Bihar Assembly Election 2020: कोसी में रेल नहीं पकड़ सकी रफ्तार, तीन दशक बाद भी रेललाइन परियोजना अधूरी
कोसी क्षेत्र में रेल की सुविधा नहीं होने से लोगों को बड़ी परेशानी झेलना पड़ रहा है। जबकि इलाके में नई रेल लाईन परियोजना को लेकर बड़े-बड़े वायदे किए गए थे। लोगों को बड़ा सब्जबाग दिखाया गया था। इसकी मांग यहां के लोग लंबे समय से कर रहे हैं।
मधेपुरा [विनोद विनीत]। उदाकिशुनगंज अनुमंडल क्षेत्र के एक सौ किलोमीटर के दायरे में रेल यातायात को कौन कहे। सड़क यातायात भी पूर्ण विकसित नहीं हो पाया है। यातायात के अभाव में यहां के लोगों का विकास रूका हुआ है। व्यवस्था के अभाव में क्षेत्र के किसान अपने उपजाऊ फसल को उचित बाजार अथवा मंडी तक नहीं पहुंचा पाते हैं। ऐसे में रेल यातायात का महत्व बढ़ जाता है।
लेकिन क्षेत्र में रेल की सुविधा नहीं होने से लोगों को बड़ी परेशानी झेलना पड़ रहा है। जबकि इलाके में नई रेल लाईन परियोजना को लेकर बड़े-बड़े वायदे किए गए थे। लोगों को बड़ा सब्जबाग दिखाया गया था। यद्यपि कोई भी सरकार कोसी के लोगों से किए वायदे को पूरा नहीं किया। इससे क्षेत्र के लोगों में आक्रोश है। परियोजना की चर्चा की जाए तो इलाके में नई लाईन को लेकर सर्वेक्षण और आधारशिला के कार्य हुए थे। लेकिन पटरी बिछाए जाने की दिशा में कोई काम नहीं किया गया। उदाकिशुनगंज में नई रेल लाईन बिछाए जाने की परियोजना महज वायदों में सिमट कर रह गया। परियोजना के तहत बिहारीगंज से उदाकिशुनगंज होते हुए कोपरिया तक, नवगछिया से चौसा, उदाकिशुनगंज होते हुए ङ्क्षसहेश्वर तक, कुर्सेला से रूपौली होते हुए बिहारीगंज तक, उदाकिशुनगंज-बीहपुर पथ में नई रेल लाईन परियोजना को स्वीकृति मिली थी। रेल मंत्रालय के सचिव ने 30 सितबंर 1998 को संघर्ष समिति के सचिव मुकुंद प्रसाद यादव को अवगत कराया था कि उक्त परियोजना के लिए सर्वेक्षण का कार्य अंतिम दौर में है। बाद के पत्र में यह बताया कि सर्वेक्षण का कार्य पूरा कर लिया गया है। तत्कालीन रेलमंत्री रामविलास पासवान ने कुर्सेला में परियोजना का शिलान्यास भी किया था। शिलान्यास का बोर्ड आज भी लगा हुआ है। उसके बाद 12 जनवरी 2004 को मधेपुरा में रेलमंत्री नीतीश कुमार ने संघर्ष समिति के सदस्यों को परियोजना को लेकर आश्वस्त किया था। उदाकिशुनगंज में बना रेल संघर्ष समिति भी अब शिथिल हो गया है। संघर्ष समिति के अधिकांश सदस्य दिवंगत हो गए हैं।