Bihar Assembly Election 2020: शूटर श्रेयसी को शामिल करा भाजपा ने साधा कई निशाना, नाराज वोटरों में उत्साह
श्रेयसी के भाजपा में शामिल होने तथा उनकी मां की भाजपा में वापसी से बांका का सियासी समीकरण तेजी से बदल गया है। इससे जिला में भाजपा के करीब दो दर्जन बड़े नेताओं की घर वापसी तय हो गई।
बांका, जेएनएन। पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजय ङ्क्षसह की पुत्री व इंटरनेशनल शूटर श्रेयसी ङ्क्षसह कई कयासों के बीच रविवार को भाजपा में शामिल हो गई। दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई।
इसके साथ उनकी मां पूर्व सांसद पुतुल कुमारी की भी भाजपा में घर वापसी हो गई है। वे पिछले लोकसभा चुनाव के वक्त ही निर्दलीय चुनाव लडऩे पर पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित हुई थी। समारोह में राष्ट्रीय अध्यक्ष ने उन्हें भी सदस्यता दिलाई है। श्रेयसी के भाजपा में शामिल होने तथा उनकी मां की भाजपा में वापसी से बांका का सियासी समीकरण तेजी से बदल गया है। भाजपा और जदयू के खिलाफ मोर्चा खोले उनके समर्थक अब भाजपा जय-जय का नारा लगाने हैं। उनकी वापसी के बाद जिला में भाजपा के करीब दो दर्जन बड़े नेताओं की घर वापसी तय हो गई है। ये सभी पिछले चुनाव के वक्त ही पार्टी छोड़ पुतुल कुमारी के साथ हो गए थे। उनके पार्टी छोडऩे के वक्त पूर्व जिलाध्यक्ष अनिल ङ्क्षसह, तत्कालीन महामंत्री जयशंकर चौधरी, प्रवक्ता मुकेश ङ्क्षसह, युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष निप्पू पांडेय, रोशन पासवान, नंदकिशोर पंडित आदि बड़े नेताओं की भी पार्टी में वापसी तय है। चुनाव के वक्त भाजपा के कई मंडल अध्यक्ष भी पार्टी से अलग हो गए थे। पार्टी पदाधिकारी के साथ एनडीए से नाराज चल रहे बड़ी संख्या में मतदाता भी अब एनडीए के साथ होंगे। लोकसभा चुनाव में पुतुल कुमारी निर्दलीय ही एक लाख से अधिक वोट हासिल करने में सफल रही थी। बांका, बेलहर और अमरपुर सीट पर उन्हें 20 हजार से अधिक मत मिला था। निश्चित रूप से यह वोट एनडीए को मजबूत करेगा।
श्रेयसी के चुनाव लडऩे पर लग रही अटकलें
चुनाव के वक्त श्रेयसी के भाजपा से जुडऩे का मतलब उनका किसी सीट पर प्रत्याशी बनना है। इस संबंध में स्थिति अभी साफ नहीं है। सूत्रों की जानकारी के अनुसार वह बांका या अमरपुर सीट से चुनाव लडऩा चाहती है। बांका में भाजपा की सीट की गुंजाइस नहीं दिख रही है। अभी उन्हें जमुई की कोई सीट मिलने की बात कही जा रही है। जानकार बताते हैँ कि अमरपुर सीट अब जदयू को नहीं मिलने की उम्मीद है। ऐसे में श्रेयसी ङ्क्षसह के लिए जिला में कुछ भी अप्रत्याशित हो सकता है। इसके आद अगले संसदीय चुनाव के लिए वह पार्टी का चेहरा होंगी।