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Bihar Assembly Elections 2020: कटिहार के इस गांव में हर घर बिजली योजना महज सपना, आज भी ढिबरी के नीचे पढ़ते हैं बच्चे

फलका बाजार के बाजू में बसे महादलित टोला में आजादी के 70 बसंत देख चुके लोग आजतक बिजली जैसी सुविधा से वंचित हैं इसका लोगों को मलाल है। लगातार बिजली की मांग को लेकर पदाधिकारी व जनप्रतिनिधियों के समक्ष गुहार लगा चुके लेकिन उनकी मांग पूरी नहीं हो पाई है।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Thu, 15 Oct 2020 05:27 PM (IST)Updated: Thu, 15 Oct 2020 05:27 PM (IST)
Bihar Assembly Elections 2020:  कटिहार के इस गांव में हर घर बिजली योजना महज सपना, आज भी ढिबरी के नीचे पढ़ते हैं बच्चे
फलका बाजार के बाजू में बसे महादलित टोला में अब तक नहीं पहुंची है बिजली।

कटिहार [तौफीक आलम]। विकास के लाख दावों और घोषणाओं के बीच फलका बाजार के बाजू में बसे महादलित टोला में आज भी ढि़बरी ही जलती है। यह स्थिति विकास की कहानी बयां कर रहा है। इसका लोगों को मलाल है। आजादी के 70 बसंत देख चुके लोग आजतक बिजली जैसी सुविधा से वंचित हैं, इसका लोगों को मलाल है। लगातार बिजली की मांग को लेकर पदाधिकारी व जनप्रतिनिधियों के समक्ष गुहार लगा चुके, लेकिन उनकी मांग पूरी नहीं हो पाई है। इसको लेकर अब ग्रामीणों का आक्रोश उबाल मारने लगा है और ग्रामीण चुनाव के दौरान आंदोलन के मूड में हैं। इस बार इसी मुद्दे को लेकर वे नेताजी को घेरने की तैयारी भी कर चुके हैं। इसको लेकर लोगों से आक्रोश में अपने घरों पर तख्तियां लगा रखी है।

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ग्रामीण मैनेजर ऋषि, राजू ऋषि, फोदारी ऋषि, संतोलिया देवी, लक्ष्मण ऋषि, विशनदेव ऋषि, भेदी ऋषि आदि ने बताया कि वंचितों के विकास को लेकर सरकारी घोषणा तो खूब होती है और उनके उत्थान को लेकर सभी पार्टी अपनी प्रमुखता में शामिल करती है, लेकिन गांव की ऐसी दुर्दशा घोषणाओं की कहानी बयां कर रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में एक वर्ष पूर्व बिजली का पोल जरूर लगाया गया, लेकिन आजतक तार नहीं लगाया गया है। विकास के इस दौर में बिजली जैसी सुविधा से वंचित आबादी विकास की राह देख रही है।

विकास का है टोटा सामुदायिक शौचालय से वंचित है ग्रामीण  

खुले में शौच से मुक्ति को लेकर भले ही अभियान चलाया जाता रहा हो, लेकिन इस गांव के लोग अबतक सामुदायिक शौचालय निर्माण का इंतजार कर रहे हैं। सड़क, पेयजल, नाला जैसी सुविधा भी यहां नदारद है। वैसे ग्रामीण गांव के विकास को लेकर हर स्तर पर पहल का अनुरोध कर चुके हैं, लेकिन किसी स्तर से उनकी सुध नहीं ली गई। ग्रामीणों ने कहा कि हर चुनाव में विकास का दावा कर वोट तो लिया जाता है, लेकिन वापस मुड़कर किसी ने गांव की तरफ नहीं देखा। जबकि गांव के बच्चे अबतक शिक्षा से पूरी तरह नहीं जुड़ पाए हैं, जबकि युवा रोजगार संकट से जूझ रहे हैं। महादलित समाज के उत्थान को लेकर भले ही घोषणा और दावा किया जाता रहा हो, लेकिन ग्रामीणों की पीड़ा किसी ने नहीं सुनी। अबकी चुनाव में ग्रामीण इसका जबाव देंगे।


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