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Bihar Assembly Election 2020: कोसी में आश्वासन के बाद भी नहीं लग सके एक भी कल-कारखाने

कोसी क्षेत्र में इस बार सबसे बड़ी बात लोग उद्योग और बेरोजगारी को लेकर कर रहे हैं। यहां पर वादा के बाद भी उद्योग नहीं लगना लोग बड़ा मुद्दा मान रहे हैं। लोगों का कहना है कि उद्योग नहीं लगने के कारण इस इलाके का विकास नहीं हो सका है।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Sun, 18 Oct 2020 06:39 PM (IST)Updated: Sun, 18 Oct 2020 06:39 PM (IST)
Bihar Assembly Election 2020:  कोसी में आश्वासन के बाद भी नहीं लग सके एक भी कल-कारखाने
मधेपुरा जिले में जिले में तीसरे चरण में सात नबंवर को वोट डाले जाएंगे

मधेपुरा, जेएनएन। जिले में तीसरे चरण में सात नबंवर को होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर नामाकांन का दौर जारी है। यहां पर 20 अक्टूबर तक नामांकन होना है। लोगों के कई स्थानीय समस्याएं हैं। इनमें विकास से जुड़ा मसला है। जिसे लेकर लोग पूर्व और वर्तमान सरकार के कामों को लेकर चर्चा करनें लगे हैं। ईलाके में राजनीति का रंग चढऩे लगा है। मुद्दों को लेकर लोग सवाल उठाना शुरू कर दिए हैं। सबसे बड़ी बात लोग उद्योग और बेरोजगारी को लेकर कर रहे हैं। यहां पर वादा के बाद भी उद्योग नहीं लगना लोग बड़ा मुद्दा मान रहे हैं। लोग कह रहे हैं कि इस बार जब नेताजी वोट मांगने आएंगे तो उनसे उद्योग को लेकर सवाल पूछेंगे। सवाल पक्ष और विपक्ष दोनों से करेंगे। पहला तो सत्ता पक्ष से सवाल होगा कि वादा के बाद भी उद्योग क्यों नहीं लग पाया। दूसरा विपक्ष से सवाल होगा कि उद्योग नहीं लगने पर पांच साल में आवाज क्यों नहीं उठाया। बहरहाल नेताओं को लेकर लोगों के मन में कई सवाल हैं। जिसे वक्त पर भुनाएंगे। यहां पर सरकार के घोषणा के बाद भी उद्योग नहीं लग पाया। इस क्षेत्र में पूर्ववर्ती राजद सरकार में फल फूल पर आधारित इंड्रस्ट्रीयल ग्रोथ सेंटर, फूडपार्क, चीनी मील, मक्का अधारित उद्योग लगने की कवायद शुरू हुई थी। लेकिन कोई उद्योग नहीं लग पाया। जबकि समाजिक व आर्थिक रूप से पिछड़े कोसी के उदाकिशुनगंज अनुमंडल में क्षेत्र में उद्योग लगने की असीम संभावनाएं है।

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अस्तवित में आने से पहले मिटा बहुद्देशीय इंडस्ट्रीयल ग्रोथ सेंटर

एक तरफ जहां वर्तमान सरकार ने राज्य में उद्योग को बढ़ावा दिए जाने के लिए औद्योगिक नीति के लिए प्रयासरत रहने की बात कही है। वहीं पूर्ववर्ती राजद सरकार में स्वीकृत योजना को भी मृत प्राय बनाकर रख दिया। यही वजह रहा कि उदाकिशुनगंज अनुमंडल मुख्यायलय में 16 वर्ष पूर्व स्थापित होने वाले उद्योग अब लोगों के जेहन से दूर हो गया। अनुमंडल मुख्यायलय के चरवाहा विद्यालय के समीप 15 एकड़ जमीन में पांच करोड़ की राशि से बनने वाले ग्रोथ सेंटर का शिलान्यास 11 दिसबंर 2004 को किया गया था। उस समय सरकार ने तत्काल ही 35 लाख रूपया स्वीकृति कर दिया था। इसमें 24 लाख रूपये की विमुक्ति भी हो गई थी। योजना के पीछे सरकार की मंशा थी कि किसानों को लाभान्वित किया जाय।

अब भी जमीन तलाश रही बहुप्रतिक्षित फूड पार्क योजना

उदाकिशुनगंज में 16 वर्ष पूर्व फूड पार्क योजना की स्वीकृति मिली थी। योजना के लिए एक सौ एकड़ भूमि की आवश्ययकता बताई गई थी। उस समय में उदाकिशुनगंज के ग्वालपाडा और बिहारीगंज के क्षेत्र में भूमि का सर्वे कराया गया। लेकिन आवश्यकता के मुताबिक जमीन उपलब्ध नहीं हो पाया। फलाफल योजना अधर में है। योजना के धरातल पर स्थापित होने के बाद कोसी के अलावा सीमांचल के पूर्णिया जिले के लोगो को फायदा होता।

नहीं स्थापित हुआ चीनी मील

उदाकिशुनगंज में चीनी मील लगाने की घोषणा की गई थी। लेकिन 14 साल बाद भी मील नही लग सका। वर्ष 2006 में चीनी मील लगाने की कवायद शुरू हुई थी। चंद ही वर्ष बाद कवायद बंद हो गई। वजह कि स्थानीय जनप्रतिनिधि के दिली इच्छा नहीं रहने के कारण योजना अस्तवित में नहीं आ सका। मामला भूमि अधिग्रहण में ही लटक गया। चीनी मील लगाने के लिए उत्तर प्रदेश धामपुर चीनी मील के मालिक बिजय गोयल उदाकिशुनगंज आए थे। भूमि अधिग्रहण के समय मील मालिक ने बिहारीगंज में अपना कार्यालय भी खोल रखा था। जहां मील मालिक के कर्मचारी भी रहने लगे थे। मील के लिए उदाकिशुनगंज के मधुबन तीनटेंगा और बिहारीगंज के गमैल मौजा में भूमि अधिग्रहण का कार्य शरू हुआ। मील के लिए साढ़े तीन सौ, एकड़ जमीन की आवश्यकता बताई गई थी। जहां ढाई सौ एकड़ जमीन उपलब्ध भी हो गया था। अचानक बडी साजिश के तहत तीनटेंगा गांव के लोगों ने मामला हाईकोर्ट लेकर चला गया। इस कारण शेष बचे भूमि अधिग्रहण का मामला अटक गया।

मक्का अधारित उधोग लगने का मामला ठंडे बस्ते में

अनुमंडल क्षेत्र के 90 फीसद लोग कृषि पर अधारित जीवन यापन करते हैं। क्षेत्र के चौसा आलमनगर, पुरैनी और उदाकिशुनगंज प्रखंड क्षेत्र में मक्के की खेती प्रचुर मात्रा में की जाती है। बावजूद की किसानों को उपजाऊ फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पाता है। उद्योग लगने से किसानो की परेशानी दूर होती। किसानो की मांग को देखते हुए एक दशक पूर्व राज्य सरकार ने चैसा के कलासन में मक्का अधारित उद्याोग लगाने की घोषणा की थी। इसकी कवायद भी शुरू हुई। उद्यमी भी उद्योग लगाने को आगे आए। लेकिन सरकारी सहायता नहीं मिल मिलने पर मामला ठंडे बस्ते में चला गया।


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