Bihar assembly elections 2020: कोसी क्षेत्र में लाइलाज हुआ कटाव का दर्द, नहीं लग पाया मरहम
कोसी क्षेत्र में हर साल महानंदा के कटाव में हजारों एकड़ उपजाऊ भूमि कटाव के भेट चढ़ रही है। इससे किसान कंगाल हो रहे हैं। सबसे अधिक गंभीर स्थिति प्राणपुर प्रखंड क्षेत्र में है। किसानों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है।
कटिहार [विवेक सिंह ]। प्राणपुर प्रखंड क्षेत्र में कटाव का दर्द लाइलाज हो चुका है। हर चुनावी मौसम में इसके निदान का वादा तो होता है, लेकिन चुनाव बाद इसे भूला दिया जाता है। महानंदा नदी के कटाव में हर वर्ष उपजाउ भूमि के विलीन होने से किसानों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। किसानों का दर्द है कि उनकी पीड़ा को कभी गंभीरता से नहीं लिया गया।
वर्षों से महानंदा का तांडव झेल रहे प्राणपुर प्रखंड वासी लोगों को अब की बार भी कटाव का दंश झेलना पड़ा है। यह भी एक चुनावी मुद्दा बनेगा। चुनाव के वक्त जनप्रतिनिधियों द्वारा कहा जाता है कि इस बार कटाव को लेकर विधानसभा में प्रश्न उठाया जाएगा और इसका समाधान कराया जाएगा, लेकिन यह सब बातों तक ही सीमित रह जाता है। प्रखंड के शाह नगर दियारा लगातार महानंदा नदी के गर्भ में समा रहा है। प्रखंड के कई गांव कटाव की भेंट चढ़ चुके हैं। पुरानी मकर चला, जल्ला हरे रामपुर, लालगंज इत्यादि कई गांव के लोग पूरी तरह विस्थापित हो चुके हैं। इस गांव के लोगों को दिन-रात महानंदा नदी का खौफ सताता रहता है। महानंदा हर साल दर्द दे जाती है। लोगों को सांसे अटकी रहती हुई है। साल दर साल महानंदा की धारा में बदलाव आता रहा है। महानंदा की बेखौफ धारा से हर वर्ष क्षेत्र की भौगोलिक संरचना भी बदलती रही है। लालगंज भगत टोला, महानंदा नदी का कटा पहुंच चुका है। कई गांव के लोग आज भी बांध के किनारे अपना जीवन बीता रहे हैं। इतना ही नहीं बाढ़ के कारण बड़ा रकवा हर साल बंजर हो जाता है।
कई गांवों का मिट चुका है अस्तित्व : महानंदा नदी के कटाव से गौरीपुर पंचायत अंतर्गत पुरानी मकर चल्ला सहित कई गांव का अस्तित्व पूरी तरह समाप्त हो चुका है। वही शाह नगर दियारा क्षेत्र के किसानों की जमीन एवं लाभा दियारा क्षेत्र के किसानों की अधिकांश जमीन नदी में समा चुकी है। कल के बड़े किसान आज मजदूरी कर जीवन यापन कर रहे हैं।
किसान गिरधारी सिंह, लाला यादव, श्याम मंडल, विनोद राम, कैलाश राम, परशुराम सिंह, अभिराम सिंह, कन्हैया प्रसाद सिंह, प्रताप सिंह आदि ने कहा कि उनकी काफी जमीन महानंदा नदी के गर्भ में समा चुकी है। इसको लेकर हर स्तर पर फरियाद की गई, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। कुछ दिनों के अंदर अगर कटाव का समाधान नहीं हुआ तो वे दिन दूर नही जब प्राणपुर प्रखंड के अधिकतर गांव इतिहास बन जाएंगे।