Bihar Assembly Elections 2020: सीमांचल के इस विधानसभा में आधी आबादी को टिकट देने से बचते हैं राजनीतिक दल
सहरसा में आधी आबादी को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल पा रहा है। वर्ष 1957 में सहरसा विधानसभा का गठन हुआ। कांग्रेस की टिकट पर सत्तर कटैया प्रखंड के पटोरी निवासी विशेश्वरी देवी विजयी हुई। इसके बाद अधिकांश समय सहरसा विधानसभा में पुरुषों की ही दावेदारी रही है।
सहरसा, जेएनएन। आधी आबादी को आरक्षण की बात करने वाली राजनीतिक पार्टियां आधी आबादी को टिकट देने परहेज है। यदि कुछ मौकों को छोड़ दें तो अधिकांश समय सहरसा विधानसभा में पुरुषों की ही दावेदारी रही है। वैसे सहरसा विधानसभा सीट से पहली बार कोई पुरुष नहीं महिला की विधायक हुईं थी।
वर्ष 1957 में सहरसा विधानसभा का गठन हुआ। कांग्रेस की टिकट पर सत्तर कटैया प्रखंड के पटोरी निवासी विशेश्वरी देवी विजयी हुई। इस विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने दो बार महिलाओं को टिकट दिया। जिसमें एक बार वो विजयी हुईं। वर्तमान समय में राजनीतिक दलों में महिलाएं सक्रिय हैं। भाजपा के प्रदेश महिला मोर्चा की अध्यक्ष सहरसा की लाजवंती झा हैं।
राजनीतिक दलों को है टिकट देने से है परहेज
जिले में टिकट वितरण की बात करें तो सहरसा विधानसभा क्षेत्र से किरण झा एवं पूर्व सांसद लवली आनंद विधानसभा में मान्यता प्राप्त दलों से टिकट प्राप्त कर चुनाव तो लड़ी हालांकि वो सफल नहीं हो पायीं। 1957 के बाद 2000 में दो प्रमुख दलों कांग्रेस और एनडीए ने महिला उम्मीदवार को टिकट दिया। एनडीए की तरफ से बिपीपा के टिकट पर लवली आनंद चुनावी मैदान में थी तो कांग्रेस ने किरण झा को अपना उम्मीदवार बनाया था। वहीं महिषी की सीट पर पूनम देव निर्दलीय लड़ीं तो सोनवर्षा सुरक्षित सीट से सरिता पासवान दो बार लोकजनशक्ति पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ीं।
दिग्गज रमेश झा को विशेश्वरी देवी ने किया था पराजित
वर्ष 1957 में सहरसा विधानसभा का गठन हुआ। कांग्रेस ने सत्तरकटैया प्रखंड के पटोरी निवासी विशेश्वरी देवी को अपना उम्मीदवार बनाया और उन्होंने युवा नेता रमेश झा को 274 मतों से पराजित किया। रमेश झा उस समय प्रजा सोशलिस्ट पार्टी में थे। इससे पूर्व वर्ष 1952 में तत्कालीन विधायक रमेश झा धरहरा विधानसभा से निर्वाचित हो चुके थे।
राजेंद्र दास के नहीं लडऩे पर पत्नी को मिली थी उम्मीदवारी
पहली बार विधानसभा चुनाव के टिकट वितरण की कहानी भी दिलचस्प है। विशेश्वरी देवी के पति राजेन्द्र लाल दास कोसी के जाने-माने स्वतंत्रता सेनानी थे। इस कारण कांग्रेस के बड़े नेताओं से उनका सीधा संपर्क था। वर्ष 1936 में कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में उनका संपर्क काका कालेलकर और घनश्याम दास बिड़ला से हुआ। जिसके बाद उन्हें कांग्रेस के भागलपुर जिला सचिव बनाया गया। 1957 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने राजेन्द्र लाल दास को अपना उम्मीदवार बनाने की सोची लेकिन उन्होंने चुनाव लडऩे से मना कर दिया। तब उनकी पत्नी विशेश्वरी देवी को उम्मीदवार बनाया गया। बाद में वो सहरसा विधानसभा की प्रथम विधायक निर्वाचित हुई।