Bihar Election 2020: सियासी जमीन पर आधार तलाश रहे जीतनराम मांझी व मुकेश साहनी, अग्निपरीक्षा से कम नहीं चुनाव
Bihar Assembly Election 2020 जीतनराम मांझी व मुकेश सहानी के लिए आगामी विधानसभा चुनाव अस्तित्व की लड़ाई है। बीते विधानसभा चुनाव के बाद सामने आए दोनों के दल अपने लिए सियासी जमीन तलाश रहे हैं। मजबूत सियासी आधार के लिए उनके लिए सम्मानजनक जीत जरूरी है।
पटना, राज्य ब्यूरो। Bihar Assembly Election 2020: विकासशील इंसान पार्टी (VIP) और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के लिए आगामी बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। दोनों ही दल करीब पांच वर्ष पहले अस्तित्व में आए और इन वर्षों में लगातार अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतनराम मांझी (Jitan Ram Manjhi) मुख्यमंत्री (CM) रह चुके हैं तो विकासशील इनसान पार्टी सुप्रीमो मुकेश साहनी (Mukesh Sahani) फिल्मी दुनिया से राजनीति में आए हैं।
मुख्यमंत्री रह चुके मांझी, राजनीति पलटी तो गंवानी पड़ी कुर्सी
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम मांझी एक वक्त में बिहार के मुख्यमंत्री बने, लेकिन इसके बाद राजनीतिक उलटफेर में उन्हें कुर्सी गंवानी पड़ी। बाद में मांझी ने अपनी पार्टी बना ली। पार्टी बनाने के बाद से मांझी की पार्टी एक विधानसभा और एक लोकसभा चुनाव लड़ चुकी है। पार्टी ने दिल्ली और झारखंड के चुनाव में भी किस्तम आजमाई पर सफलता नहीं मिली। 2015 के विधानसभा चुनाव में 23 सीटें लड़कर मांझी पार्टी में जीतने वाले एकमात्र नेता थे। 2019 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने तीन सीटें पर चुनाव लड़ा पर एक भी सीट नहीं जीत पाए।
फिल्मी दुनिया से राजनीति में आए मुकेश, तलाश रहे आधार
दूसरी ओर, फिल्मी दुनिया की चकाचौंध से निकल मुकेश सहनी ने 2015 में बिहार की राजनीति में एंट्री ली। पहले वे भाजपा के साथ रहे, बाद में महागठबंधन के पाले में आ गए। सहनी की विकासशील इंसान पार्टी को अब तक एक चुनाव में किस्मत आजमाने का मौका मिला है। 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने भी तीन सीटों पर चुनाव लड़ा मगर बड़ी पराजय का सामना करना पड़ा।
मांझी-मुकेश के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं विधानसभा चुनाव
इन दोनों पार्टियों के अस्तित्व के लिए यह चुनाव किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। राजग गठबंधन में मांझी जदयू से मिली सात सीटों पर चुनाव मैदान में हैं तो विकासशील इंसान पार्टी भाजपा से मिली 11 सीटों पर। विश्लेषक भी मानते हैं कि इन दोनों दलों को जीत के साथ अपने स्ट्राइक रेट के लिए भी काम करना होगा। अगर इसमें पिछड़ गए तो फिर इनके पास पांच साल के इंतजार के सिवा और कुछ होगा नहीं। साख पर सवाल उठेंगे।