सरकारी विद्यालयों में गाहे-बगाहे मुआयने के दौरान बड़ी संख्या में छात्रों के गैरहाजिर रहने से शिक्षा महकमा भी सकते में रहा है। सरकार के नए कदम से छात्रसंख्या को लेकर तस्वीर साफ नजर आ सकती है।

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प्रदेश सरकार ने और एक साहसिक फैसला लिया है। आगामी अप्रैल माह से शुरू होने जा रहे नए शैक्षिक सत्र से सरकारी और सहायताप्राप्त विद्यालयों के कक्षा एक से बारहवीं तक के पात्र छात्र-छात्राओं को मुफ्त किताबों के बजाय किताबों की कीमत दी जाएगी। कक्षा एक से आठवीं तक अध्ययनरत सभी छात्र-छात्राओं के साथ ही नवीं से 12वीं तक अध्ययनरत अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों और समस्त छात्राओं को मुफ्त पाठ्यपुस्तक देने की व्यवस्था है। अब ऐसे करीब सवा सात लाख विद्यार्थियों के बैंक खातों में सीधे पुस्तकों की धनराशि भेजी जाएगी। दरअसल केंद्र सरकार डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर योजना (डीबीटी) के तहत किताबों की धनराशि बच्चों के खातों में भेजने पर जोर दे रही है। शिक्षा मंत्रालय ने इस फैसले पर अमल करने में देर नहीं लगाई। इससे पहले सरकार नए सत्र से एनसीईआरटी की किताबें उत्तराखंड बोर्ड और सीबीएसई से संबद्ध सभी सरकारी और निजी विद्यालयों में लागू करने का निर्णय ले चुकी है।

अब डीबीटी से बैंक खाते में किताबों की धनराशि के भुगतान के लिए प्रत्येक छात्र का आधार कार्ड आवश्यक होगा। आधार कार्ड से बैंक खाता लिंक होने से राज्य सरकार और शिक्षा महकमे के लिए भविष्य में बड़ी राहत मिलना तय है। अभी सही छात्रसंख्या की जानकारी हासिल करने के लिए महकमे को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। आधार कार्ड से जुडऩे के बाद छात्रसंख्या में फर्जीवाड़े का अंदेशा भी खत्म होगा। यह गौर करने योग्य है कि लाभार्थियों के बैंक खाते आधार से लिंक होने के बाद समाज कल्याण में छात्रवृत्ति वितरण में सामने आई तस्वीर चौंकाने वाली रही है। प्रदेश में समाज कल्याण की छात्रवृत्तियों के मामले में जांच जारी है। उम्मीद की जा सकती है कि छात्रसंख्या को लेकर विद्यालयवार तस्वीर पूरी तरह साफ होगी। इससे भविष्य में सरकारी खजाने को भी राहत मिलती दिखे तो आश्चर्य नहीं किया जाना चाहिए। दरअसल यह भी देखा गया है कि हर साल छपने वाली मुफ्त किताबें बड़ी संख्या में वितरित होने के बजाय महकमे के भंडारगृहों के भीतर सिमटी रहती है। इस वजह से ही छात्रसंख्या में गड़बड़ी के अंदेशे को बल मिलता रहा है। अब पुस्तकों की कीमत सीधे विद्यार्थियों को मिलने से महकमे की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता भी बढ़ेगी।

[ स्थानीय संपादकीय: उत्तराखंड ]