Bihar Assembly Election: इस बार लोग मिस करेंगे लालू का अंदाज, शरद और पासवान की आवाज
Bihar Assembly Election पिछले बिहार चुनाव में ताबड़तोड़ रैलियां कर एनडीए की राह मुश्किल करने वाले लालू प्रसाद यादव इस बार सीन से बाहर रहेंगे। बीमार राम विलास पासवान एवं शरद यादव भी चुनाव प्रचार से दूर रहेंगे यह तय है।
पटना, जेएनएन। Bihar Assembly Election 2020: बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार कुछ चीजों की कमी खलेगी। कोरोना संक्रमण (CoronaVirus Pandemic) के कारण चुनावी रंग तो पहले से ही फीका है, दशकों से अपने दलों के लिए चुनाव प्रचार (Election Campaign) की जिम्मेदारी निभाते रहे कुछ बड़े चेहरे भी नहीं दिखेंगे। उनकी वर्चुअल रैलियां (Virtual Rallies) भी नहीं होंगी। ये वो राजनेता हैं, जो अपने भाषणों के जरिए सियासी माहौल तक बदलने की ताकत रखते हैं। हम बात कर रहे हैं अपने रोचक व ठेठ अंदाज के लिए चर्चित रहे व चारा घोटाला (Fodder Scam) में जेल की सजा काट रहे राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) तथा इन दिनों गंभीर रूप से बीमार लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के संस्थापक रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) एवं शरद यादव (Sharad Yadav) की।
लालू प्रसाद यादव: जेल में रहने के कारण नहीं कर पाएंगे चुनाव प्रचार
बीते विधानसभा चुनाव में करीब 248 जनसभाएं करने वाले लालू प्रसाद यादव इस बार जेल में रहने के कारण चुनाव प्रचार नहीं कर पाएंगे। अगर उन्हें जमानत (Bail) मिल भी गई, तब भी कोर्ट की अनुमति के बिना उनका चुनाव प्रचार करना संभव नहीं है। बीते विधानसभा चुनाव में संघ प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) के आरक्षण (Reservation) पर दिए गए बयान को लालू प्रसाद यादव ने ऐसा मुद्दा बना दिया था कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) का पूरा चुनाव प्रचार भागवत के बयान का खंडन करने में ही बीत गया। उस समय लालू के भाषणों ने प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की लहर को भी बिहार में रोक दिया था। तब लालू महागठबंधन (Mahagathbandhan) में शामिल नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की अगुआई में बनी सरकार के किंग मेकर (King Maker) की भूमिका में नजर आए थे। लालू के बोलने का अपना ठेठ अंदाज है, जिसका अपना क्रेज है। विरोधी हों या समर्थक, उन्हें सुनते जरूर हैं। यही उनकी यूएसपी है।
रधुवंश की भी खलेगी कमी, तेजस्वी के कंघे पर आरजेडी की जिम्मेदारी
आरजेडी को लालू प्रसाद के अलावा रघुवंश प्रसाद सिंह (Raghuvansh Prasad Singh) की कमी भी खलेगी। मौत से महज तीन दिन पहले असरजडी से इस्तीफा देने वाले रघुवंश प्रसाद सिंह ने बीते चुनाव में 100 से अधिक सभाएं की थी। इस साल राबड़ी देवी (Rabri Devi) की जनसभाओं के भी कम होने की उम्मीद है। इन बड़े नेताओं की गैर मौजूगदी में चुनाव प्रचार का दारोमदार तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के कंधों पर होगा, यह तय है। महागठबंधन (Grand Alliance) के तहत उन्हें भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के नेता कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) का साथ् मिलेगा।
राम विलास पासवान: स्थिति नाजुक, चुनाव प्रचार से दूरी बनी मजबूरी
लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान बीमार चल रहे हैं। बीते दिन से उनकी स्थिति नाजुक (Critical) बताई जा रही है। बीते विधानसभा चुनाव में 70 से अधिक जनसभाएं करने वाले राम विलास पासवान इस बार बीमारी के कारण चुनाव प्रचार से दूर ही हैं। वे दिल्ली के एक निजी अस्पताल के आइसीयू में भर्ती हैं। रामविलास पासवान की अनुपस्थिति में उनकी राजनीतिक विरासत बेटे चिराग पासवान (Chirag Paswan) संभाल रहे हैं। वे एलजेपी के अध्यक्ष भी हैं। पार्टी के लिए चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी उनके ही कंधों पर है।
शरद यादव: दिल्ली में चल रहा इलाज, चुनाव में नहीं गूंजेगी आवाज
बिहार चुनाव में इस बार नहीं दिखने वाला तीसरा बड़ा चेहरा शरद यादव का रहेगा। बीते विधानसभा चुनाव के वक्त जनता दल यूनाइटेड (JDU) के अध्यक्ष की हैसियत से उन्होंने 40 जनसभाएं की थीं। मध्य प्रदेश में पले-बढ़े शरद यादव ने बिहार को अपनी कर्मभूमि बनाया। वे ओबीसी की राजनीति (OBC Politics) के दिग्गज चेहरा रहे हैं। लंबे समय से बीमार चल रहे शरद यादव का इलाज दिल्ली के एक अस्पताल में चल रहा है। इस कारण वे चुनाव प्रचार से दूर ही रहेंगे।