Bihar Assembly Elections 2020 : चुनाव बिहार में, शोर दिल्ली-मुंबई में
Bihar Assembly Elections 2020 इस बार के विधानसभा चुनाव में प्रवासी मजदूरों का पलायन और रोजगार बनेगा बड़ा मुद्दा बनेगा। लॉकडाउन के बाद लौटे लोग अपने शहर में काम चाह रहे हैं। प्रवासियों की इच्छा है कि यहीं उनको रोजगार मिल जाए।
भागलपुर [आनंद कुमार सिंह]। Bihar Assembly Elections 2020 : इस बार बिहार विधानसभा चुनाव कई मायनों में खास है। चुनाव आयोग के अनुसार कोरोना काल के दौरान दुनिया में पहली बार कोई चुनाव हो रहा है। इस चुनाव में यहां प्रवासी मजदूर बड़ा मुद्दा बनकर उभरे हैं और चुनावी वादों-प्रहारों का एक रुख इस ओर भी है।
लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों का काम-धंधा बंद हो गया। इन्हें सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर अपने परिवार के साथ घर लौटना पड़ा था। भूखे पेट, खाली पांव चलते इन निराश लोगों की हृदय विदारक तस्वीरों ने काफी हलचल मचाई थी। कहने वालों ने तो यहां तक कह दिया था कि ये प्रवासी मजदूर महानगरों के ऐशो-आराम को अपनी पीठ पर लादकर अपने घर लौट रहे हैं। पूर्व बिहार, कोसी और सीमांचल में उद्योग-धंधों की कमी, नक्सलवाद, बाढ़-कटाव आदि गरीबों को पलायन के लिए मजबूर करता है। बाढ़-कटाव के कारण तो गांव के गांव उजड़ जाते हैं। बाहर से लौटे अधिसंख्य लोग कहते हैं कि यदि उन्हें घर में रोजगार मिले तो वे दोबारा बाहर नहीं जाएंगे। कई लोग दोबारा महानगरों को लौट चुके हैं।
मधेपुरा निवासी अमरेंद्र कुमार और इसी जिले के बिहारीगंज प्रखंड के निवासी संजय कुमार बताते हैं कि इस बार के बिहार विधानसभा चुनावों की गूंज दिल्ली-मुंबई तक सुनाई देगी। वहां के फैक्ट्री मालिक आदि मजदूरों से फोन कर बिहार चुनाव का हाल-चाल पूछ रहे हैं। उनका कहना है कि यदि बिहार विधानसभा चुनाव में स्थानीय स्तर पर रोजगार और उद्योग-धंधा बड़ा मुद्दा बनता है तो उन्हें कामगारों की कमी हो जाएगी। ऐसे में उन्हें मजदूरी बढ़ानी होगी और लागत बढ़ेगी। तब उत्पाद की कीमत बढ़ेगी और इसका असर बिक्री पर भी पड़ेगा। अररिया और सुपौल जिले से कई खेतीहर मजदूरों को पंजाब-हरियाणा के किसान दोगुनी मजदूरी देकर ले गए। इतना ही नहीं, इन्हें ले जाने के लिए एसी बसें तक भेजी गईं। मजदूरों को कुछ राशि एडवांस भी दी गई, ताकि वे अपने परिवार को घर के खर्च के लिए कुछ पैसे देते जाएं।
बांका जिले के बाराटांड़ निवासी तेतर राय और झुनझुनिया निवासी लालदेव मांझी का कहना है कि इस बार के चुनाव में वे लोग वोट मांगने आए प्रत्याशियों के समक्ष रोजगार का मुद्दा उठाएंगे। बाहर से आए लोग वापस मजबूरी में ही लौटते हैं। महानगरों के बड़े लोगों को सस्ते में कामगार मिल जाते हैं। इस कारण बिहार विधानसभा चुनावों पर उनकी नजर लगी है।