने तर्क

प्रत्याशियों को परखने-समझने और आकलन करने के सबके अपने तर्क हैं। अपना नजरिया और जेहन में सवालों की लंबी फेहरिस्त भी है। इमामगंज के दिहासीन गांव के लक्ष्मी पासवान का सबसे बड़ा सवाल कि पांच साल कहां रहे? दर्शन क्यों नहीं दिए? समस्याओं से तो हम जैसे-तैसे निपट लेंगे, लेकिन वादे करके वोट लेने के बाद कहां गायब हो गए? लक्ष्मी पासवान का यह सवाल जीतनराम मांझी से है, जो हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम)  के प्रमुख हैं और इमामगंज से प्रत्याशी भी।  जिन्हेंं पांच साल पहले लक्ष्मी ने इस उम्मीद से वोट दिया था कि बड़े नाम वाले नेता हैं। समस्याएं अपने आप खत्म हो  जाएंगी। लक्ष्मी को लगता है कि वह हर बार ठगे जाते रहे हैं। इसके पहले उन्होंने उदय नारायण चौधरी को भी पसंद  किया था। किंतु अपेक्षाएं उधर से भी पूरी नहीं हो सकी थीं। इसलिए अबकी ठोक-ठेठा के वोट करेंगे। मांझी और चौधरी के साथ लोजपा की शोभा पासवान पर भी विचार होगा।

सवाल निकला नहीं कि जवाब हाजिर

गया मुकम्मल मगध है। यहां के लोग अपनी बात बेबाकी से कहते हैं। सवाल निकला नहीं कि जवाब हाजिर। इमामगंज से लौटते वक्त शेरघाटी में जीटी रोड के किनारे चाय की दुकान के बाहर भीड़ है। आठ-दस लोग खड़े होकर हार-जीत के फार्मूले पर मंथन कर रहे थे। उनसे सीधा सवाल किया गया-इधर किसका माहौल है। उनमें से एक युवक बब्लू खान का जवाब भी मुंह पर था- ई मगध हौ भइया, जे काम करतो ओकरे हावा रहतो। अबरी खाली वादा पर न जैबो। काम भी खोजबो। कलमन पंचायत के मुखिया टुनटुन यादव ने बब्लू के दो-टूक जवाब की भरपाई करने की कोशिश की। कहा-जदयू को दो बार से जीता रहे हैं। काम का हिसाब तो होगा ही, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि अन्य प्रत्याशियों से नहीं पूछा जाएगा। उनसे भी उनका एजेंडा मांगा जाएगा। शेरघाटी में जदयू, राजद और जन अधिकार पार्टी में टक्कर है।

यहां का दर्द थोड़ा अलग

टिकारी का दर्द थोड़ा अलग है। पिछली बार जिन्हेंं चुनकर विधानसभा भेजा गया, उन्होंने इस बार क्षेत्र बदल लिया है। जदयू ने टिकारी के विधायक अभय कुशवाहा को बेलागंज से मैदान में उतारा है। ऐसे में बिकन बिगहा के बालस्वरूप यादव की दुविधा है कि आक्रोश की अभिव्यक्ति कहां करें। कुसेता गांव के सुरेश यादव कहते हैं कि जात के नाम पर तो पहले शिवबच्चन यादव को वोट देता था, लेकिन उन्होंने मेरे लिए क्या किया। इसलिए अबकी जात-पात के नाम पर वोट नहीं पड़ेगा। जो पढ़ा-लिखा और काबिल होगा, उसे मेरा समर्थन रहेगा।

यहां अलग बयार

गुरुआ में अलग बयार है। यहां भाजपा के राजीव रंजन दागी विधायक हैं। गुरारू से आगे बढऩे पर करीब दस किमी पर मंगरामा गांव है। रोड किनारे पेड़ के नीचे ताश के पत्ते फेंटे जा रहे थे। जब चुनाव की चर्चा शुरू हुई तो 80 वर्ष के देवनंदन शर्मा की आंखों से जवानी झांकने लगी। पिछली बार नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट किया था। अबकी काम के नाम पर आकलन कर रहा हूं। जो भी कसौटी पर खरा उतरेगा, मेरा वोट उसी को जाएगा। ...और प्रत्याशी तो 23 हैं लेकिन मुख्य रूप से कसौटी पर अभी तीन हैं।

नए संकल्प के साथ बेहतर कल की उम्‍मीद

प्रचार के मात्र तीन दिन शेष बचे हैं। फिर भी गया के मतदाताओं की दुविधा खत्म नहीं हुई है। निराशा में भी उम्मीदों को जिंदा रखने वाले इस इलाके की आंखों में स्वर्णिम सपने हैं। कोरोना के संकटों से निजात पा लेने का विश्वास है और जनप्रतिनिधियों से अपेक्षाओं में रत्ती भर भी कमी नहीं आई है। इसलिए वे नए संकल्प के साथ बेहतर कल का चयन करने के लिए व्यग्र हैं। बस, इंतजार है 28 अक्टूबर का।


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