नई बसें कब
डीटीसी के बेड़े में बसों की संख्या लगातार कम हो रही है। दिल्ली सरकार नई बसें खरीदने में दिलचस्पी नहीं दिखा रही है।
दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) के बेड़े में बसों की संख्या लगातार कम हो रही है। दिल्ली सरकार नई बसें खरीदने में दिलचस्पी नहीं दिखा रही है और पुरानी बसें सड़कों से गायब हो रही हैं। सरकार के इस रवैये से राजधानी में सार्वजनिक परिवहन प्रणाली की स्थिति कभी नहीं सुधर सकती है। इसे लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने भी दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है। दिव्यांग व्यक्ति के लिए सार्वजनिक परिवहन में पर्याप्त सुविधाएं नहीं होने के मामले में सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने बसों की खरीद में हो रही देरी को लेकर नाराजगी जताई। उसने सरकार से पूछा है कि दस सालों में पर्याप्त बसें क्यों नहीं खरीदी गईं? अदालत की चिंता जायज है।
अदालत के निर्देश के बावजूद दिव्यांगों के लिए सुविधाजनक बसें तो दूर आम बसों की भी खरीदारी नहीं हो रही है। सरकार की इस लापरवाही का खामियाजा दिल्लीवासियों को भुगतना पड़ रहा है। सड़कों पर वाहनों का बोझ बढ़ रहा है। इससे जाम की समस्या और सड़क दुर्घटनाएं बढ़ने के साथ ही वायु प्रदूषण का स्तर भी बढ़ रहा है। इसे लेकर खूब चिंता जताई जाती है, सियासत भी होती है और चुनावों में वादे भी किए जाते हैं, लेकिन स्थिति नहीं सुधर रही है। सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरमेंट की रिपोर्ट भी डीटीसी की बदहाली को बयां करती है। पिछले चार वर्षो में डीटीसी बसों में यात्रियों की संख्या में 35 फीसद की कमी आई है। रूट के निर्धारण और उस पर बसों की संख्या को लेकर भी कई शिकायतें हैं। इस स्थिति में यात्री इससे दूर होते जा रहे हैं। इधर मेट्रो का किराया बढ़ने से दिल्लीवासियों की परेशानी और बढ़ गई है। इसलिए सार्वजनिक बसों की संख्या बढ़ाने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। एक अध्ययन के अनुसार इस समय राजधानी में कम से कम 11 हजार बसों की जरूरत है। अभी मात्र साढ़े पांच हजार बसें हैं।
[ स्थानीय संपादकीय: दिल्ली ]