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Arwal Election 2020 : अरवल में भाजपा के दीपकऔर माले के महानंद के बीच आमने सामने की टक्‍कर के आसार

Arwal Election News 2020 अरवल विधानसभा क्षेत्र से इस चुनाव में 23 प्रत्‍याशी मैदान में हैं। भाजपा ने दीपक शर्मा जबकि भाकपा माले ने महानंद को प्रत्‍याशी बनाया है। हालांकि प्रत्‍याशियों की संख्‍या अधिक होने के कारण वोटों में सेंधमारी से इन्‍कार नहीं किया जा सकता।

By Bihar News NetworkEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 03:33 PM (IST)Updated: Wed, 28 Oct 2020 09:47 PM (IST)
Arwal Election 2020 : अरवल में भाजपा के दीपकऔर माले के महानंद के बीच आमने सामने की टक्‍कर के आसार
भाजपा के दीपक शर्मा और माले के प्रत्‍याशी महानंद की तस्‍वीर ।

जेएनएन, जहानाबाद। Bihar Election 2020:  कभी नक्सली गतिविधियों और सामूहिक नरसंहारों के लिए कुख्यात अरवल जिले की अरवल विधानसभा सीट का माहौल पूरी तरह चुनावी हो गया है। सोन नदी के किनारे स्थित इस विधानसभा की सीमाएं जहानाबाद और औरंगाबाद जिले से मिलती हैं। यहां उम्मीदवारों की संख्या काफी अधिक है। कुल 23 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। पिछले चुनाव में राजद के रवींद्र सिंह चुनाव जीते थे। लेकिन इस बार सीट भाकपा माले के हिस्से में चली गई। माले ने महानंद को प्रत्याशी बनाया है। वहीं राजग की ओर से भाजपा ने दीपक शर्मा को मैदान में उतारा है। इनके अलावा रालोसपा से सुभाष चंद्र यादव, जाप से अभिषेक रंजन भी मैदान में प्रमुखता से डटे हैं। हालांकि भाजपा और माले में आमने-सामने की टक्कर के आसार हैं। यहां सदर अस्पताल की बदहाली, ब्लड बैंक, सड़क जाम आदि प्रमुख समस्या है। यहां आज मतदान हो गया।

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दोनों पूर्व विधायकों का कटा टिकट

राजद विधायक रवींद्र सिंह यहां दूसरी बार चुनाव जीते थे। पहली बार 1995 में वे जनता दल के टिकट पर विधायक बने और दूसरी बार 2015 में। लेकिन महागठबंधन में इस बार सीट भाकपा माले को जाने के कारण वे बेटिकट हो गए। इसी तरह भाजपा ने 2010 में विधायक बने चितरंजन कुमार को इस बार टिकट नहीं दिया।

सर्वाधिक चार बार जीत चुके हैं निर्दलीय प्रत्याशी

अरवल विधानसभा क्षेत्र 1951 में अस्तित्व में आया। इस सीट पर अबतक कुल 16 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। इनमें चार बार निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है। कांग्रेस, सीपीआइ, राजद, भाजपा और लोजपा के टिकट पर चुनाव लडऩे वाले भी जीते हैं।  पहली बार सोशलिस्ट पार्टी के गोदानी सिंह यहां विधायक चुने गए थे। 1957 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के बुद्धन मेहता विजयी हुए। अगले चुनाव में भी उन्होंने जीत का सिलसिला जारी रखा। सन 1967 में सीपीआइ के जुबेर यहां से जीते। 1969 में भी उन्होंने सीट बरकरार रखी। इसके बाद 1972 में निर्दलीय प्रत्याशी रंग बहादुर सिंह निर्वाचित हुए।

इन्होंने किया प्रतिनिधित्व

1951 गोदानी सिंह यादव एसपी

1957 बुद्धन मेहता कांग्रेस

1962 बुद्धन मेहता कांग्रेस

1967 एस जुबैर सीपीआइ

1969 एस जुबैर सीपीआइ

1972 रंगबहादुर सिंह निर्दलीय

1977 बानेश्वर प्रसाद सिंह जेएनपी

1980 कृष्णनंदन प्र सिंह निर्दलीय

1985 कृष्णनंदन प्र सिंह निर्दलीय

1990 कृष्णनंद प्र सिंह निर्दलीय

1995 रवींद्र सिंह जनता दल

2000 अखिलेश प्रसाद सिंह राजद

2005 दुलारचंद सिंह यादव लोजपा

2010 चितरंजन कुमार भाजपा

2015 रवींद्र सिंह राजद


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