सरकार को सर्वप्रथम यह सुनिश्चित करना चाहिए कि 10 वर्ष पुराने डीजल वाहन दिल्ली में न चलने पाएं
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दिल्ली में छह महीने बाद सिर्फ बीएस-6 मानक वाले ईंधन इस्तेमाल में लाए जाने संबंधी केंद्र सरकार का फैसला स्वागतयोग्य है। राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति के मद्देनजर सरकार ने एलान किया है कि अप्रैल, 2018 से दिल्ली में सिर्फ यूरो-6 गुणवत्ता वाले बीएस-6 मानक पेट्रोल और डीजल की बिक्री की जाएगी। सरकार ने तेल कंपनियों को यह भी कहा है कि दिल्ली के बाद एक वर्ष के भीतर पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में यूरो-6 ईंधन उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाए। इस मानक वाले ईंधन में पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले तत्व सबसे कम होते हैं। यह अत्यंत आवश्यक है कि दिल्ली को वायु प्रदूषण से राहत दिलाने के लिए इस उच्च गुणवत्ता वाले ईंधन की बिक्री सुनिश्चित करने के साथ ही समयबद्ध तरीके से और भी जरूरी कदम उठाए जाएं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दस साल पुरानी डीजल टैक्सियों को भी सड़क से हटाने के लिए दिल्ली सरकार को निर्देशित किया है।
वाहनों से निकलने वाला धुआं दिल्ली में वायु प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह है। ऐसे में इसपर नियंत्रण की आवश्यकता है। इसे देखते हुए दिल्ली सरकार को सबसे पहले यह सुनिश्चित करना चाहिए कि दस वर्ष पुराने डीजल वाहन दिल्ली में न चलने पाएं। यही नहीं, उन ट्रकों को दिल्ली में प्रवेश नहीं दिया जाना चाहिए जिनका दिल्ली में कोई काम नहीं है, जो सिर्फ एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने के लिए दिल्ली को एक मार्ग के रूप में इस्तेमाल करते हैं। ये दो उपाय जल्द से जल्द किए जाने चाहिए, जिनसे दिल्ली को वायु प्रदूषण से तत्काल काफी राहत मिल सकती है। दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) के बेड़े में बसों की संख्या बहुत कम है। ऐसे में बसों की खरीद के लिए एक समयसीमा तय की जानी चाहिए और जितना जल्दी संभव हो नई बसें खरीदकर उन्हें सड़कों पर उतारा जाना चाहिए। वाहनों की संख्या में कमी लाकर और पर्यावरण की दृष्टि से बेहतर ईंधन के इस्तेमाल से दिल्ली में वायु प्रदूषण के काफी हद तक नियंत्रित होने की उम्मीद की जा सकती है।

[ स्थानीय संपादकीय: दिल्ली ]