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Bihar Assembly Election 2020: सीमांचल की इस सीट पर 1990 में जनता दल की लहर में भी लहराया था भाजपा का पताका

अल्पसख्यक बहुल किशनगंज जिले में 1990 में एक साथ दो सीटों पर भाजपा अपना पताका लहराने में कामयाब हो गई थी। उस वक्त जिले में तीन विधानसभा सीटें थी और वर्तमान में चार विधानसभा सीटें हैं। विगत तीन चुनावों से किशनगंज सीट पर भाजपा कम अंतर से हारती रही है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Mon, 12 Oct 2020 07:27 PM (IST)Updated: Mon, 12 Oct 2020 07:27 PM (IST)
Bihar Assembly Election 2020: सीमांचल की इस सीट पर 1990 में जनता दल की लहर में भी लहराया था भाजपा का पताका
किशनगंज में हालांकि 95 के बाद से अब तक भाजपा विधानसभा चुनाव में संघर्ष करती नजर आ रही है।

किशनगंज, जेएनएन। 90 के दशक में बिहार में जनता दल की सरकार थी। लालू यादव के मुख्यमंत्रीत्व काल में जनता दल का वह स्वणम काल माना जाता था। जनता दल की लहर में भी अल्पसख्यक बहुल किशनगंज जिले में एक साथ दो सीटों पर भाजपा अपना पताका लहराने में कामयाब हो गई थी। ठाकुरगंज से सिकंदर ङ्क्षसह और बहादुरगंज से अवध बिहारी सिंह की जीत ने राजनीतिक पंडितों को भी चौंका दिया था। हालांकि 95 के बाद से अब तक भाजपा विधानसभा चुनाव में संघर्ष करती नजर आ रही है। उस वक्त जिले में तीन विधानसभा सीटें थी और वर्तमान में चार विधानसभा सीटें हैं। विगत तीन चुनावों से किशनगंज सीट पर भाजपा कभी ढाई सौ तो कभी 10 हजार के अंतर से हारती रही है।

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95 की जीत ने भाजपा के रणनीतिकारों को सीमांचल की ओर खींचा। इस चुनाव में जिले में तीन में से किशनगंज सीट पर कांग्रेस को और बाकी दोनों पर गैर कांग्रेसी उम्मीदवार को जीत मिली थी। जिसके बाद से सीमांचल की राजनीति में भाजपा की दखल बढ़ी। हालांकि 95 से अब तक विधानसभा चुनाव में भाजपा संघर्ष करती ही दिख रही है। खासकर ठाकुरगंज में आज तक पार्टी दूसरे स्थान पर भी नहीं पहुंच पाई। 95 के बाद के चुनावों में कभी गठबंधन के हिस्से में सीट गई तो कभी खुद के प्रत्याशी के खिलाफ बागियों ने मुश्किलें खड़ी कर दी। बहादुरगंंज में 95 के बाद 2000 और 2010 में दूसरे स्थान पर जरूर रही लेकिन जीत के काफी दूर। हालांकि इन दोनों सीटों के अलावा किशनगंज में पार्टी का जनाधार बढ़ा, मगर यहां भी अब तक जीत हासिल नहीं हुई। 2000 में मु. तस्लीमउद्दीन के खिलाफ मैदान में उतरे राजेश्वर वैद दूसरे स्थान पर रहे। जबकि फरवरी 2005 और नवंबर 2005 में लगातार दो बार संजीव यादव रनर रहे। इसके बाद 2010 से अब तक के तीन चुनावों में स्वीटी ङ्क्षसह को शिकस्त मिल चुका है। इन्हें पहले चुनाव में 264 वोट से हार मिली तो लगातार तीन चुनावों में वोट भी बढ़ता गया और हार का अंतर भी। वर्तमान मे जिले के दो विधानसभा सीट पर जदयू का कब्जा है और एक पर कांग्रेस तो एक पर एआइएमआइएम का। इस चुनाव में भी भाजपा के दो सीट पर चुनाव लडऩे की संभावना जताई जा रही है।\  


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