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Bihar Assembly Elections 2020: महिषी से लहटन से लेकर आनंद मोहन तक लहरा चुके हैं परचम

1967 में बने इस सहरसा के महिषी विधानसभा से कई कद्दावर नेता प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। समाजवादी नेता परमेश्वर कुमर लहटन चौधरी आनंद मोहन अब्दुल गफूर यहां से जीत हासिल कर चुके हैं। इस बार यहां पर कांटे की टक्‍कर है।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Sun, 18 Oct 2020 08:47 PM (IST)Updated: Sun, 18 Oct 2020 08:47 PM (IST)
Bihar Assembly Elections 2020: महिषी से लहटन से लेकर आनंद मोहन तक लहरा चुके हैं परचम
स‍हरसा जिले के महिषी विधानसभा में चुनाव की सरगर्मी परवान चढऩे लगी है।

सहरसा [अमरेंद्र कांत]। जिले के महिषी विधानसभा में चुनाव की सरगर्मी परवान चढऩे लगी है। सभी दलों के प्रत्याशी ने यहां से उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। जदयू ने यहां से एक बार विधायक रह चुके गुंजेश्वर साह को, राजद ने यहां से बीडीओ से इस्तीफा देकर राजनीति में आने वाले गौतम कृष्ण को, रालोसपा ने शिवेंद्र ङ्क्षसह जीशू को, जाप ने देवनारायण यादव उर्फ नुनू यादव को एवं लोजपा ने पूर्व मंत्री स्व. अब्दुल गफूर के पुत्र अब्दुल रज्जाक को मैदान में उतारा है। फिलहाल प्रत्याशी जनसंपर्क में जुटे हैं और अपनी गोटी फिट करने में लगे हैं।

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1967 में बने इस विधानसभा से कई कद्दावर नेता प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। समाजवादी नेता परमेश्वर कुमर, लहटन चौधरी, आनंद मोहन, अब्दुल गफूर यहां से जीत हासिल कर चुके हैं। वहीं कांग्रेस शासन काल में कद्दावर मंत्री लहटन चौधरी भी यहां का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। लहटन चौधरी व अब्दुल गफूर सरकार में एक बार मंत्री भी रह चुके हैं। हालांकि वर्ष 2020 में अब्दुल गफूर के निधन होने के बाद यह सीट रिक्त थी और यहां से राजद की टिकट पर उनके पुत्र चुनाव लडऩा चाहते थे। लेकिन राजद ने पिछले चुनाव में जन अधिकार पार्टी से मैदान में उतरने वाले गौतम कृष्ण पर अपना दांव इसबार खेला है। ये इसी विधानसभा क्षेत्र के नवहट्टा में बीडीओ के पद पर पदस्थापित थे और यहीं से इस्तीफा देकर चुनावी मैदान में उतरे थे।

परमेश्वर कुमर बने थे सबसे पहले विधायक

विधानसभा का गठन होने के बाद पहली बार परमेश्वर कुमर यहां से विधायक बने। जिसके बाद 1967 में भी परमेश्वर कुमर ही चुनाव जीते। जिसके बाद 1980 में लहटन चौधरी चुनाव जीते। कहा जाता है कि उस समय चुनाव प्रचार के दौरान मिलने पर दोनों एक-दूसरे को सहयोग भी करते थे। वर्ष 1985 में भी वो दुबारा चुने गये। लेकिन 1990 में जनता दल के टिकट पर मैदान में उतरे आनंद मोहन ने कांग्रेस प्रत्याशी लहटन चौधरी को पराजित कर दिया था। वर्ष 1995 में जनता दल ने डा. अब्दुल गफूर को मैदान में उतारा और इन्होंने भी लहटन चौधरी को हरा दिया। 2000 के चुनाव में राजद के टिकट पर उतरे डा. अब्दुल गफूर ने जदयू के सुरेंद्र यादव को पराजित कर दिया। वर्ष 2005 के फरवरी में हुए चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में सुरेंद्र यादव ने जीत दर्ज की और इन्होंने अब्दुल गफूर को हराया था। लेकिन अक्टूबर 2005 के चुनाव में जदयू प्रत्याशी गुंजेश्वर साह ने राजद के सुरेंद्र यादव को हरा दिया। लेकिन 2010 में फिर अब्दुल गफूर चुने गये। इन्होंने जदयू के राजकुमार साह को मात दे दी थी। 2015 के चुनाव में राजद के अब्दुल गफूर ने रालोसपा के चंदन कुमार साह को पराजित कर दिया। जिसके बाद वो सरकार में मंत्री भी बने। अभी हो रहे चुनाव में कई प्रत्याशी मैदान में ताल ठोक रहे हैं। किसके सिर सेहरा सजेगा यह तो वक्त ही बताएगा।

महिषी से अबतक बने विधायक

1967- परमेश्वर कुमर

1977- परमेश्वर कुमर- जनता पार्टी

1980- लहटन चौधरी- कांग्रेस

1985- लहटन चौधरी- कांग्रेस

1990- आनंद मोहन- जनता दल

1995- अब्दुल गफूर- जनता दल

2000- अब्दुल गफूर- राजद

2005 (फरवरी)- सुरेंद्र यादव- निर्दलीय

2005 (अक्टूबर)-गुंजेश्वर साह- जदयू

2010- अब्दुल गफूर- राजद

2015- अब्दुल गफूर- राजद


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