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Bihar Election 2020: जनता है आक्रामक, पहली बार जनता विधायकों को घेरकर मांग रही है हर वादे का हिसाब

Bihar Election 2020 यह बिहार के मतदाताओं की एकदम नई प्रवृति है । कई क्षेत्रों में विधायकों को घेरकर लोग मांग रहे उनका रिपोर्ट कार्ड। जन प्रतिनितिध कह रहे विधायक बना दीजिए। सब काम करवा देंगे। जनता मानने के लिए तैयार नहीं। जानिए क्‍यों और कैसे जनता है आक्रामक ।

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 12:13 PM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 12:13 PM (IST)
Bihar Election 2020: जनता है आक्रामक, पहली बार जनता विधायकों को घेरकर मांग रही है हर वादे का हिसाब
बिहार विधान सभा चुनाव में जनता और नेता की सांकेतिक तस्‍वीर ।

पटना, राज्य ब्यूरो। Bihar Election 2020:  पूर्व सांसद वीरेंद्र चौधरी को क्या पता था कि विधानसभा चुनाव में उनसे सांसदी का हिसाब मांगा जाएगा। लेकिन, मांगा जा रहा है। वे जवाब नहीं दे पा रहे हैं। चौधरी 2014-19 के बीच झंझारपुर के सांसद रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने उन्हें टिकट नहीं दिया। अभी इसी क्षेत्र से रालोसपा उम्मीदवार की हैसियत से चुनाव लड़ रहे हैं। वोट मांगने एक गांव में गए थे। वोटरों ने याद दिलाया कि लोकसभा चुनाव के समय उन्होंने इस गांव के लिए क्या सब वादा किया था। वे बार-बार सफाई दे रहे थे। कह रहे थे कि विधायक बना दीजिए। सब काम करवा देंगे। जनता मानने के लिए तैयार नहीं हो रही थी। नाराज लोगों को अधिक समझाने के बदले उन्होंने लौट कर किसी और गांव में जाना मुनासिब समझा।

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नई प्रवृति से नेताजी परेशान हैं

यह बिहार के मतदाताओं की एकदम नई प्रवृति है। इससे पहले पार्टी नेतृत्व खुद उन विधायकों को टिकट देने से मना कर देता था, जिनके बारे में जनता की नाराजगी की शिकायत मिलती थी। नेतृत्व ने यह काम इस बार भी किया। सभी दलों ने क्षेत्र में कमजोर पकड़ रखने वाले विधायकों के बारे में जानकारी जुटाई। करीब दर्जन भर विधायक टिकट कटने की आशंका में दूसरे दल में चले गए। दूसरे दलों से उम्मीदवारी भी मिली। फिर भी पिछले काम का हिसाब मांगने में जनता कोई चूक नहीं कर रही है। बिहार के चुनावों की खास बात यह रही है कि लोग उम्मीदवार के बदले पार्टी को वोट देते रहे हैं। उम्मीदवार कैसा भी हो, पार्टी के पक्ष में लहर है तो जीत की गारंटी मानी जाती थी। अब ऐसा नहीं है। पार्टी की ओर से उम्मीदवार घोषित होने के बावजूद जनता बहस कर रही है। वह पता कर रही है कि उम्मीदवार ने टिकट के लिए किस किस तरह के करम किए। इस नई प्रवृति ने नेतृत्व को भी परेशान कर दिया है।

आक्रामक है जनता का रूख

पांच साल का हिसाब लेने में जनता का रूख कहीं कहीं आक्रामक भी हो जाता है। सरकार के योजना एवं विकास मंत्री महेश्वर हजारी अपने क्षेत्र कल्याणपुर में भ्रमण कर रहे थे। गांव वालों ने वादा पूरा न करने के आरोप में उन्हें आधे रास्ते से वापस कर दिया। पर्यटन मंत्री प्रमोद कुमार मोतिहारी से भाजपा टिकट पर पिछली बार चुनाव जीते थे। उन्होंने कुछ हिस्से में सड़क बनाने का वादा किया था। सड़क नहीं बनी। सड़क पर जल जमाव है। वोट मांगने गए तो जनता ने आग्रह किया कि सड़क के जल जमाव वाले हिस्से पर वे पदयात्रा करें। वह ऐसा नही कर पाए। जनता-मंत्री संवाद का वीडियो जारी किया गया है। मंत्री जी बता रहे हैं कि टेंडर हो चुका है। चुनाव के बाद निर्माण शुरू हो जाएगा। उनके नए आश्वासन से जनता राजी नहीं होती है। बेचारे बिना वोट मांगे लौट जाते हैं।

पीएचसी क्यों नहीं बना

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सड़क, स्वास्थ्य और बिजली के क्षेत्र में हुई सरकार की उपलब्धि की चर्चा जरूर करते हैं। विरोधाभास देखिए। विधायकों का ज्यादा विरोध सड़क और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमियों को लेकर हो रहा है। आपदा प्रबंधन मंत्री लक्ष्मेश्वर राय मधुबनी जिला के लौकहा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं। पांच साल पहले उन्होंने क्षेत्र के रसियारी गांव स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की मरम्मत का आश्वासन दिया था। पूरे कार्यकाल में वे इसकी मरम्मत नहीं करा पाए। अभी वोट मांगने गए तो गांव वालों ने उनसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का मुआयना करवा दिया। इसके अलावा रोड नहीं तो वोट नहीं का बैनर लगाकर भी लोग हिसाब मांग रहे हैं। प्राय: हरेक क्षेत्र में इस तरह की घटनाएं हो रही हैं। इनसे उम्मीदवारों को सीख भी मिल रही है कि वादा करके भूल जाना अब पहले की तरह आसान नहीं रहा।


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