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Assembly Election Result 2018: तो इसलिए जरूरी है EVM, जानें- मतपत्रों की भूमिका

पांच राज्यों के इन विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस ने कई राज्यों में मतदान के बाद ईवीएम की गड़बड़ी की आशंका व्यक्त की थी। सोशल मीडिया पर भी ईवीएम को लेकर काफी कमेंट हो रहे हैं।

By Amit SinghEdited By: Published: Tue, 11 Dec 2018 04:41 PM (IST)Updated: Tue, 11 Dec 2018 06:28 PM (IST)
Assembly Election Result 2018: तो इसलिए जरूरी है EVM, जानें- मतपत्रों की भूमिका
Assembly Election Result 2018: तो इसलिए जरूरी है EVM, जानें- मतपत्रों की भूमिका

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। पांच राज्यों में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में केंद्र की भाजपा सरकार को तगड़ा झटका लगा है। इनमें से तीन राज्यों राजस्थान, छत्तीसगढ़ व मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार थी। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा की हार लगभग तय है। मध्य प्रदेश में भी भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर चल ही है। हालांकि तकरीबन तीन बजे से कांग्रेस ने यहां दस सीटों पर बढ़त बनाई हुई है। कुल मिलाकर इन चुनावों ने ईवीएम को लेकर विपक्ष द्वारा उठाए जा रहे सवालों का खुद जवाब दे दिया है।

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सोशल मीडिया पर भी ईवीएम को लेकर काफी कमेंट किए जा रहे। लोग कमेंट कर रहे चुनाव में कोई हारे कोई जीते, ईवीएम पास हो गई। हालांकि अब भी कांग्रेस समेत तमाम पार्टियों का कहना है कि चुनाव परिणाम चाहे जो भी रहे, ईवीएम पर सवाल उठते रहेंगे। ऐसे में आइये हम आपको चुनावों में ईवीएम और मतपत्रों (बैलेट पेपर्स) की भूमिका के बारे में बताते हैं। इसके आधार पर आप खुद भी तय कर सकते हैं कि दोनों में कौन बेहतर विकल्प है।

रिकॉर्ड मतपत्र हुए थे रद
ईवीएम और मतपत्रों की भूमिका का अंदाजा लगाने के लिए पिछले महीने (नवंबर-2018) में उत्तराखंड में हुए निकाय चुनाव सबसे सटीक और ताजा उदाहरण हैं। उत्तराखंड निकाय चुनावों में हमेशा की तरह इस बार भी बैलेट पेपर का प्रयोग किया गया था। इस वजह से इस बार यहां रिकॉर्ड संख्या में मतपत्र गलत मोड़े जाने या गलत जगह स्याही लगने की वजह से रद हुए। इससे निकाय प्रमुख की कुर्सी का ख्वाब संयाए कई उम्मीदवारों की किस्मत पर पानी फिर गया तो कईयों की जीत का अंतर बिगड़ गया। राज्य के जिन सात नगर निगमों में चुनाव हुए, वहां के महापौर पदों पर कुल 39,887 मतपत्र रद हुए थे। यहां तमाम सीटों पर हार-जीत के अंतर से ज्यादा संख्या रद मतपत्रों की रही।

मतदान से मतगणना तक दिखी खामी
बैलेट पेपर पर हुए निकाय चुनाव में दिक्कतों की भरमार भी कम नहीं रही। मतदान के दौरान मतदाताओं को परेशानी झेलनी पड़ी तो प्रकिया को पूरा कराने में सिस्टम की कार्यशैली पर भी सवाल उठे। निकाय चुनाव में मतदान के दिन से शुरू हुआ खामियों का सिलसिला मतगणना तक दिखा। असल में, मतदाता और सरकारी सिस्टम, ईवीएम का आदि हो चुका है। ऐसे में उत्तराखंड निकाय चुनाव में बैलेट पेपर के प्रयोग से मतदाताओं को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। कहीं वोट डालने के बाद मतपत्र को फोल्ड करते वक्त ध्यान न देने के कारण मुहर दोनों तरफ लगने से मत रद हुए, तो कहीं लोगों ने मुहर ही गलत तरीके से लगा दी। ईवीएम में बटन दबाकर वोट डालना होता है, लिहाजा इसमें किसी तरह की गलती होने या वोट रद होने का चांस नहीं होता है।

मतपत्रों पर सरकारी खामी
उत्तराखंड के अधिकांश निकायों में ये बात भी सामने आई कि बड़ी सख्या में मतपत्रों पर पीठासीन अधिकारी के दस्तखत ही नहीं थे। इसके चलते सबसे अधिक मत रद हुए। साफ है कि ईवीएम की आदत के चलते मतदानकर्मी भी बैलेट पेपर से चुनाव कराने में असहज रहे। इतना ही नहीं, मतगणना के दिन मतपत्रों की गिनती में भी काफी वक्त लग गया, जबकि ईवीएम से नतीजे काफी जल्दी प्राप्त होते हैं। जानकारों के मुताबिक यदि उत्तराखंड में चुनाव ईवीएम से होते तो न पब्लिक को दिक्कत होती और न सरकारी सिस्टम को। नतीजे भी जल्द घोषित होते।

लोकसभा चुनाव बैलेट पेपर से कराने की मांग
अगस्त 2018 में 17 राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग से साल 2019 के लोकसभा चुनाव बैलेट पेपर से कराए जाने की अपील की थी। इनमें ज्यादातर विपक्षी दल शामिल थे। अक्सर कोई न कोई राजनीतिक दल ईवीएम की विश्वसनीयता को मु्द्दा बनाता रहा है। वहीं चुनाव आयोग, कई बार स्पष्ट कर चुका है कि ईवीएम भरोसेमंद है। इसमें किसी तरह की छेड़छाड़ संभव नहीं है। जून-2018 में देश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओपी रावत ने चुनावों के लिए बैलेट पेपर को वापस लाने की संभावनाओं को खारिज करते हुए कहा था कि ईवीएम को बलि का बकरा बनाया जा रहा है, क्योंकि मशीनें बोल नहीं सकतीं' और राजनीतिक दलों को अपनी हार के लिए किसी न किसी को जिम्मदार ठहराने की जरूरत होती है।

इस चुनाव में भी कांग्रेस ने ईवीएम पर लगाए थे आरोप
कई मौकों पर विपक्षी पार्टियां ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगा चुकी हैं। 2014 के बाद कई पार्टियों ने ईवीएम में गड़बड़ी को अपनी हार का जिम्मेदार ठहराया। उत्तरप्रदेश चुनाव के बाद बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी ने ईवीएम में गड़बड़ी की बात कही थी। वहीं पंजाब चुनाव के बाद आम आदमी पार्टी के प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी ईवीएम का मुद्दा उठाया था। पांच राज्यों के मौजूदा चुनावों में भी कांग्रेस ने मतदान के बाद कई राज्यों में ईवीएम में गड़बड़ी की आशंका व्यक्त की थी।


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