बिहार विधानसभा चुनाव 2020 : किशनगंज में बाढ़ और कटावा का दंश झेल रही बड़ी आबादी
किशगनंज विधानसभा क्षेत्र में अब भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। सड़क बिजली पानी शिक्षा व स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव खटकता है। महानंदा डोक समेत अन्य छोटी बड़ी नदियों से घिरा इस इलाके में आवागमन अब भी मुख्य मुद्दा है।
किशनगंज, जेएनएन। पड़ोसी राज्य बंगाल से गलबहियां करता किशगनंज विधानसभा क्षेत्र का इलाका अब भी विकास की बाट जोह रहा है। शहर के बीचोंबीच गुजरती फोरलेन सड़क व उत्तर पूर्व को जोडऩे वाली रेललाइन जरूर चमक दमक का आभास कराती है। मगर इसके उलट हकीकत कुछ और ही है। शहरी इलाके से लेकर पोठिया प्रखंड के सुदूर इलाके तक हर तरफ समस्याओं का अंबार लगा है।
सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा व स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव खटकता है। महानंदा, डोक समेत अन्य छोटी बड़ी नदियों से घिरा इस इलाके में आवागमन अब भी मुख्य मुद्दा है। विधानसभा क्षेत्र को दो पाटों में बांट रही महानंदा व डोक नदी का कहर हर साल लाखों की आबादी को झेलना पड़ता है। नदी कटाव का ठोस समाधान नहीं होने से हर साल कई परिवार विस्थापन का दंश झेलने को मजबूर होते हैं। बाढ़ त्रासदी आवाम के लिए नियति बन चुकी है। पुल-पुलिया के अभाव में नाव व चचरी पुल के सहारे आवागमन करना एक बड़ी आबादी के लिए मजबूरी है।
अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी
किशनगंज विधानसभा क्षेत्र का प्रमुख इलाका पोठिया प्रखंड है। यहां लगभग तीन लाख की आबादी बसर करती है। यहां अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी की वजहर स्वास्थ्य सेवा एक जटिल समस्या है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पोठिया, रेफरल अस्पताल छत्तरगाछ के अलावा 44 उप स्वास्थ्य केन्द्र है। बात पोठिया पीएचसी की ही करें तो चार डाक्टरों का पद सृजित है। लेकिन मात्र दो चिकित्सक से किसी तरह काम चलाना पड़ता है। आरएच छत्तरगाछ में छह चिकित्सकों का पद सृजित है। लेकिन वहां एक भी डॉक्टर नहीं है। कुछ दिन पहले एक महिला चिकित्सक की प्रतिनियुक्त कर किसी तरह से अस्पताल का संचालन हो रहा है। जबकि 44 उप स्वास्थ्य केंद्रों में एक डॉक्टर की नियुक्ति नहीं हो सका है। नतीजतन उप स्वास्थ्य केंद्रों पर ताला लटका रहता है।
पुल के अभाव में नाव के सहारे जान जोखिम में डालकर आवागमन की मजबूरी -
पूरे विधानसभा क्षेत्र को डोक व महानंदा नदी दो पाटों में बांटती है। विभिन्न घाटों पुल निर्माण कार्य नहीं होने से प्रखंड की एक बड़ी आबादी आज भी छोटी-छोटी नाव के सहारे जान जोखिम में डालकर आवागमन करने को मजबूर हैं। नदी का जलस्तर घटने पर बांस के चचरी पुल के सहारे नदी आर-पार करने की विवशता बनी रहती है। नाव पलटने की घटनाएं भी कई दफे घटित हुई है। दशकों से ग्रामीण डोक नदी के खरखड़ी, कोल्था पंचायत के सतमेढ़ी, मिर्जापुर पंचायत के बाघरानी घाट पर पुल निर्माण की मांग करते आ रहे हैं। इसी तरह महानंदा नदी पर भोटाथाना पंचायत के निश्चितपुर, रायपुर पंचायत के भेरभेड़ी घाट पर भी पुल निर्माण अत्यंत आवश्यक है। लेकिन विकास की इस दौर में भी आवाम टकटकी लगाए हुए बैठे हैं।
बाढ़ आपदा व नदी कटाव की त्रासदी झेलने को मजबूर ग्रामीण
भौगोलिक ²ष्टिकोण से किशगनंज विधानसभा क्षेत्र डोक व महानंदा नदी से घिरा है। जिस कारण साल दर साल बाढ़ आपदा से सैकड़ों लोग बेघर हो रहे हैं। महांनदा व डोक नदी के कहर से हर साल सैंकड़ो एकड़ खेतिहर जमीन पर बालू की मोटी परत बिछ जाती है या फिर नदी के गर्भ में समा जाता है। सैलाब हर साल नदी किनारे बसे गांव के लोगों पर कहर बरपाती है। ग्रामीणों को कटाव का दंश झेलना पड़ता है। इस साल भी दर्जनों परिवारों का घर नदी में विलीन हो चुका है । नदी कटाव से प्रभावित गांवों में आज भी आवागमन के लिए पक्की सड़क की सुविधा नहीं है। किशगनंज प्रखंड हो या फिर पोठिया प्रखंड का इलाका, हर तरफ बाढ़ त्रासदी का मंजर दुर्दशा की कहानी बयां करती दिख जाती है।