Bihar Assembly Elections 2020: कोसी क्षेत्र में चुनाव से पहले हो रहा पलायन, घटेगा मतदान का प्रतिशत
लॉकडाउन के दौरान लौट आए प्रवासी अब परिवार चलाने की ङ्क्षचता से कमाने के लिए जाने लगे हैं बाहर। पंजाब हरियाणा दिल्ली महाराष्ट्र गुजरात आदि राज्यों से आई बसों में बैठकर मजदूर यहां से रवाना हो रहे हैं।
मधेपुरा, जेएनएन। विधानसभा चुनाव के लिए अधिसूचना जारी होने के साथ ही एक तरफ जहां गांव-गांव में मतदाता जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर रोजी-रोटी के खातिर यहां से लोगों का पलायन भी शुरू हो गया है। पलायन करने वालों में ज्यादातर वे मजदूर हैं, जो लॉकडाउन के दौरान बिहार लौट आए थे। परिवार को पालने की चुनौती ने इन मजदूरों को कोरोना के भय से मुक्त कर दिया है। चुनाव से पहले शुरू हुए मजदूरों के इस पलायन से मतदान का प्रतिशत घटना तय है। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात आदि राज्यों से आई बसों में बैठकर मजदूर यहां से रवाना हो रहे हैं। इन मजदूरों को ले जाने के लिए टूरिस्ट बसों का इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि इन बसों पर कोई प्रशासनिक कार्रवाई न हो सके। पलायन करने वाले ज्यादातर मजदूर पंजाब और हरियाणा जा रहे हैं। क्योंकि इस समय वहां धान की कटाई शुरू हो गई है। वहां मजदूरों की कमी पूरी करने के लिए क्षेत्र में टूरिस्ट बसों का आवाजाही शुरू हो रही है। इन बसों में मजदूरों को को भरकर ले जाया जा रहा है। मजदूरों का ऐसा ही पलायन जिले के सभी प्रखंडों में शुरू हो गया है। मजदूरों को तैयार करने के लिए जगह-जगह एजेंट सक्रिय हैं जो टोलों-मोहल्लों में घूम-घूम कर मजदूरों को यहां से रवाना होने के लिए तैयार कर रहे हैं। इन एजेंटों को एक मजदूर को बाहर जाने के दो सौ रुपए दिए जाते हैं। ऐसे एजेंटों का बस मालिकों से सीधा संपर्क बना हुआ है। चूंकि बाहर के राज्यों की सामान्य बसों को बिहार में प्रवेश की अनुमति नहीं होती है, इसलिए इन बसों पर टूरिस्ट व स्कूल बस का बोर्ड लगाकर बस मालिक गांव-गांव जाकर मजदूरों को जुटाकर उन्हें ले जा रहे हैं। पंजाब के लिए रवाना होने की तैयारी कर रहे रमेश शर्मा ने बताया कि छह महीने से वे खाली बैठे हुए हैं। इससे पहले वे दिल्ली के एक फैक्ट्री में काम करते थे। लेकिन अब वह फैक्ट्री बंद हो चुकी है। उनके परिवार में मां, पत्नी और तीन बच्चे हैं। यहां करने को कोई काम नहीं हैं, इसलिए परिवार के पालन-पोषण के लिए यहां से जाना मजबूरी है। मजदूररों के पलायन की न तो यहां के राजनीतिक दलों को ङ्क्षचता है और न ही प्रशासन को। चुनाव आयोग की भी इस पलायन पर नजर नहीं है। एक पुलिस अधिकारी से जब इस बारे में पूछा गया तो उसका कहना है कि हमारे पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है।