नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने चार दिन पहले क्रिसमस व न्यू ईयर के साथ-साथ रेव पार्टियों में चरस, हशीश जैसे मादक पदार्थ आपूर्ति करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। इस गिरोह के सदस्यों से पूछताछ के बाद कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। जिसमें किस तरह से कॉलेजों व इंस्टीट्यूटों के अमीर परिवार के छात्र-छात्राओं को कैंडी के रूप में मादक पदार्थ बेचा जा रहा है, यह प्रमुख है। कुछ माह पहले खबर आई थी कि स्कूलों में बच्चों को नशीली कैंडी बांटी जा रही है। इसे लेकर काफी चर्चा भी हुई थी, लेकिन गिरोह से कौन लोग जुड़े हैं इसका पता नहीं चल पा रहा था। परंतु, रविवार को सियालदह से दो मादक तस्करों और पार्क स्ट्रीट से नाईट क्लब के डीजे की गिरफ्तारी के बाद परत खुलने लगी है। इसके बाद साल्टलेक से इवेंट मैनेजर व बीबीए के छात्र की गिरफ्तारी के बाद जो खुलासे हुए हैं वह चिंता बढ़ाने वाला है। क्योंकि, नशे की फांस में जिस तरह से आज युवा फंस रहे हैं वह किसी भी समाज व देश के लिए अच्छा नहीं हो सकता है। खासकर स्कूल व कॉलेजों के छात्र-छात्राओं पर इन तस्करों की नजर है। कहा जाता है कि छात्र-छात्राएं देश के भविष्य होते हैं। परंतु, इस भविष्य को ही बर्बाद करने की साजिश रची जा रही है। वह भी इसी देश के युवाओं के हाथों। सबसे जरूरी है कि माता-पिता से लेकर जितने भी बच्चों के शुभचिंतक है उन्हें सतर्क होना होगा। उनके बच्चे क्या कर रहे हैं? कहां जा रहे हैं? किन लोगों के साथ दोस्ती रखी है? उनके आचरण व स्वभाव में क्या बदलाव आ रहा है? इन सभी बातों पर बारीकी से निगरानी रखनी होगी। क्योंकि, यदि एक बार बच्चे नशे के आदी हो गए तो उनका जीवन लगभग समाप्त हो जाएगा। पुलिस प्रशासन व एनसीबी जैसी एजेंसियां तो सिर्फ तस्करों को पकड़ेगी, लेकिन जो बच्चे व युवा नशीली कैंडी खरीद रहे हैं और जो आदी हो चुके हैं उन्हें कौन बचाएगा? एनसीबी के अधिकारी कितने चिंतित हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिन कॉलेजों व इंस्टीच्यूटों के छात्र मादक तस्करों के निशाने पर थे उनके प्रबंधन को गुरुवार को बुलाया था और उन सभी को कॉलेज व इंस्टीच्यूट प्रबंधन को सतर्क किया है। इसके अलावा नशा कितनी खराब चीज है यह बताने के लिए काउंसिलिंग शुरू करने की पहल भी शुरू की जा रही है। इसके लिए सब को सतर्क व जागरूक होना होगा। नहीं तो इस जाल से युवाओं को बाहर निकलना आसान नहीं होगा।
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(हाईलाइटर::: नशे की फांस में जिस तरह से आज युवा फंस रहे हैं वह किसी भी समाज व देश के लिए अच्छा नहीं हो सकता है।) 

[ स्थानीय संपादकीय: पश्चिम बंगाल ]