नए वर्ष के पहले ही दिन यह समाचार सामने आना आघातकारी है कि जम्मू में माता वैष्णो देवी मंदिर में भगदड़ मचने से 12 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और कई घायल हो गए। यह घटना इसलिए अनेपक्षित और दुर्भाग्यपूर्ण है, क्योंकि माता वैष्णो देवी मंदिर की व्यवस्था को अपेक्षाकृत अच्छा माना जाता है। हालांकि माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने इन आरोपों का खंडन किया है कि भारी भीड़ को संभालने के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाए गए थे, लेकिन सवाल यह है कि आखिर भगदड़ क्यों मची?

यदि यह सही है कि कुछ श्रद्धालुओं के बीच झगड़े के कारण स्थिति बिगड़ी तो फिर सवाल यह है कि उसे समय रहते संभाला क्यों नहीं जा सका? सवाल यह भी है कि क्या माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड इसका अनुमान नहीं लगा सका कि नववर्ष के चलते बड़ी संख्या में श्रद्धालु आएंगे? नववर्ष पर ऐसा होता ही है-न केवल वैष्णो देवी मंदिर में, बल्कि देश के अन्य धार्मिक एवं पर्यटन स्थलों में भी। आवश्यक केवल यह नहीं कि भगदड़ मचने के कारणों की गहन जांच हो, बल्कि यह भी है कि उससे सबक सीखे जाएं।

ये सबक वैष्णो देवी मंदिर समेत अन्य धार्मिक स्थलों का प्रबंध करने वालों और संबंधित प्रशासन को भी सीखने होंगे, क्योंकि अपने देश में धार्मिक स्थलों में भगदड़ मचने से घटने वाली घटनाओं का सिलसिला खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। अब यह सिलसिला थमना ही चाहिए। इससे बड़ी विडंबना और कोई नहीं कि एक के बाद एक मंदिरों में भगदड़ मचने की अनगिनत घटनाओं के बाद भी इस तरह के हादसे थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। ऐसा लगता है कि धार्मिक स्थलों और साथ ही सांस्कृतिक एवं सामाजिक आयोजनों में भीड़ प्रबंधन के आवश्यक तौर-तरीके अपनाने में अभी भी ढिलाई बरती जा रही है।

ऐसा क्यों हो रहा है, इसकी तह तक जाने में देर नहीं की जानी चाहिए। इस तरह की घटनाओं में केवल लोगों की जान ही नहीं जाती, बल्कि देश की छवि पर भी बुरा असर पड़ता है। सार्वजनिक स्थलों में भीड़ प्रबंधन के बेहतर उपायों पर सख्ती से अमल करने के साथ ही यह भी जरूरी है कि लोग अपनी नागरिक जिम्मेदारी के निर्वहन के प्रति और अधिक सचेत हों। यह इसलिए आवश्यक है, क्योंकि अक्सर लोग भीड़ वाले स्थानों में अपेक्षित अनुशासन और संयम का परिचय नहीं देते। ऐसे स्थलों में एक-दूसरे से आगे निकलने की आपाधापी तो दिखती ही है, कतार में खड़े होने से भी बचा जाता है। यदि ऐसी जगहों पर भीड़ का प्रबंधन करने में तनिक भी ढिलाई होती है तो फिर वैसी ही दुखद घटनाएं होती हैं, जैसी माता वैष्णो देवी मंदिर परिसर में हुई।