Bihar Assembly Election 2020: कोसी के इन विधानसभा सीटों पर इस बार फिर से जदयू ने उतारा पुराने योद्धाओं को
2020 के चुनाव में जदयू ने अपने पुराने योद्धाओं पर ही पूरा भरोसा जताया है तो राजद और कांग्रेस ने नए दाव खेले हैं। सुपौल विधानसभा क्षेत्र से जदयू ने अपने पुराने योद्धा विजेंद्र प्रसाद यादव को इस बार भी मैदान में उतारा है।
सुपौल [भरत कुमार झा]। कोसी की यह धरती समाजवाद के लिए उर्वर मानी जाती रही है। कांग्रेस के जमाने में भी यह समाजवादियों का गढ़ रहा। सरकार के गठन, उसके समर्थन अथवा प्रतिनिधियों के चयन में हमेशा से यहां के लोगों ने दिलेरी दिखाई। हाल के वर्षों के चुनावों को देखते हैं तो 2005 के चुनाव में जदयू ने सुपौल जिले के पांचों विधानसभा क्षेत्र पर अपना कब्जा जमा लिया। 2010 का नतीजा भी यही रहा। 2015 के चुनाव में गठबंधन बदला तो कुछ नतीजे भी बदले तीन पर जदयू का कब्जा रहा, एक भाजपा के हिस्से में चला गया और एक पर राजद ने अपना कब्जा जमा लिया। 2020 के चुनाव में जदयू ने अपने पुराने योद्धाओं पर ही पूरा भरोसा जताया है तो राजद और कांग्रेस ने नए दाव खेले हैं। सुपौल विधानसभा क्षेत्र से जदयू ने अपने पुराने योद्धा को ही मैदान में उतारा है। यहां से विजेंद्र प्रसाद यादव 1990 से ही चुनाव जीतते आ रहे हैं। भले ही दल और गठबंधन में जो भी थोड़ा बहुत परिवर्तन हुआ क्षेत्र के मतदाताओं ने इन पर अपना पूरा भरोसा जताया। नतीजा है कि आज तक इन्हें जीत का ही सेहरा मिलता रहा है। जदयू के अनिरुद्ध प्रसाद यादव 2005 से लगातार चुनाव जीतते रहे हैं। यह क्षेत्र पहले किसनपुर विधानसभा क्षेत्र हुआ करता था जो अब निर्मली विधानसभा क्षेत्र है। पार्टी ने इस चुनाव भी इन्हीं पर भरोसा जताया है। त्रिवेणीगंज विधानसभा क्षेत्र से जदयू ने पुन: वीणा भारती को ही मौका दिया है। ये विगत 2015 के चुनाव में पहली बार मैदान में उतरी थी और विजयी रही। इनके पति विश्वमोहन भारती जदयू के विधायक रहे थे। उनकी मौत के बाद पार्टी ने इन्हें मैदान में उतारा था। पिपरा विधानसभा क्षेत्र से इस चुनाव जदयू के नए योद्धा हैं। जदयू ने इस चुनाव पार्टी के जिलाध्यक्ष रहे रामविलास कामत को मैदान में उतारा है। छातापुर विधानसभा क्षेत्र भाजपा के कोटे में है और यहां से भाजपा के नीरज कुमार ङ्क्षसह एनडीए गठबंधन के तहत मैदान में हैं। ये भी 2005 से लगातार विधायक रहे हैं। एक ओर जहां एनडीए गठबंधन की ओर से चार पुराने योद्धा ही मैदान में हैं वहीं राजद कांग्रेस गठबंधन ने इस चुनाव नया दाव खेला है। पिपरा से विधायक रहे राजद के यदुवंश कुमार यादव को पार्टी ने इस चुनाव निर्मली विधानसभा क्षेत्र से मैदान में उतारा है। विगत चुनाव महागठबंधन के तहत उन्होंने पिपरा विधानसभा क्षेत्र से अपनी जीत दर्ज की थी। पिपरा विधानसभा क्षेत्र से राजद ने इस चुनाव विश्वमोहन कुमार पर दाव खेला है। ये ङ्क्षसबल लेने से पहले तक भाजपा के नेम फेम वाले नेताओं में से थे। ये चार बार विधायक व एक बार सांसद रह चुके हैं। पिपरा की सीट गठबंधन के तहत जदयू के कोटे में चले जाने से ये नाराज हुए और इन्होंने बगावत का बिगुल फूंक दिया। राजद ने इन्हें अपना उम्मीदवार बना मैदान में उतार दिया है। त्रिवेणीगंज विधानसभा क्षेत्र से राजद ने संतोष सरदार को मैदान में उतारा है। हालांकि ये नए योद्धा हैं लेकिन राजनीति इन्हें विरासत में मिली है। इनके पिता फिलहाल राजद के जिलाध्यक्ष हैं और पूर्व सांसद रह चुके हैं। इनके परिवार का लंबा राजनैतिक इतिहास रहा है। छातापुर विधानसभा क्षेत्र से राजद ने इसबार एक चिकित्सक डॉ. विपिन कुमार को मैदान में उतारकर नया दाव खेला है। इन्होंने अपनी नौकरी से इस्तीफा दिया और चुनावी समर में कूद पड़े। इससे पूर्व के दो चुनाव में राजद ने दो अलग-अलग अल्पसंख्यक उम्मीदवारों पर दाव खेला था। महागठबंधन के तहत सुपौल की सीट कांग्रेस के कोटे में चली गई। कांग्रेस ने इस क्षेत्र से अल्पसंख्यक प्रदेश अध्यक्ष मिन्नत रहमानी को मैदान में उतारकर अपना नया दाव खेला है। कुल मिलाकर स्थिति ये दिख रही कि एनडीए ने जहां अपने पुराने योद्धाओं पर ही भरोसा जताया वहीं महागठबंधन ने नया दाव खेला है।