बिहार विधानसभा चुनाव 2020 : सीमांचल में उत्सवी माहौल में जनता उदास, अब भी ऊहापोह की स्थिति
कोसी और सीमांचल में विधानसभा चुनाव में अब भी जनता उदास दिख रही है। जनता के उदास चेहरे पर बनी झुर्रियां बता रही हैं कि उसने कितने वादे सुने उसके कितने सपनों का कत्ल हुआ। किस प्रकार उसकी आंखों के सामने उसके बच्चे डूब कर मर गए।
सहरसा, जेएनएन। मतदान की तारीख तय है लेकिन अभी दूल्हा(उम्मीदवार) तय नहीं हुआ है। वैसे बाराती (कार्यकर्ता) धूम मचा रहे हैं। इलाके में उत्सवी माहौल है। लेकिन, इस उत्सवी माहौल में जनता खामोश है। उसके चेहरे पर उदासी है। जनता के उदास चेहरे पर बनी झुर्रियां बता रही हैं कि उसने कितने वादे सुने, उसके कितने सपनों का कत्ल हुआ। किस प्रकार उसकी आंखों के सामने उसके बच्चे डूब कर मर गए। कैसे कोसी उसके पुरखों की जमीन निगल गयी। खुद प्रवासी मजदूर बन गया। कैसे अस्पताल के अभाव में प्रसव पीड़ा सहते-सहते उसकी पत्नी दुनिया से कूच कर गयी। कैसे बेहतर शिक्षा की आस में आज भी अपने कलेजे के टुकड़े को खुद से दूर करना पड़ता है। ऐसे मुद्दे जनता के जेहन में फिर से कौंध रहे हैं। चुनाव आया है तो सपने बेचने वाले फिर उसके इर्द-गिर्द सपनों का जाल बुन रहे हैं।
कोसी नदी पर बलुआहा पुल निर्माण के बाद क्षेत्र के लोगों की प्राथमिकता इस मुख्य पथ से गांव को जोडऩे की थी। इसके लिए प्रधानमंत्री ग्राम संपर्क योजना एवं मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क योजना के तहत दो दर्जन से अधिक सड़कों का निर्माण करवाया गया। कुछेक सड़कों जैसे बहोरवा से सिसौना को जोडऩे वाली सड़क हो अथवा लिलजा को पश्चिमी तटबंध से जोडऩे वाली सड़क निर्माण कार्य संवेदक के असमर्थता के कारण पांच वर्ष बाद भी पूरा नहीं किया जा सका। बघवा पंचायत के बघवा गांव के लोगों को आज भी मुख्य सड़क से जुडऩे का इंतजार है और भी लगभग आठ से दस गांव ऐसे हैं जहां पक्की सड़क नहीं पहुंच पायी है। कमोबेश नवहट्टा प्रखंड का भी यही हाल है। तटबंध के अंदर जो सड़कें बनी वो बाढ़ की चपेट में आकर ध्वस्त हो रही है। दर्जनों गांव आज भी पक्की सड़क को तरस रहे हैं।
दियारा में इलाज को तरसती है जनता
विधानसभा क्षेत्र में महिषी, नवहट्टा व सत्तरकटैया प्रखंड मुख्यालय में सामुदायिक अस्पताल चालू है। इसके अलावा तटबंध के अंदर बसे लोगों को सहज और नजदीक में चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए भंथी,तेलवा,कुन्दह ,राजनपुर सहित पांच अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्र कागजों पर संचालित हैं। कहने को सामुदायिक अस्पताल में चिकित्सक रहते हैं, दवाईयां भी मुफ्त मिलती है। परंतु हकीकत यही है कि जैसे ही लोग बीमार पड़ते हैं उन्हें सहारा सदर अस्पताल का लेना पड़ता है। दियारा के लोगों की परेशानी और भी गंभीर है। दियारा में बीमार पडऩे पर पहले आवागमन के लिए नाव की व्यवस्था करनी होती है उसके बाद नजदीक सामुदायिक अस्पताल पहुंचते हैं। इसके बाद अधिकांश मामलों में बीमार को रेफर कर दिया जाता है।
