सीनियर नेशनल जिमनास्टिक प्रतियोगिता में चार स्वर्ण और एक कांस्य पदक जीत कर राज्य की बेटी ने सर्वक्षेष्ठ जिमनास्ट का खिताब जीत कर यह साबित कर दिया कि वे किसी से कम नहीं हैं। रिदमिक जिमनास्ट पलक कौर ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से प्रशस्ति पत्र लिया तो यह साबित हो गया कि फिल्म इंडस्ट्री हो या फिर पढ़ाई या खेल का मैदान, राज्य की बेटियां किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। गत वर्ष जम्मू की बेटी सना दुआ ने मिस इंडिया का खिताब जीत कर दर्शा दिया कि उनमें हुनर की कोई कमी नहीं। आमिर खान की फिल्म दंगल में गीता फोगाट का बचपन का किरदार निभाने वाली जायरा वसीम ने भी यह साबित कर दिखाया कि अगर उन्हें कोई मंच प्रदान किया जाए तो वे आसमान की बुलंदियों को छू सकती हैं। कश्मीर की इस बेटी की उपलब्धियों पर हालांकि काफी विरोध हुआ था, लेकिन समाज की रूढ़िवादी सोच की परवाह किए बगैर बेटियों ने यह बता दिया कि की बेटियां घरों की दहलीज तक सीमित नहीं हैं।

आज वे अंतरिक्ष तक जा पहुंची हैं लेकिन समाज में कुछ ऐसा तबका भी है, जो बेटियों की उन्नति से नाखुश है। दुख की बात यह है कि घाटी में कन्या लिंग अनुपात सबसे कम है। हजार बेटों के पीछे केवल 882 बेटियां हैं। ऐसा नहीं कि हर व्यक्ति की सोच एक जैसी है। समाज में अभी भी रूढ़िवादी और संकुचित मानसिकता वाले लोग हैं। उनमें भी बदलाव आना निश्चित है। उन्हें भी अब महसूस होने लगा है कि बेटियों के बिना संसार अधूरा है। यही कारण है कि लोगों को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा भाने लगा है। कश्मीर में साक्षरता दर पिछले कुछ वर्षो के मुकाबले पांच प्रतिश्त तक बढ़ा है। शहरों में स्थिति गावों के मुकाबले बेहतर है। सरकारी विभागों में एक नजर डालें तो स्वास्थ्य विभाग में 52 प्रतिशत महिलाएं काम कर रही हैं। जबकि उच्च शिक्षा विभाग में चालीस प्रतिशत महिलाएं शिक्षा को बढ़ावा दे रही हैं। स्कूल शिक्षा विभाग में तीस प्रतिश्त महिलाएं हैं। राज्य सशस्त्र पुलिस बल में करीब पांच प्रतिशत तथा पुलिस में केवल तीन फीसदी महिलाएं ही नौकरियां कर रही हैं। राज्य की बेटियों को भी चाहिए कि अन्य विभागों में भी नौकरियों के अवसरों को भी तलाशें।

[ स्थानीय संपादकीय: जम्मू-कश्मीर ]