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Bihar Assembly Election 2020: यहां पेट के आगे बेबस मजदूर, चुनाव की चिंता छोड़ परदेस जाने पर मजबूर

विधानसभा चुनाव का बिगुल बज गया है। मतदान की तारीख निश्चत कर दी गई है। लेकिन सुपौल में इन बातों से बेफिक्र दिख रहे परदेस जाने वाले मजदूर। पिछले कई महीनों से प्रतिदिन बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों का लगातार पलायन हो रहा है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Thu, 08 Oct 2020 06:53 PM (IST)Updated: Thu, 08 Oct 2020 06:53 PM (IST)
Bihar Assembly Election 2020:  यहां पेट के आगे बेबस मजदूर, चुनाव की चिंता छोड़ परदेस जाने पर मजबूर
बस पर सवार होकर सुपौल से प्रदेश जाते प्रवासी

सुपौल, जेएनएन। विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज है। सीमांचल एवं कोसी के जिलों में 7 नवंबर को चुनाव होना है। लेकिन इन बातों से बेफिक्र दिख रहे परदेस जाने वाले मजदूर। छातापुर प्रखंड क्षेत्र में पिछले कई महीनों से प्रतिदिन बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों का लगातार पलायन हो रहा है। वहीं प्रशासनिक लोग इस पलायन को रोकने में पूरी तरह विफल साबित हो रहे हैं। कारण यह है कि मजदूरों के पेट में लगी आग को कौन बुझाए। यह बात तो सच है कि लगातार मजदूरों के हो रहे पलायन के कारण मतदान के प्रतिशत में भी व्यापक असर पड़ेगा। ज्ञात हो कि छातापुर विधानसभा के बीचो-बीच होकर गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 57 पर प्रत्येक दिन दिल्ली, जयपुर, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब आदि जगहों से दर्जनों की संख्या में बस आती है और इन क्षेत्रों के मजदूरों को ले जाती है। मजदूरों का कहना है कि रोजी-रोटी के लिए बाहर जाना उन लोगों की लाचारी है। ट्रेन बंद होने के कारण तीन चार गुना ज्यादा भाड़ा देकर वे लोग रोजी-रोटी की तलाश में परदेस जाने को मजबूर हैं

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लॉकडाउन के समय बड़ी संख्या में लौटे थे प्रवासी

लॉकडाउन के दौरान सुपौल के प्रवासी बड़ी संख्या में घर लौटे थे। कुछ स्पेशल ट्रेन से लौटे थे तो कुछ पैदल व अन्य तरीके से। इस दौरान उन्हें बहुत अधिक परेशानी का सामना करना पड़ा था। घर लौटते समय ज्यादातर प्रवासियों ने कहा था कि वे लोग अब वापस प्रदेश नहीं जाएंगे। लेकिन, यहां पर भी उनके लिए रोजी-रोजगार की व्यवस्था नहीं हो सकी। लाचार होकर उन्हें पेट के लिए प्रदेश का रूख करना पड़ा रहा है। वे लोग ऐसे समय में लौट रहे हैं जब यहां विधानसभा का चुनाव हो रहा है। इससे मतदान प्रतिशत पर भी असर पड़ सकता है। प्रवासियों का कहना है कि अगर उन लोगों के लिए यही पर रोजगार की व्यवस्था हो जाती तो वे लोग नहीं लौटते। 


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