मुकुल राय पूरी तरह भगवा रंग में रंग गए। सोमवार को प्रदेश भाजपा कार्यालय में उनका भव्य स्वागत किया किया गया। एयरपोर्ट से उतरने से लेकर प्रदेश भाजपा मुख्यालय तक पहुंचने के रास्ते में भाजपा नेता और कार्यकर्ता उनको गर्मजोशी के साथ स्वागत करते देखे गए। इससे उनके बढ़ते राजनीतिक रसूख का अंदाजा लगाया जा सकता है।
मुकुल ने प्रदेश भाजपा मुख्यालय में संवाददाताओं बातचीत में कहा कि दिल्ली में उनके कैप्टन अमित शाह हैं और बंगाल के कैप्टन दिलीप घोष हैं। इससे यह साबित होता है कि मुकुल भाजपा के छोटे बड़े नेताओं का विश्वास जीतने में सफल हुए हैं। उनका यह भी कहना है कि बंगाल की जनता विकल्प तलाश रही है और भाजपा ही राजनीतिक विकल्प बनेगी। वह मानसिक रूप से तैयार होकर भाजपा में शामिल हुए हैं और राजनीतिक परिवर्तन के लिए लड़ाई लडेंगे।
मुकुल ने भरोसा जताया है कि 2019 और 2021 में बंगाल में भाजपा सत्तासीन होगी। उनकी इस बात में कहां तक सच्चाई है यह तो समय आने पर ही पता चलेगा लेकिन जब वह इतने दृढ़ विश्वास के साथ यह दावा कर रहे हैं तो इसे नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता। राज्य की आर्थिक स्थिति दयनीय है। ममता बनर्जी छह वर्षों में तेज विकास होने का दावा करती रही हैं लेकिन सच्चाई इससे दूर है। जब सरकारी खजाना ही खाली है और ममता बनर्जी सरकार केंद्र के साथ टकराव से पीछे हटने को तैयार नहीं है तो फिर बंगाल का विकास कैसे हो सकता है? अगर सचमुच राज्य की जनता ममता बनर्जी के शासन से ऊब गई है और वह विकल्प तलाश रही है तो मुकुल को भाजपा नेता के रूप में राजनीतिक युद्ध जितने में सफलता मिल सकती है। वह वहीं काम करेंगे जो तृणमूल कांग्रेस के लिए करते थे। माकपा के जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को तोड़ कर तृणमूल कांग्रेस में लाने में मुकुल की अहम भूमिका थी। बाद में माकपा, कांग्रेस और कुछ अन्य वामपंथी दलों के नेताओं को तोड़ कर मुकुल तृणमूल कांग्रेस में लाए थे। जाहिर है ऐसे लोग मुकुल के साथ आ सकते हैं और बंगाल में भाजपा का जनाधार बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। भाजपा को भी बंगाल में जड़ जमाने के लिए एक कद्दावर स्थानीय नेता की जरूरत थी जो मुकुल के आने से वह पूरी हो गई।
हाईलाइटर::(जब सरकारी खजाना ही खाली है और ममता बनर्जी सरकार केंद्र के साथ टकराव से पीछे हटने को तैयार नहीं है तो फिर बंगाल का विकास कैसे हो सकता है?)

[ स्थानीय संपादकीय: पश्चिम बंगाल ]