केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी की ओर से दी गई यह जानकारी शहरीकरण की चुनौतियों का सामना करने का ही संदेश दे रही है कि वर्ष 2030 तक देश की 40 प्रतिशत आबादी शहरों में रह रही होगी। शहरों में अधिक आबादी रहने का मतलब है कि उनका आधारभूत ढांचा संवारने का काम युद्ध स्तर पर किया जाए ताकि वे बढ़ी हुई आबादी का बोझ सहने में समर्थ रहें और साथ ही रहने लायक भी बने रहें। हरदीप पुरी के अनुसार आबादी में वृद्धि के कारण शहरों में हर साल लाखों वर्गमीटर जमीन की व्यवस्था करनी होगी। कोई भी समझ सकता है कि यह जमीन शहरों के आसपास के ग्रामीण इलाकों को नगरीय क्षेत्र घोषित करने से ही हासिल हो सकेगी।

ग्रामीण क्षेत्र तो तेजी के साथ शहरों में समाते जाते हैं, लेकिन ऐसे क्षेत्रों का विकास बेहद कामचलाऊ से ढंग होता है। जिन भी सरकारी विभागों पर भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर शहरी ढांचे का निर्माण करने की जिम्मेदारी होती है वे नियोजित विकास के नाम पर खानापूरी तो करते ही हैं, अदूरदर्शिता का भी परिचय देते हैं। इसके चलते नया बना ढांचा कुछ ही समय बाद अपर्याप्त साबित होने लगता है। समस्या यह भी है कि जहां शहरों के नए इलाकों का अनियोजित और मनमाना विकास होता है वहीं पुराने इलाकों के जर्जर होते ढांचे को दुरुस्त करने से बचा जाता है। इसी का नतीजा है कि हमारे शहर गंदगी, जलभराव, प्रदूषण, अराजक यातायात, अतिक्रमण, सघन आबादी वाले मोहल्लों और झुग्गी बस्तियों से घिरते जा रहे हैं। इन समस्याओं के मूल में है शहरीकरण से जुड़े विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार और साथ ही जवाबदेही का अभाव। इसके कारण ही नियोजित विकास की कदम-कदम पर अनदेखी भी होती है और सरकारी धन का दुरुपयोग भी।

इसमें संदेह है कि केंद्र सरकार की सहायता से शहरों को स्मार्ट सिटी में तब्दील करने वाली योजनाओं से शहरों की सूरत बदली जा सकेगी, क्योंकि शहरी ढांचे का विकास करने और उसकी गुणवत्ता बनाए रखने की जिम्मेदारी तो उन नगर निकायों की है जो राज्य सरकारों के अधीन काम करते हैं। यह समझने की सख्त जरूरत है कि नगर निकायों की कार्यप्रणाली बदले बिना शहरों को संवारने का काम नहीं किया जा सकता।

बेहतर हो कि केंद्र सरकार राज्यों को इसके लिए तैयार करे कि वे शहरीकरण की चुनौतियों से जूझने में गंभीरता का परिचय दें। इसके साथ ही यह भी आवश्यक है कि ऐसी योजनाएं बनाई जाएं जिससे गांवों में शहरों जैसी सुविधाएं उपलब्ध हो सकें ताकि शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के लिए ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों को होने वाले पलायन की रफ्तार कुछ थमे।