Islampur Election 2020: इस्लामपुर में राजग व महागठबंधन में सीधी टक्कर, 54.60 पड़े वोट
Islampur Election News 2020 इस्लामपुर सीट पर जदयू से मुकाबले में राजद के लिए पार्टी के बागी उम्मीदवार की चुनौती से पार पाना होगा। यह उतना आसान भी नहीं है। जदयू इस सीट पर लगातार कई बार जीत दर्ज करता रहा है।
जेएनएन, नालंदा। इस्लामपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में जदयू एवं राजद के बीच लड़ाई सीधी है। राजद के बागी महेंद्र सिंह यादव ने निर्दल नामांकन कर राजद प्रत्याशी राकेश रौशन की परेशानी बढ़ा दी है। लोजपा लड़ाई से बाहर दिख रही है। जदयू ने विधायक चंद्रसेन प्रसाद पर दोबारा भरोसा कर उन्हें मैदान में उतारा है। अन्यथा पिछले दो चुनावों में जद यू यहां चेहरे बदलते आई है। जदयू एनडीए का हिस्सा रहे या महागठबंधन का, लगातार जीतती रही है। नए सामाजिक समीकरण साधने के लिए भाजपा ने 2015 के चुनाव में यादव जाति का प्रत्याशी दिया, पर 22 हजार 602 वोटों से बड़े फासले से चुनाव हार गई। इस बार बदले समीकरण में राजद के साथ महागठबंधन में कम्युनिस्ट पार्टियां जुड़ी हुई है। यहां मतदान संपन्न हो चुका है और करीब 54.60 फीसद मतदाताओं ने मत का इस्तेमाल किया है।
कम्युनिस्ट भी पुराना दौर लौटने की चाह में
इस्लामपुर कम्युनिस्ट आंदोलन का इलाका रहा है। कभी कम्युनिस्ट पार्टी यहां से चुनाव भी जीतती रही है। इस बार कम्युनिस्ट दलों की कोशिश है कि अपने पुराने प्रभुत्व का प्रदर्शन कर सीट पर कब्जा कर लिया जाए। चुनावी अखाड़े में दोनों प्रमुख प्रतिद्वंद्वी की अपनी पकड़ और पहचान है। राकेश रौशन वर्ष 2010 तक सीपीआई के टिकट पर चुनाव लड़ते रहे हैं। फिर राजद में शामिल हो गए। इनके पिता कृष्णबल्लभ यादव इस्लामपुर से दो बार विधायक रह चुके थे। जद यू के चंद्रसेन प्रसाद पिछले पांच साल से विधायक हैं। इस सीट पर कुल 17 उम्मीदवार मैदान में हैं।
प्रमुख प्रत्याशी
चंद्रसेन प्रसाद : जदयू
राकेश कुमार रौशन : राजद
महेंद्र सिंह यादव : निर्दलीय
नरेश प्रसाद सिंह : लोजपा
प्रमुख तथ्य
कुल मतदाता : 2,92,124
पुरुष : 1,55,634
महिला : 1,36,461
ट्रांसजेंडर : 9
मतदान केंद्र : 305
सहायक मतदान केंद्र : 120
वर्ष - कौन जीता - कौन हारा
2015 - चंद्रसेन प्रसाद, जदयू - वीरेंद्र गोप, भाजपा
2010 - राजीव रंजन, जदयू - वीरेंद्र कुमार, राजद
2005 - रामस्वरूप प्रसाद, जदयू - राकेश कुमार, सीपीआई
प्रमुख मुद्दे
1 : अतिक्रमण व जाम - इस्लामपुर नगर पंचायत क्षेत्र के लिए अतिक्रमण नासूर बन गया है। आए दिन शहर की रफ्तार जाम से थम जाती है परंतु स्थाई तौर पर अतिक्रमण हटाने व सड़क जाम की समस्या दूर करने के लिए ठोस प्लान पर काम नहीं हो सका। शहर में नो इंट्री तो लगाई जाती है, परंतु पालन नहीं होता। अतिक्रमण पूरे बाजार में है। कई दुकानें सड़क से सटे हैं। पार्किंग के लिए दुकानदारों ने जगह नहीं छोड़ा है। लिहाजा ग्राहकों को सड़क पर साइकिल, मोटरसाइकिल लगाकर मार्केटिंग करनी पड़ती है। वहीं कुछ दुकानदार अपनी दुकानें सड़क तक लगा देते हैं। जिस वजह से सड़क महज 10 से 12 फीट चौड़ी रह गई है। इन सबके अलावा व्यवसायी व्यस्ततम समय में बीच सड़क पर सामानों की लोडिंग-अनलोडिंग भी कराने लगते हैं। बाजार के तीन-चार जगहों पर रोज इस तरह का नजारा देखने को मिलता है। थाना रोड, पटना रोड बस स्टैंड एवं ग्रामीण बैंक के समीप स्थिति अत्यंत दुरुह है। वहीं सब्जी बेचने वाले एवं ठेला- रेहड़ी वाले के चलते भी जाम लगा रहता है। सब्जी बाजार को शिफ्ट कराने को लेकर कोई पहल नहीं की गई तो सब्जी विक्रेता सड़क किनारे अपनी दुकान लगाने को मजबूर हैं। यह जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों की कमजोर इच्छा शक्ति को दर्शाता है।