पर्यटन नहीं ले सका उद्योग दर्जा
महिषी के आसपास धार्मिक पर्यटन की अपार संभावना है। श्री उग्रतारा मंदिर, कंदाहा सूर्य मंदिर, बाबा कारू खिरहरि मंदिर, नाकुच महादेव, बाबा लक्ष्मीनाथ गोसाईं धाम बनगांव, देवना महादेव सहित कई अन्य धार्मिक स्थल हैं। इस क्षेत्र में पर्यटन विकास की शुरूआत उग्रतारा स्थान के विकास के लिए 3 करोड़ 26 लाख के आवंटन किया गया। भवन निर्माण विभाग द्वारा 1 करोड़ 20 लाख की लागत से डाक बंगला निर्माण एवं पावर ग्रिड विभाग द्वारा 68 लाख की लागत से कन्वेंशन हाल का निर्माण प्रस्तावित है। लेकिन विभाग और अधिकारियों की उदासीनता के कारण इन निर्माण को आम जनता की सुविधा के लिए हस्तगत नहीं किया जा सका है। सातवीं सदी के विश्व प्रसिद्ध दार्शनिक पं.मंडन मिश्र की जन्मस्थली के विकास के मामले में अबतक किसी भी स्तर से प्रयास तक नहीं किया गया। यही हाल कंदाहा सूर्य मंदिर का है।
जर्जर सड़कें रोकेगी उम्मीदवारों का रास्ता
हर चुनाव में चकाचक सड़क का वादा लोगों के कानों में जरूर गुजरता है। लेकिन विभागीय अभियंता और संवेदकों की मनमानी के कारण बनने के कुछ दिनों बाद भी यह जर्जर हो जाती है। इसमें काफी हद तक कोसी की बाढ़ भी अपनी भूमिका निभाती है। तटबंध के अन्दर बाढ़ गुजरते ही सड़कों की हालत खास्ता हो जाती है लेकिन निर्माण ऐजेंसी द्वारा इनके मरम्मत को तजब्बो नहीं दी जाती है। नतीजा है कि मुख्य सड़क से आरापट्टी जाने वाली सड़क ,आरापट्टी से ऐना जाने वाली सड़क,आरापट्टी से लिलजा जाने वाली सड़क,कुंदह से सत्तौर जाने वाली सड़क,भेलाही से बकुनिया को जोडऩे वाली सड़क,पश्चिमी तटबंध से जलई पुणर्वास जाने वाली सड़क हो अथवा जलई ओपी से समानी जाने वाली सड़क अधिकांश सड़कें जर्जर हैं। आनेवाले चुनाव में जर्जर सड़कें उम्मीदवारों का रास्ता रोकेंगी ऐसा लोग बता रहे हैं।
बाढ़ का नहीं निकला निदान
कोसी के इलाके में जब चुनाव होता है नेताओं के मुख से बाढ़ से होने वाली तबाही की चर्चा होती जरूर है। हां, इसके लिए निदान पर कोई सटीक बात नहीं करता। हर साल इस इलाके में बाढ़ आती है और अपने साथ तबाही लाती है। घरों के आशियाने उजड़ जाते हैं। कई मौतें होती हैं। करोड़ों रुपये की क्षति होती है। बाढ़ के दौरान प्रशासन से लेकर आम जनता सभी परेशान होते हैं। महिषी व नवहट्टा की लगभग आधी आबादी तटबंध के अंदर निवास करती है। बाढ़ पूर्व बांध मरम्मत के नाम पर हर साल रुपये खर्च होते हैं लेकिन जैसे ही बाढ़ आती है फिर से काम शुरू हो जाता है!