Assam Assembly Election 2021: राजनीति के मैदान में अचूक अस्त्र है असमी गमछा, जानें क्यों है असम में इसकी बहार
असम की राजनीति में गमछे का महत्व बहुत है। सियासत के मैदान में रूठों को मनाने व अपनों को सिर-आंखों पर बिठाने का अचूक अस्त्र है। जिसे मंच पर गमछा पहनने का सौभाग्य मिलता है वह खुद को धन्य समझ लेता है।
महेश कुमार वैद्य, गुवाहाटी। इस चुनावी मौसम में असम में चाय के अलावा अगर किसी और चीज की बहार है, तो वह है असमी गमछा। गमछा बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा व बंगाल में लोगों के गले का हार है, लेकिन असम में यह संस्कृति का अनमोल गहना है। इन दिनों पूरे असम में चुनाव प्रचार जोरों पर है। यहां 27 मार्च, 1 अप्रैल व 6 अप्रैल को 3 चरणों में चुनाव होना है। अगर किसी को गमछे का महत्व देखना हो तो असम आ जाइए। राजनीतिक मंचों पर इसका कोई तोड़ नहीं है। भाजपा हो या कांग्रेस अथवा दोनों दलों की सहयोगी पार्टियां, सभी की सभाओं में अतिथियों का सम्मान केवल गमछे से ही किया जा रहा है।
मंच पर गमछा पहनना सौभाग्य सरीखा
असम की राजनीति में गमछे का महत्व बहुत है। देखने में यह भले ही छोटा सा वस्त्र है, मगर यह सियासत के मैदान में रूठों को मनाने व अपनों को सिर-आंखों पर बिठाने का अचूक अस्त्र है। जिसे मंच पर गमछा पहनने का सौभाग्य मिलता है, वह खुद को धन्य समझ लेता है। विरोधियों को अपना बनाने में इसका कोई सानी नहीं है। सफेद आधार पर गहरा लाल छापा सब पर अपनी छाप छोड़ देता है।
फूल-माला की जगह गमछा
हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, उप्र व बिहार सहित ऐसे कई राज्य हैं, जहां चुनाव के दौरान राजनीतिक मंच पर फूल मालाओं से अतिथियों का सम्मान किया जाता है, लेकिन असम में बड़े से बड़े नेता भी गमछा पहनने का सम्मान पाकर खुद को धन्य समझते हैं। जागरण संवाददाता ने चुनावी माहौल में मध्य असम की कई नुक्कड़ सभाओं को नजदीक से देखा। इनमें से कुछ की कमान हरियाणा व दिल्ली के भाजपा नेताओं ने संभाली हुई थी। यहां भी असमी गमछा पूरी ठसक के साथ अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहा था।
बदलते असम में भी परंपरा कायम
परंपरागत वेशभूषा के मामले में असम बदल रहा है। आधुनिकता का असर यहां भी नजर आने लगा है। युवा पीढ़ी बदलाव की ओर अग्रसर है, मगर खास अवसरों पर परंपरा को अहमियत मिल रही है। पुरुषों के परिधान में जहां धोती-कुर्ता के साथ गमछा रचा-बसा हुआ है, वहीं असम की महिलाएं सफेद चादर को खास अंदाज में लपेटती हैं। चादर की तरह का सादोर मेखला पहनावा भी महिलाओं की विशेष पसंद है।
सादोर मेखला असम की पारंपरिक साड़ी है। चादर और मेखला का पहनावा अधिक उम्र की महिलाएं ज्यादा अपना रही हैं, जबकि कम उम्र की महिलाएं साड़ी व कुर्ता-पाजामा पहनने लगी हैं। चादर कंधे से लेकर कमर तक पहनी जाती है। इस चादर का रंग अक्सर सफेद होता है, लेकिन बहुधा इस पर फूलों की छोटी-छोटी चित्रकारी बनी हुई होती है। मेखला अथवा मेखला साड़ी में विभिन्न रंग व डिजाइन होते हैं।