सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह ने विभागीय बैठक में समीक्षा के दौरान कहा कि रबी की फसलों की सिंचाई का सीजन शुरू हो चुका है। किसानों को पानी की जरूरत पड़ेगी। इसलिए विभागीय अधिकारी 15 दिनों में सभी नहरों के टेल तक पानी पहुंचाना सुनिश्चित करें। वस्तुत: फसलों की सबसे बड़ी जरूरत होती है समय से सिंचाई। इसके लिए जरूरी नहरों में पर्याप्त पानी का उपलब्धता, लेकिन जब किसानों को सिंचाई के लिए पानी की जरूरत होती है, नहरें सूखी मिलती हैं। या फिर टेल तक पानी नहीं पहुंच पाता है।

टेल तक पानी पहुंचना कोई मानक नहीं है, बल्कि जरूरत होती है, क्योंकि नहर के आखिरी हिस्से तक एक बड़ा हिस्सा सिंचाई के लिए उस पर निर्भर होता है। दूसरे यह प्रतीक भी है कि नहर में पर्याप्त पानी है। क्योंकि नहर में पर्याप्त पानी न होने से लोग जगह-जगह पानी रोक कर खेतों की सिंचाई शुरू कर देते हैं, इसलिए नहर में पानी आगे नहीं बढ़ पाता है, लेकिन अगर नहर में पर्याप्त पानी हो तो कहीं पानी रोकने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। नहरों में टेल तक पानी पहुंचने की राह में और भी कई बाधाएं होती हैं, मसलन अवैध कुलाबे, नहरों को जगह-जगह काटकर पानी अपने खेतों में ले जाना, नहरों की उचित ढंग से समय-समय पर सफाई न होना। इन वजहों से भी सिंचाई व्यवस्था प्रभावित होती है। सिंचाई व्यवस्था प्रभावित होने से फसलों का उत्पादन प्रभावित होता है, जिससे किसानों की आय पर असर पड़ता है। यानी कि खेती का काफी दारोमदार इस सिंचाई व्यवस्था पर ही होता है। इसके महत्व को समझते हुए ही सिंचाई मंत्री ने टेल तक पानी पहुंचाने का निर्देश दिया है। हालांकि यह सिंचाई का एक बड़ा साधन जरूर है, पर नलकूप, कुएं और तालाब जैसे अन्य साधनों पर काफी लोग निर्भर होते हैं। इसलिए गांवों में बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित कराने पर भी जोर दिया जाना चाहिए, ताकि किसान ट्यूबवेल का भी सहारा ले सकें। फिलहाल नहरों में पर्याप्त पानी का निर्देश तो जारी कर दिया गया है, पर यह आदेश सालाना या छमाही निर्देशों की तरह औपचारिक बन कर न रह जाए, इस पर भी ध्यान देना होगा।

[ स्थानीय संपादकीय: उत्तर प्रदेश ]