झारखंड में स्थानीय नगर निकायों के चुनाव में भाजपा ने बाजी मार ली। सभी पांच नगर निगमों पर पार्टी के प्रत्याशियों ने बड़े अंतर से जीत हासिल की। इसके अलावा नगर पंचायतों और नगर परिषदों में भी भाजपा का दबदबा कायम हुआ। यह जनादेश राज्य में भाजपानीत गठबंधन सरकार के कामकाज पर जनता के विश्वास का प्रतीक है। स्थानीय नगर निकाय चुनावों को अगले साल राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा था। इस लिहाज से भाजपा रणनीतिक तौर पर पूरी तरह सफल रही। वहीं लंबे-चौड़े दावे कर रहे विपक्षी दलों की हकीकत भी सामने आ गई। चुनाव परिणाम ने यह साबित कर दिया कि सिर्फ खोखले नारे और वादे के बल पर जीत नहीं हासिल की जा सकती। धरातल पर काम करना हीं जनता का विश्वास हासिल करने का पैमाना होगा। यह जीत इस मायने में भी बड़ी है कि पहली बार राज्य में दलीय आधार पर महापौर, उपमहापौर समेत अध्यक्षों और उपाध्यक्षों के चुनाव हुए। सत्ता में रहने के कारण भाजपा पर बढ़त बनाए रखने का भारी दबाव था जिसमें पार्टी को सफलता मिली। विपक्षी दलों के प्रत्याशियों ने भी कई स्थानों पर जीत हासिल करने में सफलता पाई लेकिन प्रमुख स्थानों पर सत्ताधारी भाजपा की जीत हुई। इस जीत का असर आगामी चुनावों पर पड़ेगा।

जिम्मेदारी भी बढ़ेगी क्योंकि लोगों की अपेक्षाएं बढ़ना स्वाभाविक है। इस लिहाज से नगर निकायों के विजयी प्रत्याशियों को काम करना होगा। जीत-हार भले दलीय आधार पर हुई हो लेकिन टीम भावना से काम करना सबकी जिम्मेदारी है। विकास की राह साथ मिलकर काम करने से ही आसान होगी। भाजपा का नारा भी सबका साथ-सबका विकास है। इस मूलमंत्र के साथ काम हुआ तो झारखंड के सारे नगर निकाय तेजी से विकसित होंगे। बेवजह की राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता की बजाय विपक्षी दलों को भी रचनात्मक सहयोग करना होगा। राज्य के नगर निकायों में मूलभूत सुविधाएं आमजन को उपलब्ध कराना एक बड़ी जिम्मेदारी है। इसके अलावा सामाजिक जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी काम करना प्राथमिकता सूची में आवश्यक है। पौष्टिक भोजन, सबको आवास, गरीबी उन्मूलन, शिक्षा, चिकित्सा आदि की सुविधाएं सुदूर इलाकों में उपलब्ध होने से जीवन स्तर बेहतर होगा। कल्याणकारी सरकार की भी यही अवधारणा है कि विकास की किरण समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे और विकास की प्रक्रिया में सबकी स्वाभाविक भागीदारी हो।

[ स्थानीय संपादकीय: झारखंड ]