Bihar Election 2020: महागठबंधन के वोट बैंक में सेंध लगा सकते हैं छोटे दलों के समूह, राजग को फायदा
छोटी पार्टियों का गठजोड़ विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के प्रत्याशियों को कुछ अधिक परेशान करने वाला साबित हो सकता है। कोसी-सीमांचल की 60 सीटें सरकार गठन में निर्णायक साबित हो सकती हैं। उन पर त्रिकोणीय संघर्ष होता है तो राजग की तुलना में महागठबंधन के प्रत्याशियों को ज्यादा मुश्किल होगी।
दीनानाथ साहनी, पटना। बिहार में छोटी-छोटी पार्टियों का गठजोड़ इस बार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के प्रत्याशियों को कुछ अधिक परेशान करने वाला साबित हो सकता है। कोसी-सीमांचल की 60 सीटें सरकार गठन में निर्णायक साबित हो सकती हैं। उन पर त्रिकोणीय संघर्ष होता है, तो राजग की तुलना में महागठबंधन के प्रत्याशियों को ज्यादा मुश्किल होगी।
जातीय और सामुदायिक समीकरण के आधार पर निर्णय
दरअसल, असदुद्दीन ओवैसी की एआइएमआइएम, पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी के अलावा उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी नीत गठबंधन ने भी कोसी और सीमांचल में जातीय और सामुदायिक समीकरण के आधार पर उम्मीदवारों को उतारने का निर्णय लिया है। पिछले चुनाव में इनमें से अधिसंख्य सीटों पर महागठबंधन (राजद, जदयू और कांग्रेस) ने कब्जा किया था। इस बार जदयू राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में है और महागठबंधन के वोटों के विभाजन का लाभ उठाने की ताक में।
वोटों के बंटने का सीधा फायदा राजग के उम्मीदवारों को
कोसी-सीमांचल के सियासी मिजाज के जानकार प्रो. एजाज अहमद कहते हैं कि वोटों के बंटने का सीधा फायदा राजग के उम्मीदवारों को होगा। मधेपुरा स्थित बीएन मंडल विवि में राजनीतिक विज्ञान के प्राध्यापक प्रो. अमरकांत मिश्र कहते हैं कि महागठबंधन के प्रभाव वाले इस क्षेत्र में यदि राजग अच्छे प्रत्याशी दे तो निर्णायक फायदा मिल सकता है। राजग को इसका अहसास है, इसलिए वह कोई कसर छोड़ना नहीं चाहता है। बेरोजगारी और बदहाली से यह इलाका पिछड़ा हुआ है, जिसका सवाल उठ सकता है।
बिहार में इसबार तीन चरणों में चुनाव
कोरोना काल शुरू होने के बाद पहली बार देश के किसी राज्य में चुनाव हो रहा है। बिहार में संक्रमण की वजह से तीन चरणों में चुनाव होगा। पहले फेज 28 अक्टूबर होगा। इसके बाद दूसरे चरण का चुनाव तीन नवंबर तो तीसरे चरण का चुनाव सात नवंबर को होगा। दस नवंबर को बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम आ जाएंगे।