सिकमी की बदली सूरत, सड़क की दशा बढ़ा रहीं दुश्वारियां
मांझागढ़ प्रखंड की शेखपुर्दिल पंचायत हर गांव में बिजली पहुंच गई है। इस पंचायत में नल-जल तथा गली नाली पक्कीकरण योजना के तहत काम भी चल रहा है। लेकिन विकास के लिए चलाई जा रही इन योजनाओं के बीच इस पंचायत के सिकमी गांव की बदहाल सड़क इस पंचायत के विकास का हाल बता रही है।
मांझागढ़ (गोपालगंज) : मांझागढ़ प्रखंड की शेखपुर्दिल पंचायत हर गांव में बिजली पहुंच गई है। इस पंचायत में नल-जल तथा गली नाली पक्कीकरण योजना के तहत काम भी चल रहा है। लेकिन विकास के लिए चलाई जा रही इन योजनाओं के बीच इस पंचायत के सिकमी गांव की बदहाल सड़क इस पंचायत के विकास का हाल बता रही है। एनएच 28 को इस गांव को जोड़ने वाली मुख्य सड़क की दशा गांव में हुए विकास की कहानी के बीच दुश्वारियां बढ़ा रही है।
बुधवार की सुबह के दस बजे हैं। अहले सुबह खेत खलिहान में गए कुछ ग्रामीण घर लौट रहे हैं। मौसम भी कुछ बदला बदला है। सूरज आसमान में बादलों से लुका छिपी कर रहा है। सिकमी गांव के लोग आपस में बातचीत करते दिखे। बात चली तो फिरोज आलम ने बताया कि पहले गांव में लगे एक ट्रांसफार्मर से लोग बल्ब जलने का इंतजार करते थे। अब गांव के सभी टोला में ट्रांसफार्मर लगा दिए गए। जिससे गांव में अब बिजली रह रही है। शाहिद अली कहते हैं कि पूरे गांव में विकास हुआ है। लेकिन मूल समस्या मुख्य सड़क की है। लंबी अवधि बीतने के बाद भी हाईवे को गांव से जोड़ने वाली सड़क की स्थिति में सुधार नहीं हो सका है। गांव के रमेश कुमार ने बताया कि आसपास के गांवों में नल जल योजना से घरों को शुद्ध जल मिल रहा है। यहां भी इसका कार्य हो रहा है। आयुष्मान योजना के तहत हेल्थ कार्ड बनाने के लिए गरीबों के घरों में सरकार के माध्यम से नोटिस भेजी गई है। पर, अभी तक हेल्थ कार्ड नहीं बना है। वे कहते हैं कि इस पंचायत की सीमा से होकर एनएच 28 गुजरती है। इस एनएच से सिकमी गांव को जोड़ने के लिए मुख्य सड़क है। लेकिन अब इस सड़क की दशा काफी खराब हो गई है। गड्ढे से पटी इस सड़क पर पैदल चलना भी मुश्किल है। सिकमी पंचायत में छोटे बच्चों के लिए चार आंगनबाड़ी केंद्र भी है। इस पंचायत में स्वास्थ्य सुविधा के तहत एक उप स्वास्थ्य केंद्र है। लेकिन यह स्वास्थ्य उपकेंद्र अक्सर बंद रहता है। हालांकि इस गांव के हर घर में बिजली अपनी रोशनी बिखेर रही है। विकास का पहिया पहुंचने से इस गांव की महिलाएं अब रसोई गैस पर खाना बना रही हैं और फुर्सत के क्षण में अपने बच्चों और परिवार के साथ खुशियां बांटने लगी हैं। हालांकि योजनाओं को लाभ पाने के लिए अभी भी ग्रामीणों के कुछ परेशानी झेलनी पड़ रही है।