2 : मुहाने नदी में अतिक्रमण - इस्लामपुर विधानसभा क्षेत्र के बड़े हिस्से में बहने वाली मुहाने नदी 70 के दशक तक सदा नीरा थी। धीरे-धीरे इस पर नदी के हिस्सों पर जगह-जगह लोगों ने अतिक्रमण करना शुरू कर दिया। समाज की भागीदारी से जमीन की लूट होती रही। नगर पंचायत भी इस पर दिलचस्पी लेते हुए मुहाने नदी के जमीन पर कब्जा कर एक बड़ा मार्केट बना दिया और सरकार मूकदर्शक बनी रही। आज मुहाने नदी पर कब्जा करके सैकड़ों मकान बन चुके हैं। कई कॉलोनी बस गई है। परंतु कभी किसी जनप्रतिनिधियों ने गंभीरता से अतिक्रमण हटाने का प्रयास नहीं किया। वजह कुछ लोगों की नाराजगी का डर रहा। इस वजह से आबादी को मुहाने नदी के लाभ से वंचित रखा गया।
3 : अनुमंडल व नगर परिषद बने इस्लामपुर - वर्षों से इस्लामपुर को अनुमंडल बनाने की मांग यहां के जनप्रतिनिधि व आम लोग करते रहे हैं। परंतु यह महज एक चुनावी जुमला साबित हुआ। जीतने के बाद किसी नेता ने इस्लामपुर को अनुमंडल का दर्जा दिलाना तो दूर कभी चर्चा तक नहीं की। चुनाव के आगमन को लेकर इस्लामपुर वासियों में फिर एक बार आस जगी है कि मुख्यमंत्री शायद इस बार उनकी बात सुन लें। इसके अलावा खुदागंज को प्रखंड व इस्लामपुर को नगर परिषद का रुतबा दिलाने की मांग भी उठने लगी है।
4 : पार्क की जरूरत - इस्लामपुर के लोग एक अदद पार्क के लिए दशकों से तरस रहे हैं। खुद को तंदुरुस्त रखने की चाह रखने वाले लोगों के लिए यह मांग पुरानी है। परंतु सुबह में सैर करने की यहां कोई जगह नहीं है। पुरुष तो इस्लामपुर-गया मुख्य मार्ग और इस्लामपुर-पटना मुख्य मार्ग पर टहलने के लिए निकल जाते हैं। लेकिन महिलाएं व बच्चे नहीं निकल पाते हैं। लोगों का कहना है कि बूढा नगर में सूर्य मंदिर के पास पार्क बनाने की मांग वर्षों से की जा रही है। नगर के बीच का स्थल पार्क के लिए सर्वोत्तम है। सड़क पर टहलने के कारण आए दिन मॉर्निंग वाकर हादसे के शिकार भी होते रहे हैं।
5 : पान की खेती - इस्लामपुर प्रखंड पान की खेती के लिए मशहूर रहा है। यहां का मगही पान वाराणसी व दिल्ली तक बेचा जाता है। इन्हीं तथ्यों के मद्देनजर यहां एक दशक पहले पान अनुसंधान केन्द्र की स्थापना की गई। परंतु यह केंद्र किसानों से समन्वय बनाने में उतना सफल नहीं रहा, जितनी अपेक्षा थी। केन्द्र में सृजित पद के मुकाबले विज्ञानियों की संख्या भी कम है। हर साल मौसम की मार से फसल बर्बाद होती है। इस साल लॉक डाउन में बिक्री नहीं होने से पान की फसल खेत में ही सड़ गई। लेकिन आज तक यहां पान प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना नहीं हो सकी। जिससे पान का अर्क निकालकर किसानों को कमाई हो सके। हालांकि एक हर्बल गार्डेन बना है। जहां से प्रयोग के तौर पर हर गांव के एक किसान को मुफ्त में औषधीय पौधे दिए जा रहे हैं। परंतु यह प्रयोग अभी पहले ही चरण में है।