LS elections 2019: जानें, सत्ता के लिए क्यों अहम है ये प्रथम चरण, BJP को दाेहराना होगा 2014 का इतिहास
हम आपको 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में इन 91 सीटों पर कांग्रेस और भाजपा के प्रदर्शन का लेखा-जाेखा बताते हैं। इन सीटों ने कैसे भाजपा की जीत को आसान बनाया।
नई दिल्ली, जागरण स्पेशल। लोकसभा चुनाव 2019 का प्रथम चरण न केवल सात केंद्रीय मंत्रियों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह चरण भाजपा के लिए भी बेहद अहम है। प्रथम चरण में हो रहे 91 लोकसभा सीटों के नतीजे दिल्ली के सिंहासन की राह को आसन बनाएंगे। ऐसे में लाजमी है कि सत्ता से दूर कांग्रेस की नजर इन सीटों पर टिकी है। वहीं, भाजपा अगर दोबारा सत्ता में वापसी चाहती है तो उसे अपने पुराने प्रदर्शन को दोहराना होगा। आइए, हम आपको 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में इन 91 सीटों पर कांग्रेस और भाजपा के प्रदर्शन का लेखा-जाेखा बताते हैं। कैसे इन सीटों ने भाजपा की जीत को आसान बनाया और नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचाया। कैसे कांग्रेस सत्ता से बेदखल हो गई।
हालांकि, इस बार कई राज्यों में सियासी हालात अलग हैं। राजनीतिक दलों के खासकर क्षेत्रीय गठबंधनों ने भाजपा और मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ाई है। इसमें मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा का महागठबंधन है। यह गठबंधन भाजपा के लिए चिंता का विषय रहा है। इस गठबंधन ने भाजपा की जीत की राह में बड़ी बाधा उत्पन्न किया है।
भाजपा की झोली में गईं थीं 32 सीटें
वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इन 91 सीटों पर बेहतर प्रदर्शन किया था। 91 संसदीय सीटों में से 32 सीटें भाजपा की झोली में गई थी। 2014 में केंद्र में सरकार गठन के लिए जरूरी 270 सीटों में 32 सीटों का योगदान था। अगर इन 91 सीटों का राज्यवार ब्यौरा दिया जाए तो पश्चिम उत्तर प्रदेश के आठ सीटों पर वोटिंग हो रही है। 2014 के आम चुनाव में ये सभी सीटें भाजपा के खाते में गई थी। 91 सीटों में पांच सीट उत्तराखंड की हैं। वर्ष 2014 के चुनाव में पांच सीटों पर भाजपा का कब्जा था। महाराष्ट्र की सात सीटों में पांच सीटों पर कमल खिलने में कामयाब रहा। इसी तरह असम की पांच संसदीय सीटों में चार और बिहार के चार सीटों में से तीन संसदीय सीटों पर भाजपा की जीत हुई थी। लेकिन इस बार स्थिति अलग है। बिहार में चार सीटों में महज एक सीट पर भाजपा प्रत्यााशी मैदान में है। शेष तीन संसदीय सीटों पर सहयोग पार्टी के उम्मीदवार मैदान में है। भाजपा की बड़ी चुनौती
2014 के बाद पांच वर्षों में देश के सियासी हालात बदले हुए हैं। राजनीतिक दलों के बीच हुए गठबंधन से भाजपा के लिए मुश्किलें पैदा हुई है। उसकी जीत की राह उतनी आसान नहीं है। उत्तर प्रदेश सपा-बसपा और आरएलडी का गठबंधन भाजपा को एक नई चुनौती पेश्ा कर रहा है। इस गठबंधन से भाजपा को एक चुनौती मिल रही है। इसी तरह से महाराष्ट्र और बिहार में भी गठबंधन ने कमल को बड़ी चुनौती पेश की है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी गठजोड़ से हार जीत के समीकरण बदले हैं। हालांकि, पश्चिम बंगाल में भाजपा की स्थिति 2014 से बेहतर हुई है। यहां भाजपा उम्मीद के साथ चुनाव लड़ रही है।